लापता बेटी के मिलने की आस खो चुका था परिवार, पुलिस ने हिम्मत नहीं हारी, बनी मसीहा Panipat News
सात साल पहले 15 साल की बेटी लापता हो गई थी। परिवार ने उम्मीद खो दी थी लेकिन पुलिस ने हिम्मत नहीं हारी। पुलिस ने परिवार को खोज निकाला।
पानीपत/अंबाला, जेएनएन। पुलिस पर आरोप तो कई बार लगते सुने होंगे। लेकिन पुलिस का एक ऐसा कारनामा सामने आया है कि जिससे उन्हें सलाम करने का मन करता है। मानसिक स्थिति बिगड़ने के कारण मध्य प्रदेश के जिला सतना से सात साल पहले किशोरी लापता हो गई थी। किशोरी घर का पता नहीं बता पा रही थी। न परिवार का पता न गांव का। बावजूद पुलिस ने हिम्मत नहीं हारी और सात साल पहले परिजनों से बिछड़ी शालू को उसके परिवार से मिला दिया।
पंचकूला पुलिस की स्टेट क्राइम ब्रांच ने लंबी जिद्दोजहद के बाद परिजनों को अंबाला मदर टेरेसा होम में बुलाया। 15 साल की उम्र में बिछड़ी बेटी को जवान देखकर माता के आंसू झलक उठे। बेटी के गले लगकर सात साल के दुख को सांझा किया। पुलिस ने परिजनों व शालू के दस्तावेजों का मिलान कर उन्हें सौंप दिया। इस टीम में एएसआइ राजेश व हेडकांस्टेबल भूपेंद्र सिंह ने अहम भूमिका निभाई।
राजेश का कहना था कि शालू 2012 की उम्र में जिला सतना स्थित अपने घर से अचानक लापता हो गई थी। परिजनों के तलाशने के बावजूद कोई सुराग नहीं लगा था। 1 अक्तूबर 2013 को शालू छावनी रेलवे स्टेशन पर लावारिस हालत में मिली थी। जिसके बाद सीडब्लयूसी ने उसे छावनी के मदर टेरेसा होम में छोड़ दिया था। जहां उसकी परवरिश की जा रही थी। मानसिक रूप से परेशान होने के कारण उस समय शालू कोई जानकारी नहीं दे पा रही थी। हालांकि पड़ाव थाने में इस संबंध में डीडीआर भी काटी गई थी। आखिर में स्टेट क्राइम ब्रांच की टीम ने शालू की काउंसिलिंग परिजनों का पता लगाया।
एक माह लगातार चली काउंसिलिंग से मिली सफलता
एक माह पहले ही पंचकूला स्टेट क्राइम ब्रांच की टीम ने मदर टेरेसा होम में जाकर शालू की काउंसिलिंग शुरू कर दी। शुरूआत में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं हो सकी, लेकिन जैसे-जैसे काउंसिलिंग बढ़ती गई तो शालू ने अपने जिला सतना गांव करौंदी व मां का नाम आशा सोंधिया, पिता का वैजनाथ सोंधिया बताया था। इस जानकारी के आधार पर टीम ने पहले नेट के जरिए जिला पता किया। जब गांव करौंदी के मुखिया से संपर्क किया गया तो पता चला कि यह परिवार जिला सतना में रहते हैं, फिर सतना के अंदर कोतवाली थाने से संपर्क किया। काफी प्रयास के बाद पिता उन्हें पप्पू ढाबे पर मिले। मोबाइल में फोटो दिखाने पर परिजनों ने अपनी बेटी को पहचान लिया।