कोरोना काल में वसीयत पर भी लॉकडाउन
कोरोना काल में वसीयत पर भी लॉकडाउन लगा रहा। इसके चलते वसीयत करवाने वालों का आंकड़ा कम हो गया है।
अवतार चहल, अंबाला शहर
कोरोना काल में वसीयत पर भी लॉकडाउन लगा रहा। इसके चलते वसीयत करवाने वालों का आंकड़ा कम हो गया है। जबकि पिछले साल अधिक लोगों ने अपनी वसीयत करवाई थी। हालांकि प्रदेश सरकार ने हाल ही में नियम भी सख्त कर दिए हैं क्योंकि अब लोगों को ऑनलाइन अप्वाइंटमेंट लेनी पड़ती है।
तहसील के आंकड़ों पर गौर करें तो जिला में पिछले वर्ष 970 ने वसीयत करवाई थी और इस साल 549 लोगों ने ही अपनी वसीयत करवाई है। जबकि 1 अप्रैल से लेकर 31 अगस्त तक पिछले साल 629 ने और इस साल इन महीनों में महज 267 लोगों ने ही अपनी वसीयत बनवाई है।
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दो तरह की होती है वसीयत
वसीयतें दो तरह की होती हैं। पहली, वकील से बनवाया जाता है, लेकिन इसे तहसील से रजिस्टर्ड नहीं कराया जाता है। इस वसीयत को कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है। दूसरी, तहसील में रजिस्टर्ड होने के बाद ही पक्की वसीयत मानी जाती है। इसी वसीयत के मुताबिक, बच्चों या परिवार में प्रॉपर्टी का बंटवारा किया जाता है। अगर किसी की तबीयत खराब है और वह अपनी वसीयत को रजिस्टर्ड करवाने के लिए तहसील नहीं जा सकता है तो एक आवेदन देकर तहसीलदार या नायब तहसीलदार को अपने घर पर बुलवाकर वसीयत को रजिस्टर्ड करवा सकता है।
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-वसीयत होता है कानूनी दस्तावेज
वसीयत एक कानूनी दस्तावेज होता है, जिसमें किसी व्यक्ति का नाम होता है, जो संपत्ति मालिक की मृत्यु के बाद उसकी जायदाद या व्यवसाय का मालिक बनता है। वसीयत करवाने वाला व्यक्ति इसमें बाद में बदलाव भी कर सकता है।
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-वसीयत झगड़े को करती है खत्म
वसीयत बनवाने समय विशेष ध्यान रखना होता है। क्योंकि यह दस्तावेज हमेशा संपत्ति मालिक की मृत्यु के बाद उसकी छोड़ी गई संपत्ति के मालिक बनाने का काम करती है। एक स्पष्ट और अच्छी तरह से लिखी वसीयत व्यक्ति के प्राकृतिक वारिसों में झगड़ा होने से बचाती है। यदि संपत्ति मालिक अपने धन या जायदाद को अपने प्राकृतिक वारिसों के अतिरिक्त किसी अन्य को देना चाहते है तो वसीयत का महत्व बढ़ जाता है।
------ 1 जनवरी से 31 अगस्त तक हुई वसीयत
अंबाला शहर - छावनी नारायणगढ़
2019 - 497 - 340 - 133
2020 - 307 - 175 - 67