कमीशनखोरी : सरकारी एंबुलेंस खड़ी रही, प्राइवेट में चल रहा रेफर का खेल
छावनी के नागरिक अस्पताल में निजी एंबुलेंस चालकों का सरकारी कर्मचारियों के साथ कमीशन का खेल चल रहा है। इसी कमीशन के लालच में सरकारी एंबुलेंस अस्पताल में उपलब्ध होने के बावजूद बाहर से निजी एंबुलेंस बुलाई जा रही है। बुधवार को ऐसे ही दो ताजे मामले सामने आए। कैथ लैब से दो अलग-अलग मरीजों को चंडीगढ़ रेफर किया गया था। उस वक्त अस्पताल में एक छोटी व एक बड़ी एंबुलेंस मौजूद होने के बावजूद भी बाहर से निजी एंबुलेंस बुलाकर मरीजों को रेफर किया गया। दोनों ही मरीजों के तिमारदारों से चालकों ने मनमाने रेट के मुताबिक रुपये वसूले। वहीं अस्पताल के सामने अवैध रूप से खड़ी होने वाली इन एंबुलेंस चालकों को पुलिस की भी पूरी तरह से शह है। इसका खुलासा दैनिक जागरण के पास पहुंची एक वायरल रिकार्डिग में निजी एंबुलेंस चालक कर रहा है।
हरीश कोचर, अंबाला : छावनी के नागरिक अस्पताल में निजी एंबुलेंस चालकों का सरकारी कर्मचारियों के साथ कमीशन का खेल चल रहा है। इसी कमीशन के लालच में सरकारी एंबुलेंस अस्पताल में उपलब्ध होने के बावजूद बाहर से निजी एंबुलेंस बुलाई जा रही है। बुधवार को ऐसे ही दो ताजे मामले सामने आए। कैथ लैब से दो अलग-अलग मरीजों को चंडीगढ़ रेफर किया गया था। उस वक्त अस्पताल में एक छोटी व एक बड़ी एंबुलेंस मौजूद होने के बावजूद भी बाहर से निजी एंबुलेंस बुलाकर मरीजों को रेफर किया गया। दोनों ही मरीजों के तिमारदारों से चालकों ने मनमाने रेट के मुताबिक रुपये वसूले। वहीं अस्पताल के सामने अवैध रूप से खड़ी होने वाली इन एंबुलेंस चालकों को पुलिस की भी पूरी तरह से शह है। इसका खुलासा दैनिक जागरण के पास पहुंची एक वायरल रिकार्डिग में निजी एंबुलेंस चालक कर रहा है।
गौरतलब है कि पिछले लंबे समय से नागरिक अस्पताल से चंडीगढ़ पीजीआइ या सेक्टर-32 में मरीजों को ले जाने के लिए निजी एंबुलेंस चालकों द्वारा मनमाने रेट से रुपये वसूले जा रहे हैं। यहां तक की अस्पताल से शवों को उनके घर तक ले जाने के लिए भी 500 से एक हजार रुपये तक ऐंठ लिए जाते हैं। दैनिक जागरण ने बुधवार को जब इस मामले की जांच की तो कुछ नए तथ्य भी सामने आए।
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कर्मचारियों को दी जाती है कमीशन
कैथ लैब से दो अलग-अलग मरीजों को दोपहर करीब एक चंडीगढ़ रेफर किया गया। उस वक्त अस्पताल परिसर में दो एंबुलेंस खड़ी थी। एक मरीज को छावनी के टांगरी नदी पार स्थित गारडियन अस्पताल की एंबुलेंस में रेफर किया गया। लेकिन कर्मचारी ने मरीज को चंडीगढ़ ले जाने के लिए हेल्पलाइन नंबर 108 पर फोन करने के बजाए निजी एंबुलेंस चालक को फोन किया। कुछ ही देर में एंबुलेंस आइपीडी ब्लॉक गेट के सामने पहुंची और मरीज को लेकर चली गई। वहां खड़ी सरकारी एंबुलेंस के चालक भी हैरान थे कि निजी चालक मरीज को कैसे लेकर जा सकता है। सूत्रों के मुताबिक निजी चालकों द्वारा फोन करने वाले कर्मचारियों को कमीशन भी दी जाती है।
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रिकार्डिग में पुलिस से भी से¨टग का दावा
अस्पताल के सामने अवैध रूप से यह निजी एंबुलेंस वाले खड़े होते हैं। इसी प्रकरण में दैनिक जागरण को एक निजी एंबुलेंस चालक की वायरल हुई रिकार्डिग भी मिली है। इसमें एक ने पूछा कि एसएचओ ने तो कुछ नहीं कहा ना। इस पर एंबुलेंस चालक ने जवाब दिया कि एसएचओ ने कुछ नहीं बोला, एसएचओ से मेरी बात हो गई है। कह रहा है कोई चक्कर नहीं है। बोल रहा है कि यहां दो गाड़ियां खड़ी कर लो बस। कोई मैटर नहीं है इसमें।
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देर रात मौके पर पहुंची
जब इस मामले में सदर थाने में बात की गई तो कुछ देर बाद ही थाना प्रभारी व एक अतिरिक्त पीसीआर मौके पर पहुंच गई। इस दौरान उन्हें एक निजी एंबुलेंस चालक वहां मिला तो उससे काफी देर तक पूछताछ की गई। हालांकि मौके पर उस वक्त कोई कार्रवाई नहीं की गई। क्योंकि वहां उस वक्त एक भी एंबुलेंस का चालक मौजूद नहीं था।
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कार्रवाई की जाएगी
मैंने इस बारे में अस्पताल प्रशासन व नगर निगम में अफसरों से पहले भी बात की हुई है। इन एंबुलेंस चालकों के पहले भी चालान किए गए थे। अगर इन्होंने कोई आरोप लगाए है तो वह बेबुनियाद है। इन एंबुलेंस चालकों के खिलाफ नियमानुसार जो भी कार्रवाई बनती है वह की जाएगी।
विजय कुमार, सदर थाना प्रभारी।
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हम 108 पर फोन करते है
हमारे यहां से अगर कोई मरीज रेफर होता है तो सरकारी 108 नंबर पर ही फोन किया जाता है। मरीज चाहे अपनी मर्जी से फोन करके कोई भी एंबुलेंस बुला सकता है।
राजीव, कैथ लैब मैनेजर।