पटेल पार्क में लगा बायोगैस प्लांट पड़ा ठप, परिवारों को नहीं मिल रहा लाभ
कैंटोनमेंट बोर्ड द्वारा बेसहारा पशुओं के गोबर से पटेल पार्क में बायोगैस बनाने की योजना शुरुआती दौर में ही लड़खड़ा गई है।
जागरण संवाददाता, अंबाला: कैंटोनमेंट बोर्ड द्वारा बेसहारा पशुओं के गोबर से पटेल पार्क में बायोगैस बनाने की योजना शुरुआती दौर में ही लड़खड़ा गई है। लाखों की लागत से पार्क के अंदर लगे बायोगैस प्लांट से गैस बनाकर पास के क्वार्टरों में पहुंचाने की योजना थी। अनदेखी की भेंट चढ़ने के कारण ना तो गैस बन पा रही है और ना ही इससे बिजली बन रही है। माली क्वार्टरों में रहने वाले दस परिवारों को इसका लाभ मिल पा रहा है।
शुरुआत में तो क्वार्टरों के अंदर एक बड़ा चूल्हा लगाकर उन्हें गैस को पहुंचाई गई। कुछ समय बाद गैस बनाना ही बंद कर दिया गया। बता दें कि पटेल पार्क के अंदर ही मालियों के परिवार क्वाटरों में रहते हैं। कैंटोनमेंट बोर्ड ने बेसहारा पशुओं के गोबर से बायोगैस बनाने का प्लांट लगाया गया। एक प्लांट पटेल पार्क में तो दूसरा तोपखाना बाजार में लगा था। इसे लगाने में करीब 22 लाख रुपये की लागत आई थी।
कैंटोनमेंट बोर्ड अधिकारियों का दावा था कि इन प्लांट से रोजाना 8 से 10 किलोग्राम बायोगैस बनेगी। इस गैस को बोर्ड की ओर से बेचा जाएगा जिससे बोर्ड को रेवेन्यू बढ़ेगा। पटेल पार्क में यह तमाम दावें खोखलें साबित हो रहे हैं और पैसों का भी नुकसान हो रहा। पटेल पार्क प्लांट की 20 क्यूबिक की थी क्षमता
योजना के मुताबिक स्थापित किए गए प्लांट की क्षमता 20 क्यूबिक की है जिसमें पानी के साथ-साथ गोबर को मिश्रित करके गिराया जाएगा। इसके बाद इसमें बायोगैस तैयार होगी। इस प्लांट के लिए रोजाना दो ट्राली गोबर की जरूरत होगी जो बोर्ड के कैटल यार्ड से आएंगी। यार्ड में बेसहारा पशुओं को गोबर एकत्रित किया जाएगा। लंबे समय से यह योजना महज दिखावे तक सीमित रह गई है। क्वार्टर में रहने वाले परिवारों की मानें तो पिछली सर्दियों में गैस का इस्तेमाल पानी गर्म करने के लिए किया गया। बाद में इसका इस्तेमाल नहीं हो रहा। जबकि सफल होने के बाद योजना तो हर क्वार्टर के अंदर एक-एक कनेक्शन देने की थी। वो भी अधर में लटक गया है। तोपखाना प्लांट से महज कैटल यार्ड में पहुंच रही गैस
बोर्ड का दूसरा प्लांट तोपखाना में लगा हुआ है, जहां केवल कैटल यार्ड में गैस पहुंचाई जा रही है। यहां आसपास के लोगों का वेस्ट मैटीरियल का इस्तेमाल किया जा रहा है। बता दें कि शौचालय के साथ में बनाए इस प्लांट के पास में एक प्लेटफार्म बना हुआ है। इस पर बोर्ड के सभी सफाई कर्मी घरों से सूखे-गीले कूड़े को वहां पर गिराते हैं। इस प्लेटफार्म पर इस कचरे की छटाई के बाद प्लास्टिक, कांच समेत अन्य ठोस वेस्ट मैटीरियल को अलग किया जाता है। पटेल पार्क में मालियों के क्वार्टर बनाने का काम चल रहा है। इसलिए करीब दो माह से गैस का इस्तेमाल नहीं हो पा रहा। लेकिन गैस प्लांट चालू है। जल्द ही बायोगैस प्लांट को जनरेटर से जोड़ा जाएगा। ताकि बिजली भी बनाई जा सके। नए क्वार्टरों के बनते ही गैस व बिजली दोनों का लाभ मिलेगा।
- संजय बंसल, सेनेटरी सुपरिंटेंडेंट, कैंटोनमेंट बोर्ड