टीएंडसी घोटाले के तीसरे मामले को भी क्राइम ब्रांच को सौंपने की तैयारी
सौ करोड़ रुपये अधिक के टीएंडसी सोसाइटी का घोटाला निवेशकों के सब्र का बांध तोड़ रहा है। रिकवरी के नाम पर कुछ नहीं है जबकि निवेशक लगातार सामने आ रहे हैं। इस घोटाले के दो मामलों की जांच जहां पहले ही क्राइम ब्रांच कर रही है वहीं मंगलवार को दर्ज हुए मामले की जांच को भी क्राइम ब्रांच के हवाले करने की तैयारी है।
संवाद सहयोगी, नारायणगढ़ : सौ करोड़ रुपये अधिक के टीएंडसी सोसाइटी का घोटाला निवेशकों के सब्र का बांध तोड़ रहा है। रिकवरी के नाम पर कुछ नहीं है जबकि निवेशक लगातार सामने आ रहे हैं। इस घोटाले के दो मामलों की जांच जहां पहले ही क्राइम ब्रांच कर रही है, वहीं मंगलवार को दर्ज हुए मामले की जांच को भी क्राइम ब्रांच के हवाले करने की तैयारी है। मंगलवार को तीन शिकायतकर्ताओं ने थाना नारायणगढ़ में शिकायत दी, जिसमें करीब पौने दो करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप लगाया गया है। फिलहाल पुलिस ने रामकरण वालिया की शिकायत पर सोसाइटी प्रधान कुलदीप कुमार, उपप्रधान सुनील कुमार, कैशियर रसाल चंद सहित, विनोद कुमार, पवन कुमार, सोम नाथ, अमित कुमार, रणधीर कुमार, विपिन कुमार, अंकित कुमार, सुमित दीवान, साहिल दीवान, सुमन दीवान, शारदा रानी, कमलेश रानी, अनिल दीवान, रितु रानी, मास्टर हमीर सिंह, सुनैहरी देवी, ओम प्रकाश, नायब अली व प्रमाल सिंह के खिलाफ केस दर्ज किया है।
निवेशकों का दावा है कि सोसाइटी ने करीब दो सौ करोड़ रुपये का घोटाला किया है, जबकि निवेशकों के रुपये से प्रापर्टी खरीदी और आगे बेच दी। इस मामले में हरप्रीत कौर, वियज बाला, पीयूष मौदगिल की शिकायतों को भी जोड़ा गया है। उल्लेखनीय है कि एक आरोपित पवन कुमार की मौत हो चुकी है, जबकि फिलहाल कुलदीप सिंह, सुनील कुमार दीवान, रसाल चंद, विनोद कुमार व हमीर सिंह गिरफ्तार हैं। इस मामले में पुलिस ने अभी तक करीब दस हजार रुपये की ही रिकवरी की है।
---------------- यह है मामला
सुनील कुमार, दीवान, रसालचंद, विनोद शर्मा स्टेट बैंक आफ इंडिया नारायणगढ़ शाखा में कार्यरत थे। बैंक में अपने रुपये जमा करवाने आने वालों को आरोपित बताते कि उन्होंने दी नेशनल बैंक इंप्लाइज अदर पब्लिक कोआपरेटिव टीएंडसी सोसाइटी लिमिटेड नारायणगढ़ बनाई है। यदि निवेशक इस में एफडी करवाते हैं तो उनको 13 फीसद सालाना ब्याज दिया जाएगा। यह भी दावा किया जाता कि आवश्यकता होने पर तुरंत ही एफडी तोड़कर रुपया ले भी सकते हैं। निवेशकों ने अपनी प्रापर्टी बेचकर या फिर किसी अन्य माध्यम से रुपया जुटाया और इस सोसाइटी में एफडी करवा दी।
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1000 एफडी का रिकार्ड नहीं
सोसाइटी में निवेशकों ने खून पसीने की कमाई को निवेश किया। आरोपितों ने हाउसिग सोसाइटी में फ्लैट सहित अन्य प्रापर्टी में निवेश किया। धीरे-धीरे करके इन प्रापर्टी को अच्छे दामों पर बेच भी दिया। आरोपित एफडी का डिपाजिट तो लेते जिसकी एफडी जारी भी करते, लेकिन रिकार्ड में नहीं रखते। करीब एक हजार एफडी 57001 से लेकर 58000 सीरियल तक जारी हुई, लेकिन इसका रिकार्ड अपनी बैलेंस शीट में नहीं दर्शाया।
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शिकायत के आधार पर केस दर्ज कर लिया गया है। मामले की जांच की जा रही है।
- जय गोपाल, जांच अधिकारी