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150 अस्पताल, नर्सिंग होम को परिषद की नोटिस

अब नगर परिषद अंबाला सदर ने बायो मेडिकल वेस्ट को उसके निर्धारित स्थान पर ठिकाने लगाने के लिए 150 से अधिक निजी अस्पताल नर्सिंग होम डेंटल क्लीनिक हड्डी क्लीनिक के साथ पैथोलॉजी सेंटर को नोटिस थमाया है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 08 Jul 2020 09:47 AM (IST)Updated: Wed, 08 Jul 2020 09:47 AM (IST)
150 अस्पताल, नर्सिंग होम को परिषद की नोटिस

जागरण संवाददाता, अंबाला : छावनी के बाजार से लेकर कालोनी और गलियों की सड़कों को साफ-सुथरा करने के लिए तरह-तरह के प्रयोग किए जा रहे हैं। अब नगर परिषद अंबाला सदर ने बायो मेडिकल वेस्ट को उसके निर्धारित स्थान पर ठिकाने लगाने के लिए 150 से अधिक निजी अस्पताल, नर्सिंग होम, डेंटल क्लीनिक, हड्डी क्लीनिक के साथ पैथोलॉजी सेंटर को नोटिस थमाया है। नोटिस में प्रशासन की तरफ से बायो मेडिकल वेस्ट का निस्तारण करने के लिए इन संस्थानों को रुद्राक्ष कंपनी से अनुबंध करना होगा। अनुबंध के बाद बायो मेडिकल कचरे का सही ढंग से निस्तारण हो सकेगा।

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स्वास्थ्य विभाग को अक्सर शिकायतें मिलती हैं कि कुछ प्राइवेट हॉस्पिटल अपने यहां से निकलने वाले बायो मेडिकल वेस्ट खुले में फेंकते हैं। अस्पताल, नर्सिंग होम और पैथोलॉजी सेंटर से बायो मेडिकल वेस्ट ज्यादा निकलते हैं। कई बार यह भी देखने को मिलता है कि प्राइवेट स्टाफ को बायो मेडिकल वेस्ट रखने के बारे में ठीक तरह से जानकारी नहीं होती है। इस वजह से वह उसे प्रॉपर जगह पर नहीं रखते हैं। अस्पताल से निकलने वाले अपशिष्ट (बेकार पदार्थ) का सही प्रकार से निवारण करना आवश्यक होता है, वरना कई तरह के रोग फैलने की आशंका बनी रहती है।

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5 से 10 फीसद वेस्ट होता है घातक

स्वास्थ्य महकमे से मिली जानकारी के अनुसार केंद्र सरकार ने ऐसा अनुमान लगाया है कि प्रति बेड प्रति अस्पताल में 1-2 किलो और प्रत्येक क्लीनिक पर 600 ग्राम प्रतिदिन मेडिकल वेस्ट/ मेडिकल कूड़ा पाया जाता है। इस तरह से अगर कोई 100 बेड का अस्पताल है तो वहां पर प्रत्येक दिन 100 से 200 किलो मेडिकल वेस्ट/मेडिकल कचरा उत्पन्न होता है। इनमें करीब 5-10 प्रतिशत मेडिकल वेस्ट घातक और संक्रामक होता है। जो कि 100 बेड के अस्पतालों में करीब 3 से 10 किलो प्रतिदिन हो सकता है।

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मेडिकल कचरे से फैलती हैं बीमारियां

बायो मेडिकल कचरा पर्यावरण के लिए बहुत खतरनाक है। इससे न केवल घातक बीमारियां फैलती हैं बल्कि जल, थल और वायु सभी दूषित होते हैं। बायो मेडिकल कचरा भले ही एक अस्पताल के लिए मामूली कचरा हो, लेकिन मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के अनुसार यह मौत का सामान है। ऐसे कचरे से इंफेक्शन, एचआइवी, महामारी, हेपेटाइटिस जैसी बीमारियां होने का भी डर बना रहता है।

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रुद्राक्ष कंपनी का रेट

- छोटे अस्पताल से प्रति महीना बायो मेडिकल वेस्ट उठाने के लिए 1000 रुपये।

- बड़े अस्पताल से प्रति महीना बायो मेडिकल वेस्ट उठाने के लिए 1600 रुपये।

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फोटो : 06

अनुबंध कर रखा है : डा. गोयल

डॉ. डीएस गोयल बताते हैं कि हमारी संस्था के सभी डाक्टरों ने पहले से ही रुद्राक्ष कंपनी से अनुबंध कर रखा है। अस्पताल की क्षमता के अनुसार कंपनी हर महीने निर्धारित शुल्क लेती है और नियमित समय से बायो मेडिकल वेस्ट उठाकर ले जाती है। नगर परिषद अंबाला सदर को इस तरह की नोटिस जारी करने से पहले आइएमए के प्रधान से वार्ता करनी चाहिए थी।

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फोटो : 07

आइएमए पहले से कंपनी को दे रहा बायो मेडिकल वेस्ट : जसपाल

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व नेशनल वाइस प्रेसीडेंट डीएस जसपाल कहते हैं कि हम पहले से ही अपने अस्पताल का कचरा रुद्राक्ष कंपनी को देते आ रहे हैं। हमारे पास प्रदूषण नियंत्रण कंट्रोल बोर्ड से एनओसी भी है।


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