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अंबाला में बना उत्तर भारत का पहला रामायण भवन, कोई भी कर सकेगा शोध

हरियाणा के अंबाला में अनोखा रामायण भवन स्‍थापित किया गया है। इसके उत्‍तर भारत का इस तरह का पहला रामायण भवन होने का दावा किया जा रहा है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Sun, 02 Feb 2020 08:19 AM (IST)Updated: Sun, 02 Feb 2020 08:19 AM (IST)
अंबाला में बना उत्तर भारत का पहला रामायण भवन, कोई भी कर सकेगा शोध

अंबाला शहर, [अवतार चहल]। यहां प्रीतनगर में अनोखा रामायण भवन बनाया गया है। इसमें विश्वभर की भिन्न भाषाओं में लिखी और अनूदित रामायण के अतिरिक्त रामायण संबंधित की रचनाएं भी उपलब्ध कराई जाएंगी। इसके संचालकों का कहना है कि यह उत्‍तर भारत में इस तरह का पहला रामायण भवन है। इस रामायण प्रसार-परिशोध प्रतिष्ठान को एक न्यास के अंतर्गत चलाया जाएगा। ऐसा प्रयास है कि यदि रामायण पर कोई शोध कार्य करना चाहेगा, तो उसे रामायण या इससे संबंधित ग्रंथ व पुस्‍तकें यहां उपलब्ध हो जाएंगी।

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विश्व की विभिन्न भाषाओं में मूलरूप से लिखी और अनूदित रामायण कराई जाएंगी उपलब्ध

संस्थान के संयोजक प्रेम अग्रवाल ने बताया कि इस प्रकल्प की शुरुआत आज होगी। उन्होंने बताया कि वाल्मीकि रामायण को विश्व ग्रंथ बनाने का उद्देश्य है। रामायण, अन्य संबंधित ग्रंथ, साहित्य और अन्य व्यवस्थाएं समाज के सहयोग से होंगी।

न्यास के अंतर्गत चलाया जाएगा रामायण प्रसार-परिशोध प्रतिष्ठान, 415 भाषाओं की बनाई गई है सूची

प्रतिष्ठान को न्यास के अंतर्गत पंजीकृत कराया जाएगा। इसकी संपत्ति किसी की व्यक्तिगत संपत्ति न होकर न्यास की रहेगी। न्यास के सभी कार्य का माध्यम भी ङ्क्षहदी ही होगी। कई संस्थान रामायण के लिए कार्य कर रहे हैं, लेकिन उनका रामायण को विश्व ग्रंथ बनाने का पहला प्रकल्प है।

विभिन्‍न भाषाओं में कराया जाएगा वाल्मीकि रामायण का अनुवाद

संस्थान ने योजना बनाई गई है कि विश्वभर की विभिन्‍न भाषाओं में वाल्मीकि रामायण का अनुवाद कराया जाएगा। अभी तक कई भाषाओं में वाल्मीकि रामायण का अनुवाद नहीं हुआ है। न्‍यास के प्रेम अग्रवाल ने बताया कि हमने अभी तक 415 भाषाओं की सूची बनाई है, जिसे विश्व में प्रचलित हैं। केवल बाइबल ऐसा धर्म ग्रंथ है, जिसका विश्व की लगभग सभी भाषाओं में अनुवाद और प्रकाशन हुआ है। अब हम रामायण का विश्‍वभर की भाषाओं में अनुवाद कराना चाहते हैं।

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अनुवादकों से किया जा रहा संपर्क

संस्था के सदस्य अभिनव गुप्त ने बताया कि रामायण प्रसार-परिशोध प्रतिष्ठान वाल्मीकि रामायण का विश्व की सभी भाषाओं में अनुवाद और प्रकाशन करा कर रामायण को विश्व ग्रंथ बनाने को दृढ़ संकल्प है। इस दिशा में प्रतिष्ठान ने कार्य आरंभ भी कर दिया है। अभी तक करीबन एक लाख रुपये तक के ग्रंथ लाए जा चुके हैं। जनता के सहयोग से बाकी के लिये दानदाताओं का सहयोग लिया जा रहा है।

उन्‍होंने बतया कि न्‍यास डोगरी, तिब्बती और चीन की भाषा मंडारिन में रामायण के अनुवाद के लिए अनुवादकों से संपर्क कर रहा है। उन्होंने बताया कि राम कथा पर सबसे ज्यादा काम पद्मभूषण से विभूषित कामिल बुल्के ने किया है। जो काम बाकी रह गया है, उसे पूरा करने का लक्ष्य है।

उन्‍होंने बताया कि ऐसी बहुत सी रामायण, विशेषकर जैन आचार्यों और बौद्धों ने प्राकृत और अपभ्रंश में लिखी हुई हैं, जिनका अभी तक हिंदी या किसी भी भाषा में अनुवाद नहीं हुआ। प्राकृत, खरोष्ठि लिपि, ब्राह्मी लिपि के विद्वानों के भी संपर्क किया जा रहा है, ताकि इन भाषाओं में रामायण पर लिखे ग्रंथों का हिंदी में अनुवाद किया जा सके।

विश्व हैं ये कुछ रामायण

-गोस्‍वामी तुलसीदास कृत रामचरितमानस

-कृतिवास की बांग्ला रामायण

-तेलुगू की रंगनाथ रामायण

-तमिल में महाकवि कंब की लिखी रामायण

-एजुथचन की मलयालम रामायण

-संत एकनाथ की मराठी रामायण

-भानूभक्त की नेपाली रामायण

-बौद्ध परंपरा में दशरथ जातक, अनामक जातक और दशरथ कथानक

-जैन साहित्य में पउमचरियं (प्राकृत भाषा) उत्तर पुराण, रामचंद्र चरित्र पुराण

-कन्नड़ की तोरवे रामायण

-कन्नड़ में अभिनव पंपा की पंपा रामायण।

-ओडि़शा की रुईपादकातेणपदी रामायण।

-कुमारदास की संस्कृत में जानकीहरण।

-असमिया भाषा में माधव कंडाली की सप्तकंध रामायण।

-मराठी की भार्गव रामायण।

-हनुमान्नाटक रामायण।

-बर्मा की यूतोकी रामयागन।

-इंडोनेशिया की ककबिन रामायण।

-थाईलैंड की रामकियेन।

-तुर्किस्तान की रवेतानी रामायण।

-जावा की सैरीराम, रामकेलिंग रामकेर्ति।


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