मनमानी रकम नहीं वसूल सकेंगे अस्पताल, हर इलाज का रेट फिक्स, गुणवत्ता पर भी नजर
हरियाणा में अब निजी अस्पताल मरीजों और उनके परिजनों से मनमानी रकम नहीं वसूल सकेंगे। राज्य में क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट लागू हो रहा है। इसमें हर इलाज के लिए रेट फिक्स होगा।
अंबाला, [दीपक बहल]। हरियाणा में अब निजी अस्पताल मरीजों से इलाज के नाम पर मनमानी और मोटी रकम नहीं वसूल पाएंगे। अब हर इलाज की दर तय होगी और चिकित्सा की गुणवत्ता की भी अस्पतालों को पालन करना होगा। राज्य में क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट 2010 इसी सप्ताह लागू हो जाएगा। इसके तहत इसी सप्ताह से 50 बेड या इससे अधिक वाले अस्पतालों का रजिस्ट्रेशन भी शुरू कर दिया जाएगा। इस एक्ट के तहत रजिस्ट्रेशन नहीं करवाने वालों पर पांच लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा।
50 बेड से अधिक वाले अस्पतालों का रजिस्ट्रेशन इसी सप्ताह से, नहीं करवाने पर पांच लाख तक जुर्माना
केंद्र सरकार ने तो अगस्त 2010 में ही क्लीनिकल इस्टेब्लिशमेंट एक्ट बना दिया था। भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में राज्य सरकार ने बिल पास भी कर दिया पर लागू नहीं हुआ। मनोहरलाल सरकार ने पहल की तो विरोध हुआ। निजी अस्पताल संचालकों ने इस एक्ट को लागू करने के विरोध में हड़ताल भी की थी।
2010 में बना कानून आठ साल बाद हो रहा प्रभावी, 50 से कम बेड के अस्पतालों को फिलहाल मिली राहत
आइएमए व अन्य संगठनों ने परेशानियां बताईं तो सरकार ने छोटे अस्पतालों को कानून के दायरे से बाहर कर दिया। यद्यपि केंद्रीय कानून में 50 बेड से कम के अस्पतालों को छूट का कोई प्रावधान नहीं है। ऐसी सुविधा सिर्फ कर्नाटक में है। विज ने नियम और इससे जुड़ी तमाम जानकारियां वेबसाइट पर अपलोड करने के आदेश दिए। इसके लिए क्लीनिकल इस्टेब्लिशमेंट कौंसिल भी एक साल में बना दी जाएगी।
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रजिस्ट्रेशन की फीस
बेड अस्थायी स्थायी जुर्माना
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51 से 100 2,000 8,000 2,00,000
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101 से 300 3,000 12,000 3,00,000
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301 से 500 4,000 16,000 4,00,000
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501 से अधिक 5,000 20,000 5,00,000
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एक्ट में यह है नियम
एक्ट के अनुसार, प्रदेश के सभी जिलों में मान्यता प्राप्त चिकित्सा प्रणाली एमबीबीएस, बीडीएस, बीएएमएस, बीयूएमएस, बीएचएमएस, बीएसएमएस, योग, नेचुरोपैथी और सोवा रिगपा के डिग्रीधारकों से संचालित संस्थानों का जिला रजिस्ट्रेशन प्राधिकरण में पंजीकरण होगा। नियमों की अनदेखी करने पर 50 हजार से लेकर पांच लाख रुपये तक जुर्माने का प्रावधान किया गया।
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इन्हें है कार्रवाई का अधिकार
जिला रजिस्ट्रेशन अथॉरिटी और उसके सदस्यों को नियमों को सख्ती से लागू कराने के लिए कार्रवाई का अधिकार होगा। अधिकारी उल्लंघन की शिकायतों पर जांच कर सकेंगे। किसी भी संस्थान में दाखिल होने, निरीक्षण करने और तलाशी लेने में अधिकारी सक्षम होंगे। वह रजिस्ट्रेशन को सस्पेंड या रद कर सकेंगे।
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50 बेडों के अस्पतालों को छूट देना गलत : हेमंत कुमार
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के अधिवक्ता हेमंत कुमार का कहना है कि हरियाणा सरकार के बनाए एक्ट में 50 बेड की शर्त को मौलिक अधिकार की अवहेलना है। केंद्रीय एक्ट को दस राज्य लागू कर चुके हैं। किसी ने 50 बेड की शर्त नहीं रखी।
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'' केंद्र के क्लीनिकल इस्टेब्लिशमेंट एक्ट को प्रदेश में लागू कर दिया गया है। फिलहाल 50 या इससे अधिक बेड के अस्पताल ही इसके दायरे में आएंगे। रजिस्ट्रेशन इस सप्ताह से शुरू हो जाएगा।
- अनिल विज, स्वास्थ्य मंत्री, हरियाणा।
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'' दिसंबर 2017 में सरकार से बातचीत हुई थी। हमें आश्वासन मिला कि 50 बेड या इससे अधिक वाले अस्पताल ही एक्ट में दायरे में होंगे। नियम सार्वजनिक होने के बाद पता चलेगा कि सरकार ने क्या बातें मानी हैं।
- डॉ. एपी सेतिया, पूर्व प्रधान, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन, हरियाणा।
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क्लीनिकल इस्टेब्लिशमेंट एक्ट की महत्वपूर्ण बातें-
- हर मरीज का इलेक्ट्रॉनिक हेल्थ रिकॉर्ड और मेडिकल हेल्थ रिकॉर्ड अस्पताल प्रशासन के पास सुरक्षित होना चाहिए।
- इस एक्ट के मेटरनिटी होम्स, डिस्पेंसरी, नर्सिंग होम, एलोपैथी, होम्योपैथी और आयुर्वेदिक से जुड़ी स्वास्थ्य सेवाओं पर समान रूप से लागू होता है।
- हर अस्पताल व क्लीनिक का पंजीकरण जरूरी है।
- हर संस्थान की जिम्मेदारी होगी कि रोगी के इमरजेंसी में पहुंचने पर तुरंत स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया करवाए।
- अस्पताल अपनी सेवाओं की कीमत केंद्र सरकार से निर्धारित सीमाओं के भीतर ही ले सकेंगे। इसे अंग्रेजी और स्थानीय भाषा में चस्पा भी करना होगा।
- एक्ट का उल्लंघन करने पर अस्पताल का रजिस्ट्रेशन रद करने से लेकर जुर्माने का प्रावधान है।