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Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, हरियाणा के सिख गुरुद्वारा प्रबंधन कानून पर फिर मुहर

Supreme Court शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) की कार्यकारी समिति ने सुप्रीम कोर्ट में समीक्षा याचिका दायर हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधन कानून को बरकरार रखने के फैसले की दोबारा समीक्षा करने हेतु याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया है।

By Jagran NewsEdited By: Swati SinghSat, 04 Feb 2023 09:42 PM (IST)
Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, हरियाणा के सिख गुरुद्वारा प्रबंधन कानून पर फिर मुहर
हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधन कानून को सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा है।

अंबाला, जागरण संवाददाता। हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधन कानून को सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा है। इस कानून के तहत प्रदेश में गुरुद्वारों के प्रबंधन के लिए एक एडहाक कमेटी का गठन किया था, जिसके बाद हुए चुनाव में यमुनानगर के बाबा कर्मजीत सिंह हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी के प्रधान बनाए जा चुके हैं।

शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) की कार्यकारी समिति ने सुप्रीम कोर्ट में समीक्षा याचिका दायर हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधन कानून को बरकरार रखने के फैसले की दोबारा समीक्षा करने हेतु याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया है।

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस विक्रम नाथ की पीठ ने हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधन अधिनियम 2014 की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया। पीठ ने शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति के सदस्य हरभजन सिंह द्वारा दायर एक याचिका पर यह फैसला सुनाया। इससे पहले शीर्ष अदालत इस तर्क को खारिज कर चुकी है कि हरियाणा सरकार शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति के अधीन संचालित गुरुद्वारों पर नियंत्रण हासिल करना चाहती है।

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल के राजनीतिक सलाहकार भारत भूषण भारती ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले की सराहना की और इसे हरियाणा के सिखों की जीत बताया है।

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बाहरी हस्तक्षेप उचित नहीं

भारत भूषण भारती ने कहा कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल चाहते हैं कि हरियाणा के गुरुघरों का तमाम संचालन हरियाणा के सिख समाज के लोगों द्वारा ही किया जाए। इसमें कोई बाहरी हस्तक्षेप उचित नहीं है। हरियाणा के गुरुघरों में काम करने वाले कर्मचारियों का तमाम खर्च भी हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी ही वहन करेगी।

भारत भूषण भारती ने आगे कहा कि यहां गुरुघरों में लोग श्रद्धा के चलते काफी दान देते हैं। इस श्रद्धा दान को हरियाणा के गुरुघरों में ही खर्च करने का प्रविधान सरकार ने किया है। प्रदेश के सिखों ने सरकार के इस फैसले की सराहना की है। अब हरियाणा के गुरुद्वारों में आने वाला दान-धर्म का पैसा हरियाणा से बाहर नहीं जाएगा और राज्य के गुरुद्वारों का रखरखाव तथा संचालन बढ़िया तरीके से हो सकेगा।

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2019 में दायर हुई थी याचिका

वर्ष 2019 में शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति ने भी अधिनियम को चुनौती देते हुए एक याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ता ने हरियाणा के कानून को यह तर्क देते हुए चुनौती दी थी कि राज्य विधानमंडल के पास गुरुद्वारा प्रबंधन के लिए एक निकाय बनाने के अधिकार नहीं हैं, यह शक्ति संसद के पास आरक्षित है।

हरियाणा के कानून को सिख गुरुद्वारा अधिनियम-1925, राज्य पुनर्गठन अधिनियम-1956, पंजाब पुनर्गठन अधिनियम-1966 के साथ-साथ अंतरराज्यीय निगम अधिनियम-1957 के उल्लंघन के रूप में चुनौती दी गई थी। 29 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाओं की स्थिरता के संबंध में हरियाणा सरकार द्वारा उठाई गई प्रारंभिक आपत्ति को खारिज कर दिया था और इस मामले को गुण-दोष के आधार पर विचार करने का निर्णय लिया था। हरियाणा में सिख गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी के चुनाव हो चुके हैं।