नगर निगम में पूछताछ केंद्र के अभाव में भटक रहे लोग
नगर निगम कार्यालय समय 12 बजकर 5 मिनट।
जागरण संवाददाता, अंबाला शहर
नगर निगम कार्यालय, समय 12 बजकर 5 मिनट। पुलिसकर्मी अपनी ड्यूटी पर तैनात हैं। एक सरकारी गाड़ी खड़ी है जिसमें ड्राइवर मोबाइल चलाने में व्यस्त है। लोग अपने-अपने दस्तावेज लेकर खिड़की पर लाइन में लगे हुए हैं। हालांकि दो खिड़कियों को छोड़कर बाकी खाली पड़ी हैं या फिर आधार कार्ड बनवाने के लिए कतार लगी है। इसी दौरान कुछ लोगों की आंखें तलाश रही हैं कि कोई उन्हें रास्ता दिखा दे। इसमें युवा से लेकर बुजुर्ग भटक रहे हैं, कभी किसी से कभी किसी से पूछते हैं लेकिन बात फिर भी नहीं बन रही। इसी दौरान कुछ कर्मचारी घास पर आराम भी फरमा रहे हैं। फोटो - 28
नावल्टी रोड के रहने वाले केवल कुमार ने बताया कि उन्हें अपने बच्चों का जाति प्रमाण पत्र बनाना था, लेकिन यहां पर टैक्स की रसीद मांगी जा रही है। वह शहर में पिछले 50 साल से रह रहे हैं, लेकिन किराये पर हैं। टैक्स तो मकान मालिक अदा करता है। ऐसे में वह टैक्स की रसीद कहां से लेकर आये। इसके लिए वह पिछले कई दिनों से परेशान चल रहे हैं। नगर निगम में कई चक्कर लगा चुका हूं फिर भी कोई बात नहीं बन रही। फोटो - 29
छावनी के गोविद नगर की सुदर्शन जौली ने बताया कि उसके बेटे की पत्नी डायलिसिस से परेशान हैं। अभी छावनी अस्पताल में इलाज चल रहा है, लेकिन उसके बाद भी उनका काफी खर्च आ जाता है। जो उनके लिये संभव नहीं है। इस कारण वह पहले एसडीएम कार्यालय में धक्के खा चुके हैं, बाद में उन्हें पता चला कि नगर निगम में इसके लिये लिखाना पड़ेगा। इस पर वह नगर निगम कार्यालय में काफी देर से घूम रहीं हैं, लेकिन यहां पर कोई बताने वाला ही नहीं है। फोटो - 30
शहर के महावीर नगर के वुद्धा ने बताया कि उन्हें अपने बच्चे का जन्म प्रमाण पत्र बनाना है। इसके लिये पिछले काफी समय से नगर निगम में चक्कर काट रहा हूं। परंतु यहां कोई कुछ भी बताने को तैयार नहीं है। उसका पूरा दिन नगर निगम में ही गुजर गया है। नगर निगम को एक कर्मी की ड्यूटी पूछताछ करने वालों के लिये लगानी चाहिए। पूछताछ केंद्र बनाना चाहिए। अब यहां जिसे भी पूछा जाता है यही जवाब मिलता है उन्हें जानकारी नहीं। फोटो - 31
जगाधरी गेट पुली क्षेत्र की रहने वाली किरणबाला ने बताया कि उनके घर के पास स्ट्रीट लाइट लगी है, लेकिन उसकी बत्ती बंद ज्यादा रहती है। इसके लिये वह नगर निगम में पहले दो-तीन बार शिकायत दे चुकी हैं। परंतु हालात आज भी वहीं हैं। जब शिकायत देती हैं तो कोई निगम की ओर से जाता है और वहां पर खानापूर्ति कर लौट आता है। इस कारण दूसरे दिन ही ट्यूब लाइट बंद हो जाती है।