अस्तित्व में नहीं आ पाया बाल 'संगीनों' का सुरक्षा स्थल
- केंद्र ने सभी राज्यों को 2015 में छह महीने के भीतर हर राज्य में प्लेस ऑफ सेफ्टी बनाने क
- केंद्र ने सभी राज्यों को 2015 में छह महीने के भीतर हर राज्य में प्लेस ऑफ सेफ्टी बनाने के दिए थे निर्देश
- प्लेस ऑफ सेफ्टी करनाल में बनकर तैयार, चार वार्डर व हेड वार्डर भी नियुक्त
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उमेश भार्गव, अंबाला शहर
सरकार ने सर्वाेच्च न्यायालय में पांच जनवरी को शपथपत्र दिया, जिसमें डेढ़ महीने में करनाल के मधुबन में प्लेस ऑफ सेफ्टी स्थापित करने की बात कही गई थी, लेकिन सरकार खरी नहीं उतरी। सरकार ने पांच जनवरी को शपथपत्र दिया था। अभी तक प्लेस ऑफ सेफ्टी को अस्वितत्व ही नहीं मिल पाया है।
जेजे एक्ट के अनुसार जघन्य अपराधों में शामिल 16 से 18 और किसी भी प्रकार के अपराध में शामिल ऐसे बाल बंदी जिनकी उम्र केस के बाद 18 से ज्यादा हो गई हो उन्हें बाल सुधार गृह में नहीं रखा जा सकता। इनके लिए प्लेस ऑफ सेफ्टी होना चाहिए। प्रदेश में अंबाला के अलावा फरीदाबाद और हिसार में भी बाल सुधार गृह बना गए हैं। इनमें बहुत से बाल बंदी ऐसे हैं जिन्हें प्लेस ऑफ सेफ्टी में ही रखा जा सकता है। नियमानुसार 20 फरवरी तक प्लेस ऑफ सेफ्टी शुरू हो जाना चाहिए था।
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इसलिए पड़ी जरूरत
दरअसल दिल्ली के निर्भया कांड के बाद वर्ष 2014 में संगीन अपराधों में शामिल नाबालिगों की उम्र का मुद्दा उठा। इस पर महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने जेजे एक्ट में संशोधन के लिए बिल तैयार किया। इसमें 18 साल की उम्र को घटाकर 16 साल कर दिया गया। इसे संसद ने जनवरी 2015 में पास कर दिया। सभी राज्य सरकारों को निर्देश दिए कि छह महीने के भीतर प्लेस ऑफ सेफ्टी बनाया जाए। जेजे एक्ट के सेक्शन 49 के तहत ऐसे नाबालिग जिनकी उम्र 16 से 18 के बीच है और जो संगीन अपराधों में शामिल हैं उन्हें प्लेस ऑफ सेफ्टी में रखा जाए। इसके अलावा जो 18 से 21 के बीच की उम्र के हैं उन सभी को भी वहां रखा जाए। इससे दूसरे नाबालिग बंदियों की सुरक्षा भी सुनिश्चित होने की बात कही गई थी। अकेले अंबाला के बाल सुधार गृह में 50 ऐसे बाल बंदी हैं जो यहां नहीं रखे जा सकते।
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सुप्रीम कोर्ट ऐसे पहुंचा मामला
पांच जनवरी को स्पशेल लीव पटीशन (सीआरएल) 4915-2017 विकास बनाम हरियाणा मामले की फाइनल सुनवाई हुई। इसमें बाल बंदी ने याचिका डाली थी कि जब प्रदेश में कहीं भी प्लेस ऑफ सेफ्टी नहीं है तो उसे रिहा किया जाए। सुप्रीम कोर्ट में याचिका इस शर्त पर स्वीकार हुई कि जब प्लेस ऑफ सेफ्टी शुरू होगा उसे सरेंडर करना पड़ेगा। कोर्ट ने हरियाणा सरकार से पूछा कि वह कब तक प्लेस ऑफ सेफ्टी शुरू कर देगी? इस पर हरियाणा सरकार ने डेढ़ माह का समय मांगा था।
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वर्जन
चार वार्डर और हेड वार्डर रख दिए हैं। शेष स्टाफ की नियुक्ति प्रक्रिया चल रही है। पहले विज्ञप्ति जारी की गई थी, लेकिन आवेदन नहीं आए। अब दोबारा विज्ञप्ति निकाली जाएगी। कर्मचारियों की भर्ती होते ही प्लेस ऑफ सेफ्टी शुरू हो जाएगा।
-वीना रानी, डीसीपीओ, करनाल।
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इस बारे में मैं कुछ भी नहीं कह सकती, क्योंकि आधिकारिक पुष्टि डायरेक्टर ही कर सकते हैं।
शशी दून, सहायक निदेशक, डब्ल्यूसीडी, पंचकूला।
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