ई-पंचायत प्रणाली के खिलाफ गरजे सरपंच व ग्राम सचिव, विकास में बताया बाधक
प्रदेश सरकार एक अप्रैल से ई-पंचायत प्रणाली शुरू करने जा रही है, दूसरी ओर संसाधन उपलब्ध नहीं करा रही है। यह कहना है सरपंचों का। उन्होंने ई-पंचायत प्रणाली के विरोध में धरना दिया।
जागरण संवाददाता, अंबाला शहर :
प्रदेश सरकार एक अप्रैल से ई-पंचायत प्रणाली शुरू करने जा रही है और इससे पहले सरपंच एवं ग्राम सचिव ही इसके विरोध में उतर आए हैं। सरपंचों एवं ग्राम सचिवों का स्पष्ट कहना है कि इस योजना को लागू करने से पहले न तो उन्हें कोई जानकारी दी गई और न ही ग्राम सचिवालयों में जरूरी बंदोबस्त ही किए गए। इसके बावजूद सरकार योजना लागू करने जा रही है। बृहस्पतिवार जिले के करीब सवा तीन सौ सरपंच एवं ग्राम सचिवों ने ई-पंचायत प्रणाली के विरोध में डीसी कार्यालय पर धरना भी दिया। सरपंच यूनियन के जिला प्रधान नेत्रपाल राणा के नेतृत्व में लामबंद हुए सरपंचों एवं ग्राम सचिवों ने कहा कि जब तक सरकार जरूरी बंदोबस्त और उनकी मांगों को लेकर कोई कदम नहीं उठाती तब तक वह प्रशासन से सहयोग नहीं करेंगे और 28 मार्च को सीएम आवास चंडीगढ़ पर धरना देंगे। यूनियन ने एडीसी शक्ति ¨सह को मुख्यमंत्री के नाम अपनी मांगों का ज्ञापन भी सौंपा।
बराड़ा खंड के गांव सीरसगढ़-दोसड़का के सरपंच एवं यूनियन के जिला प्रधान नेत्रपाल राणा ने बताया कि वह इस योजना का विरोध बेवजह नहीं कर रहे हैं। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उनके बराड़ा खंड में 67 गांवों पर 6 ही ग्राम सचिव हैं। एक एक ग्राम सचिव के पास करीब 11 पंचायतें हैं। खंड में बीडीपीओ का पद नियमित पद लंबे समय से खाली है। ऐसा ही हाल दूसरे खंडों का भी है। पांच से छह गांवों पर एक ग्राम सचिवालय है लेकिन यहां आपरेटर तक की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। जिस जगह हैं वहां वाई-फाई नहीं चलने से पहले मैनुअल ढंग से दस्तावेज तैयार करने पड़ते हैं बाद में उसे आनलाइन करना पड़ता है। जबकि ग्राम सचिवालय में ही आधार कार्ड, डोमिसाइल, जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र व वोट कार्ड आदि दस्तावेज बनाए जाने होते हैं। पहले जरूरी संसाधन जुटाती उसके बाद योजना लागू कर देती।
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सरपंचों एवं ग्राम सचिवों की मांगें
- समिति इस प्रणाली की अपेक्षा हरियाणा पंचायती राज एक्ट-1994 को लागू करने की मांग कर रही है। समिति ने अपने ज्ञापन के माध्यम से ग्राम सचिव की शैक्षणिक योग्यता स्नातक करने व सचिव का वेतन पटवारी के समान ग्रेड पे 2400 के हिसाब से निर्धारित करने की मांग की। सांसद एवं विधायकों की तर्ज पर मानदेय बढ़ाने की मांग की। सरपंचों के मुताबिक उनका 3 हजार रुपये मानदेय बेहद कम है। इसी प्रकार ग्राम सचिवों को 20 रुपये प्रति माह का साइकिल भत्ता दशकों पुराना है जबकि अब इसे बढ़ाए कर कम से कम 5 हजार रुपया मासिक किया जाए। इसके अलावा गांव में राशन कार्ड बनवाने, प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत गरीब परिवारों को गांवों में भी मकान देने, मूलभूत सुविधाओं के विकास के लिए ग्राम पंचायतों को पर्याप्त बजट देने व ग्राम सचिवालयों में पर्याप्त सुविधाएं विकसित करने की मांग है।
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जनता को परेशान नहीं करेंगे
-सरपंच यूनियन के जिला प्रधान नेत्रपाल राणा के मुताबिक उनका जनता से कोई विरोध नहीं है और उनके काम प्रभावित नहीं होने देंगे। हालांकि, उनकी मांगों के मानने तक वह अपना विरोध जारी रखेंगे। सरपंच ई-पंचायत प्रणाली के विरोध में नहीं है लेकिन जिस प्रकार से सरपंचों को बताए बिना प्रणाली लागू की जा रही है उससे लगता है कि सरकार को सरपंचों पर भरोसा ही नहीं है।
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