बंधू नगर के सार्वजनिक शौचालय की टूटी सीटें और वॉशबेसिन भी गायब
जागरण संवाददाता, अंबाला: डेढ़ साल पहले बंधू नगर छावनी में पुरुषों व महिलाओं के लिए बने चार-चार सार्वजनिक शौचालयों की हालत खस्ता हो गई है। टाइलें व दो वॉशिबेसिन से लगाकर निगम ने खूब वाहवाही भी लूटी थी। लेकिन अब यह शौचालय निगम अधिकारियों की अनदेखी के कारण एंट्री पर ही लगे वॉशबेसिन में से एक तो चोर ही ले उड़े तो दूसरे का पाइप टूटा है। जगह-जगह से सीटें टूट चुकी है और पानी लगने के कारण दरवाजे भी नीचे से गल चुके हैं। दैनिक जागरण की टीम ने जनसुविधा, कहीं अभाव-कहीं अनदेखी-अभियान के तहत शौचालय का जायजा लिया तो शौचालय
डेढ़ साल पहले हुआ था शौचालय का निर्माण, जंग से टूटने लगे दरवाजें, शिकायतों के बाद भी नहीं हो रही सुनवाई जागरण संवाददाता, अंबाला: डेढ़ साल पहले बंधू नगर छावनी में पुरुषों व महिलाओं के लिए बने चार-चार सार्वजनिक शौचालयों की हालत खस्ता हो गई है। टाइलें व दो वॉशिबेसिन से लगाकर निगम ने खूब वाहवाही भी लूटी थी। लेकिन अब यह शौचालय निगम अधिकारियों की अनदेखी के कारण एंट्री पर ही लगे वॉशबेसिन में से एक तो चोर ही ले उड़े तो दूसरे का पाइप टूटा है। जगह-जगह से सीटें टूट चुकी है और पानी लगने के कारण दरवाजे भी नीचे से गल चुके हैं। दैनिक जागरण की टीम ने जनसुविधा, कहीं अभाव-कहीं अनदेखी-अभियान के तहत शौचालय का जायजा लिया तो शौचालय के नलों तक भी पानी नहीं आ रहा था। अधिकारियों की अनदेखी से बिगड़े हालातों को देखते हुए क्षेत्रवासियों ने भी एकजुट होकर निगम अधिकारियों की कार्यप्रणाली को जमकर कोसा। जबकि इस शौचालय का क्षेत्रवासी ही नहीं बल्कि परिसर में बने स्कूल के छात्र भी करते थे। इनकी बिगड़ी हालत को देखकर लोगों ने इसका इस्तेमाल करना तो बंद कर दिया है। रखरखाव होता तो हालत बदतर नहीं होती
सार्वजनिक शौचालय की खस्ता हालत को देखते हुए क्षेत्रवासी राहुल, अर्जुन, शानू, मनीष, विनोद व प्रिया ने कहा कि हजारों रुपये लगाने के बाद भी आज स्थिति बद से बदतर हो चुकी है। समय रहते शौचालय का रखरखाव किया गया होता तो यह स्थिति न बनती है। कई बार वह खुद भी निगम सफाई कर्मचारियों को शिकायत कर चुके हैं। बावजूद कोई सुनवाई तक नहीं।
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कम से कम देखरेख तो होनी चाहिए
क्षेत्रवासी मानसा का कहना है कि टाइलें व वॉशबेसिन तो लगाकर चले गए थे लेकिन देखरेख का जिम्मा किसी को नहीं सौंपा। अनदेखी के कारण सामान तो चोरी होना ही साथ। शौचालय की एंट्री पर दरवाजा लग जाए तो जो बचे है वो भी सलामत रहेंगे।
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हजारों रुपये लगाने का कोई फायदा नहीं
क्षेत्रवासी कमला ने बताया कि योजनाओं के नाम पर शौचालय में हजारों रुपये लगाने का क्या फायदा। जब उसका रखरखाव का जिम्मा ही नहीं उठाया। टाइलें के साथ सीटें तक टूट चुकी है और दरवाजों में जंग लगने के कारण टूटने की कगार पर है। इस हालातों में इस्तेमाल तो दूर जाने से भी कतराते हैं।