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लोकसभा चुनाव का बिगुल बजा, राजनीतिक दलों के कार्यालयों पर लटके हैं ताले

लोकसभा चुनाव का बिगुल बज गया है और इसके साथ ही विभिन्न राजनीतिक दलों के चुनावी चेहरों पर चर्चा भी शुरू हो चुकी है। विभिन्न राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं को चुनाव का बुखार चढ़ने लगा है। हालांकि जहां से राजनीतिक दलों का सारा चुनाव मैनेज होना है वह पार्टी कार्यालय इन सरगर्मियों से अछूते नजर आ रहे हैं। बृहस्पतिवार को अंबाला शहर के सेक्टर-8 स्थित इंडियन नेशनल लोकदल के जिला कार्यालय पर ताला लटका हुआ था। इसी प्रकार इन चुनावों में पहली बार किस्मत आजमाने के लिए उतरने वाली पार्टी जननायक जनता पार्टी का कार्यालय भी बंद नजर आया।

By JagranEdited By: Published: Sat, 16 Mar 2019 07:09 AM (IST)Updated: Sat, 16 Mar 2019 07:09 AM (IST)
लोकसभा चुनाव का बिगुल बजा, राजनीतिक दलों के कार्यालयों पर लटके हैं ताले
लोकसभा चुनाव का बिगुल बजा, राजनीतिक दलों के कार्यालयों पर लटके हैं ताले

जागरण संवाददाता, अंबाला शहर : लोकसभा चुनाव का बिगुल बज गया है और इसके साथ ही विभिन्न राजनीतिक दलों के चुनावी चेहरों पर चर्चा भी शुरू हो चुकी है। विभिन्न राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं को चुनाव का बुखार चढ़ने लगा है। हालांकि, जहां से राजनीतिक दलों का सारा चुनाव मैनेज होना है वह पार्टी कार्यालय इन सरगर्मियों से अछूते नजर आ रहे हैं। बृहस्पतिवार को अंबाला शहर के सेक्टर-8 स्थित इंडियन नेशनल लोकदल के जिला कार्यालय पर ताला लटका हुआ था। इसी प्रकार इन चुनावों में पहली बार किस्मत आजमाने के लिए उतरने वाली पार्टी जननायक जनता पार्टी का कार्यालय भी बंद नजर आया। महज कांग्रेस का कार्यालय खुला था लेकिन यहां भी कोई रौनक नहीं थी। अकेले कार्यालय प्रभारी एवं पार्टी प्रवक्ता नायब सिंह सैनी ही बैठे नजर आए। हालांकि, विभिन्न राजनीतिक दलों के इन कार्यालयों में अभी रौनक नहीं होने की वजह पार्टी के प्रत्याशियों के चेहरे साफ नहीं होना भी माना जा रहा है। राजनीति के जानकारों के मुताबिक जब पार्टी अपने अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर देंगी तो पार्टी कार्यालयों व प्रत्याशी के अपने कार्यालय पर खास रौनक रहेगी।

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अभी तक बसपा व लोसुपा के प्रत्याशी को लेकर ही लोकसभा की तस्वीर स्पष्ट हुई है। हालांकि, अभी भाजपा, कांग्रेस, इनेलो, जजपा व आम आदमी पार्टी जैसे दलों ने पत्ते नहीं खोले हैं। इसकी वजह प्रदेश की लोकसभा सीटों पर होने वाले चुनाव का अभी दूर होना भी है। हालांकि, प्रत्याशियों के लिए कयास लगाए जा रहे हैं। इसको लेकर पार्टी कार्यालयों की अपेक्षा सामाजिक प्रचार माध्यमों पर ज्यादा सरगर्मियां हैं।


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