गोवंशों के लिए और गोशालाएं बनाई जाएं
जिले में गोचरान की 3255 एकड़ जमीन है लेकिन गोवंश को रखने के लिए गिनी-चुनी ही गोशालाएं हैं। इनमें काफी हद तक गोवंश रखे हैं। बावजूद काफी संख्या में गोवंश सड़कों पर घूम रहे हैं।
जागरण संवाददाता, अंबाला शहर : जिले में गोचरान की 3255 एकड़ जमीन है, लेकिन गोवंश को रखने के लिए गिनी-चुनी ही गोशालाएं हैं। इनमें काफी हद तक गोवंश रखे हैं। बावजूद काफी संख्या में गोवंश सड़कों पर घूम रहे हैं। यहां तक कि पेट भरने के लिए गोवंश को कचरे के ढेर में मुंह मारना पड़ रहा है या फिर पॉलिथीन खा रहे हैं। जिस कारण कुछ ही दिनों बाद गोवंश दम तोड़ जाते हैं।
कबीर आश्रम के चैतन्य महाराज ने बताया कि गोवंश को बचाने के लिये गोशालाएं बनाई गई हैं, लेकिन इनकी संख्या कम है। गोवंशों को बचाने के लिए और गोशालाएं बनानी होंगी। अभी तक सुल्लर और टंगैल में ही सरकार की ओर से बनायी गई गोशाला है। अन्य गोशालाओं को संस्थाएं चला रही हैं। यदि हर गांव या हर पंचायत स्तर तक गोशालाएं नहीं बनाई जा सकती हैं तो उस स्थिति में पंचायतों की सीमा निर्धारित की जा सकती है। जिनमें इतनी संख्या की पंचायत में एक गोशाला हो।
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अन्य विभागों की तरह डीसी रेट पर मिले कर्मी
टंगैल गोशाला के प्रधान सुनील ने बताया कि गोशाला में कर्मचारियों की सैलरी की दिक्कत आती है। जो सैलरी दी जाती है वह भी बेहद कम है। इस कारण कोई भी कर्मचारी काम करने को तैयार नहीं है। ऐसे में बड़ी मुश्किल से श्रमिकों को काम के लिए लेकर आते हैं। जिला प्रशासन जिस तरह अन्य विभागों में डीसी रेट पर नौकरी उपलब्ध करवाता है, उसी दर्ज पर गोशाला में कर्मी भेजे जाएं तो गोशालाओं में हर साल सौ पशु ले सकेंगे। उनकी गोशाला 13 एकड़ में बनी हुई है और उनके पास न जगह की कमी है और न ही चारा की।
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सड़कों पर गोवंश छोड़ने वालों पर हो कड़ी कार्रवाई
गोरक्षा दल के जगदेव संधू ने बताया कि जो लोग गोवंश को सड़कों पर छोड़ रहे हैं उन पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। घायल गोवंश को इलाज देते हैं और गो-तस्करों को पुलिस के साथ पकड़ते हैं। अगर इन्हें सड़कों न छोड़ा जाए तो हादसों की संख्या में कमी आएगी। डेयरियों में से थोड़ा बड़ा बछड़ा होने पर छोड़ दिया जाता है। नगर निगम ने जुर्माना भी लगाना शुरू किया था, लेकिन लोग जुर्माना देकर भी अपने पशु छुड़वा लाते हैं।