नागरिक अस्पताल में घुटने व कुल्हे रिप्लेसमेंट के ऑपरेशन, रेफर सिस्टम से मिला छुटकारा
हड्डियों की ओपीडी में खराब घुटने व कुल्हे से परेशान होकर आने वाले मरीजों को राहत मिल गई है। घुटनों व कुल्हे बदलवाने के लिए उन्हें प्राइवेट अस्पतालों व चंडीगढ़ पीजीआइ के चक्कर काटने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
अंशु शर्मा, अंबाला
हड्डियों की ओपीडी में खराब घुटने व कुल्हे से परेशान होकर आने वाले मरीजों को राहत मिल गई है। घुटनों व कुल्हे बदलवाने के लिए उन्हें प्राइवेट अस्पतालों व चंडीगढ़ पीजीआइ के चक्कर काटने की जरूरत नहीं पड़ेगी। बल्कि आधुनिक सुविधाओं के लैस छावनी के नागरिक अस्पताल में ही अब इन मरीजों के मर्ज का उपचार हो जाएगा। इसकी शुरुआत बुधवार को नागरिक अस्पताल में घुटना बदलने के जटिल ऑपरेशन से हुई। मोहड़ा निवासी 51 वर्षीय स्वरूप सिंह का तीन साल पहले हुए सड़क हादसे के दौरान जिस मरीज के घुटने में दर्द था और तीन माह से चलना तक मुश्किल हो गया था। इस सर्जरी के बाद वह दोबारा से चल ही नहीं बल्कि दौड़ने में सक्षम हो जाएगा। इसके ऑपरेशन के बाद दूसरे मरीजों के लिए भी रास्ते खुल गए। इस ऑपरेशन के लिए मरीज को महज नकली घुटने की ही कीमत व दवाईयां का खर्च चुकाना पड़ा। ना केवल मरीजों को खर्च कम होगा और समय के भी बचत होगी।
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ऑपरेशन के बाद डॉ. की निगरानी में रखा मरीज
नागरिक अस्पताल में घुटना बदलने का पहला ऑपरेशन होने के कारण मरीज को निगरानी में रखा गया है। हड्डियों के विशेषज्ञ डॉ. गौरव सिगला व उनकी टीम द्वारा पहला ऑपरेशन किया गया। पहले इसके लिए मरीज को रेफर किया जाता था। ज्यादातर बुढ़ापे के अंदर ही इस तरह की समस्या आती है जब घुटनों में दर्द रहना और खड़े होने तक में दिक्कत शुरू हो जाती है। धीरे-धीरे घुटने जाम हो जाते हैं। इसी तरह सड़क हादसे के अंदर घुटने में चोट लगने के कारण भी यह स्थिति बनी जाती है। जिस कारण घुटने को ही बदलना पड़ता है। यहीं अस्पताल में ऑपरेशन करने से मरीजों को भटकने की जरुरत नहीं पड़ेगी। हालांकि ऑपरेशन के लिए मरीज को जरूर नकली घुटने की राशि चुकानी पड़ेगी जो हजारों में है। लेकिन उपचार के अंदर खर्च होने वाले लाखों रुपये के खर्च से छुटकारा मिलेगा।
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कुल्हा बदलने का सफल ऑपरेशन, बढ़ी मरीजों की संख्या
घुटना ही नहीं अस्पताल में कुल्हा बदलने का भी सफल ऑपरेशन हो चुका है। यहीं कारण है कि जो मरीज पहले प्राइवेट अस्पताल में जाते थे वह अब यहां अपना कुल्हा भी पूरा बदलवा सकते हैं। अभी तक अस्पताल में 8 मरीजों के कुल्हे बदले जा चुके हैं। डॉ. गौरव सिगला का कहना है कि अस्पताल में पहला आप्रेशन इस्माइलाबाद निवासी 70 वर्षीय गुरमुख सिंह का हुआ। जो आप्रेशन के बाद पुरी तरह से दुरुस्त है। इस ऑपरेशन के बाद से ओपीडी में ऐसी मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है और आप्रेशन भी किए जा रहे हैं।
वर्जन
पहले अस्पताल में घुटना व कुल्हा बदलने का ऑपरेशन नहीं होता था। अब इसकी भी सुविधा शुरू हो गई है। घुटना बदलने का पहला आप्रेशन हुआ है। कुल्हा बदलने के ऑपरेशन के बाद मरीजों की संख्या भी काफी बढ़ी है। मरीजों को प्राइवेट अस्पतालों व पीजीआइ के चक्कर काटने की जरूरत नहीं है।
-डॉ. गौरव सिगला, हड्डियों के विशेषज्ञ, नागरिक अस्पताल अंबाला छावनी