सौंडा में निकासी बड़ा मुद्दा, हुडा के पेयजल टैंक मचा रहे तबाही
जागरण संवाददाता, अंबाला शहर साल 2010 में नगर निगम के गठन के दौरान वार्ड बंदी हुई तो सौं
जागरण संवाददाता, अंबाला शहर
साल 2010 में नगर निगम के गठन के दौरान वार्ड बंदी हुई तो सौंडा गांव को भी इसमें शामिल किया गया। नई वार्डबंदी में सौंडा वार्ड आठ का हिस्सा बना। लोगों को उम्मीद बंधी कि उन्हें भी शहर जैसी सुविधाएं मुहैया होगी। लेकिन यह उनके लिए सपना ही रहा। बा¨शदे अभी भी पंचायती राज को ही बेहतर बता रहे हैं। करीब 2300 वोट वाले इस गांव के लिए निकासी सबसे बड़ा मुद्दा है। गांव के एक हिस्से के पानी की निकासी आज भी जोहड़ पर निर्भर करती है। वहीं, दूसरे हिस्से में विशेषकर वासुदेव नगर में सेक्टर-10 में बनाए गए पांच-पांच एमएलडी (मिलियन लीटर पर डे) के दो वाटर टैंक की लीकेज से लोगों के लिए निकासी की ऐसी समस्या खड़ी हो गई जो बड़ी आफत है। इस क्षेत्र में घरों व दुकानों के आसपास जलभराव की स्थिति बनी है जिससे दीवारें दरक रही है। वहीं, जिम्मेदार महकमे आंखें मूंदे हुए हैं। स्थानीय लोग पार्षद से लेकर सीएम व पीएम ¨वडो तक मामला ले जा चुके हैं।
गांव में सीवरेज तो दबाया गया है लेकिन वह चालू हालत में नहीं है। गांव में स्ट्रीट लाइटें लगी हैं लेकिन अधिकांश जलती नहीं। सौंडा के लोगों के मुताबिक पहले कोई समस्या होती थी तो सरपंच के पास जाकर हल करवा लेते थे लेकिन अब निगम में उनकी कोई सुनवाई नहीं करता। बा¨शदों के मुताबिक शहर के बराबर कुछ आया है तो वह बिजली पानी के बिल हैं पर सुविधाएं नहीं। निगम का टैक्स और जुड़ गया है। स्थानीय निरमैल ¨सह, निर्भय, देशराज, जयराम, हजारा ¨सह व मदन लाल के मुताबिक वासुदेव नगर में यही हालात रहे तो वह दिन दूर नहीं जब सभी लोग यहां से छोड़ कर चले जाएंगे।
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हर स्तर पर उठा चुके हैं आवाज
स्वामी महेश्वरानंद के मुताबिक हुडा के वाटर टैंक में नहर से सीधे पाइप से टैंक तक पानी जाता है। इतने सालों से इन टैंक की मरम्मत नहीं हुई। टैंक ओवरफ्लो होकर बहते हैं तो कभी पाइप लीक होती है। इस मामले में पार्षद से लेकर पीएम ¨वडो तक लिख चुके हैं। शिकायत के बाद यहां बांध लगा कर चले जाते हैं जबकि लीकेज ठीक करने की तरफ कोई ध्यान नहीं है।
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डेंगू से हो गई पति की मौत
महिला रा¨जद्र कौर के मुताबिक टैंकों से साफ पानी लीक हो रहा है। प्लांट से साफ नहरी पानी बह रहा है। जिसमें यहां हर बार डेंगू के केस सामने आते हैं। इसके चलते पिछले साल उसके पति की मौत हो गई। स्वास्थ्य विभाग की तरफ से कोई देखने नहीं आता। 10 साल से लोग परेशान हैं। बड़ी बात है कि इतनी शिकायतों के बाद भी कोई सुधार नहीं हुआ।
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पार्षद को मौके पर बुला कर दिखा चुके स्थिति
- निर्मल ¨सह ने बताया कि वह इस मामले में वार्ड 8 के पार्षद को मौके पर बुलाकर पूरा माजरा दिखा चुके हैं। इसके अलावा विधायक से लेकर स्वास्थ्य मंत्री तक लिख चुके हैं। हालात यह है कि लोग अपने मकान बेच कर जा रहे हैं। अधिकारी कोई आकर नहीं देखता। निगम से तो वह पंचायत में ही अच्छे थे।
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पानी में मकान डूबा
- महिला गीता ने बताया कि उसके मकान में पानी घुसा हुआ है। इन दिनों भी घर से रोजाना पानी निकालना पड़ रहा है। अभी भी ज्यादातर मकानों के आसपास जलभराव है। बरसात के दिनों में तो गलियां भी लबालब होती हैं। सांप व अन्य जीव जंतु घरों में घुस आते हैं। बरसासत में तो बड़ी मुश्किल है।
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सरकार नारे दे रही, यहां आकर हकीकत देखो
- देवेंद्र कुमार ने बताया कि सरकार पानी बचाने के नारे दे रही है लेकिन अफसर इन पर पानी फेर रहे हैं। हकीकत क्या है आकर देखें तो कुछ पता चले। अपनी जीवन भर की पूंजी से मकान व दुकानें बनाने वाले लोगों को यहां तबाही झेलनी पड़ रही है।
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इतने सालों में कोई सुनवाई नहीं
- दलबीर ¨सह ने बताया कि करीब 10 साल से यहां यह समस्या बनी हुई है लेकिन कोई उनकी सुनवाई नहीं कर रहा है। यहां स्थायी हल निकालने के बजाय कालोनी के आसपास बांध सा बनाया हुआ है पर उससे पानी नहीं रूक रहा। गांव में सीवरेज का कोई फायदा नहीं हुआ है।