अंबाला में बारिश से जलभराव को लेकर विधायक और मेयर आमने-सामने
मानसून की झमाझम बारिश के बाद जहां सरकारी दावों की पोल खुल गई वहीं इसी को लेकर जनप्रतिनिधि भी अपने-अपने तर्क देने लगे हैं। हालांकि इसका खामियाजा जनता भुगत रही है जबकि अभी राहत मिलती दिखाई नहीं दे रही।
जागरण संवाददाता, अंबाला : मानसून की झमाझम बारिश के बाद जहां सरकारी दावों की पोल खुल गई, वहीं इसी को लेकर जनप्रतिनिधि भी अपने-अपने तर्क देने लगे हैं। हालांकि इसका खामियाजा जनता भुगत रही है, जबकि अभी राहत मिलती दिखाई नहीं दे रही। अंबाला शहर के विधायक असीम गोयल जहां बरसाती पानी निकासी के लिए बनाई गई व्यवस्था को पहले की तुलना में बेहतर बता रहे हैं, वहीं नगर निगम अंबाला की मेयर शक्तिरानी शर्मा इस में निगम के अफसरों को जिम्मेदार बता रही हैं। चाहे जो भी हो, लेकिन खींचतान के चलते लोगों को जलभराव या फिर यूं कहें कि बाढ़ जैसे हालातों से राहत नहीं मिल रही है। विधायक गोयल ने कहा कि मेजर राजनीति कर रही हैं, फील्ड में हम रोज नजर आते हैं, जनता को सब पता है।
विधायक असीम गोयल ने कहा कि बरसाती पानी निकासी की व्यवस्था अब बेहतर है। इससे पहले की सरकार में पानी दो से तीन दिनों तक नहीं उतरता था, जबकि कुछ घंटों में पानी की निकासी हो जाती है। गोयल ने कहा कि जलभराव की स्थिति से निपटने के लिए बनूड़ी नाके से घग्घर ड्रेन तक करीब 5 करोड़ रुपए की लागत से नए नाले का निर्माण कार्य किया जाएगा। नाले के निर्माण को लेकर पाइप भी आ चुकी हैं और जल्द ही इस कार्य को शुरू कर दिया जाएगा। इस कार्य के लिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) से काफी जद्दोजहद करनी पड़ी थी। अलग-अलग ड्रेनों के माध्यम से जो बरसाती पानी बनूड़ी नाके पर आता है, उसे यहां से अंबाला ड्रेन के माध्यम से घग्घर ड्रेन तक डालने का काम किया जाएगा ताकि जल भराव की स्थिति से निपटा जा सके।
दूसरी ओर नगर निगम की मेयर शक्तिरानी शर्मा ने बरसात के बाद बने हालातों का ठीकरा अफसरों पर फोड़ा है। उन्होंने सीधा कहा कि लापरवाह और भ्रष्ट अफसरों को बर्दाश्त नहीं किया जागएा। जिन अधिकारियों व ठेकेदारों को नालों की सफाई की जिम्मेदारी दी गई थी, उन पर भी कार्रवाई होनी चाहिए। मेयर ने नगर निगम के कमिश्नर धीरेंद्र खडगटा व अधिकारियों के साथ बैठक की। बैठक में मेर ने कहा कि पानी निकासी की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। यही नहीं लापरवाह अधिकारियों व नालों की सफाई में लापरवाही बरतने वाले ठेकेदार पर भी कार्रवाई की जाए।लाखों रुपये नालों की सफाई आदि पर खर्च किए गए हैं, तो फिर ऐसे हालात क्यों बने हैं। लापरवाह अधिकारियों अथवा कर्मचारियों को छोड़ा नहीं जाएगा, कार्रवाई होगी।