आतंकियों की गोली से घायल रज्जाक मोहम्मद, अब जगा रहे देशभक्ति की अलख
कश्मीर में एक घर में घुसे आतंकियों को मौत के घाट उतारने के लिए सेना ने आप्रेशन पराक्रम चल रहा जो सफल रहा। इस आपरेशन में नारायणगढ़ के बड़ा गांव निवासी रज्जाक मोहम्मद को आतंकियों की दो गोली लगी जिसके बाद उन्हें पैरालाइज हो गया।
अंशु शर्मा, अंबाला
कश्मीर में एक घर में घुसे आतंकियों को मौत के घाट उतारने के लिए सेना ने आप्रेशन पराक्रम चल रहा जो सफल रहा। इस आपरेशन में नारायणगढ़ के बड़ा गांव निवासी रज्जाक मोहम्मद को आतंकियों की दो गोली लगी जिसके बाद उन्हें पैरालाइज हो गया। लेकिन, आज भी रज्जाक मोहम्मद में देश भक्ति का जज्बा बरकरार है। देशभक्ति का जुनून ना केवल अपने भाईयों के बच्चों में भर रहे हैं बल्कि गांव के बच्चों व युवाओं में भी अपने संघर्ष की कहानी से जोश भर सेना में जाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। सेना में भर्ती होने की हर बारीकियों से अवगत करवा रहा है। चाहे वह भर्ती होने के समय लिखित हो या फिर शारीरिक परीक्षा। सेना से जुड़ा कोई भी कार्यक्रम हो, वह शामिल होना नहीं छोड़ते। 40 वर्षीय रज्जाक मोहम्मद का कहना है कि जब तक शरीर में जान है जब तक देश सेवा का जज्बा बरकरार रहेगा। रज्जाक से प्रेरित होकर कई नौजवान सेना में भर्ती होकर उनके सपने को साकार कर रहे हैं। मकान में से भागते समय आतंकवादी ने मारी थी गोलियां
रज्जाक मोहम्मद का कहना था कि 2002 में उनकी पोस्टिग अनंतनाग के काजीकुंड में हुई थी। पहले वह 6 राजपुताना राइफल में थे, फिर उन्हें 9 राष्ट्रीय राइफल मिशन में पोस्ट कर दिया था। उस समय आतंकवादियों का खात्मा करने के लिए आप्रेशन पराक्रम चल रहा था। 23 फरवरी 2002 को उन्हें सूचना मिली थी कि एक मकान में आंतकवादी छुपे हुए थे। कमांडर के आदेश पर एक जेसीओ सहित 10 जवान आंतकवादियों का सामना करने के लिए निकले थे। मकान का घेराव करने के लिए एक घंटा फायरिग चली। लाइफ जैकेट पहनकर पोजीशन पर था कि एक आंतकवादी उसकी तरफ से भागने लगा। उसने कई गोलियां चलाई, उनमें से दो गोलियां लाइफ गार्ड जैकेट के साइड से लग गई और रीड़ की हड्डी टूटने के बाद पैरालाइज हो गया। बंटवारे के समय पूर्वजों ने चुना था भारत
देश प्रेम का जज्बा रज्जाक मोहम्मद के खून में है। रज्जाक का कहना था कि भारत-पाकिस्तान बंटवारे के समय वह यहीं रहते थे। उस समय उनके पूर्वजों ने अपने अपने देश यानी भारत में ही रहना चुना था। उनसे पहले कोई सेना में नहीं था। जब वह 9वीं कक्षा में हुए थे तो पड़ोस में रहने वाले सेना के जवान गुलजार मोहम्मद से सेना में जाने के लिए प्रेरित हुए। तभी से उनमें देश पर मर मिटने का जज्बा है। खुद शादी ना करवाने पर अपने भाई के बेटे आदिल को गोद ले लिया। अब वह अपने परिवार से आदिल व भाई के बेटे आसिम को सेना में जाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। उन्हें सेना से जुड़े हर कार्यक्रम में ले जाते हैं।