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शिक्षकों को ट्रेनिग, माता-पिता की तरह करें स्कूल में व्यवहार

राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय बलदेव नगर में शिक्षकों के लिए एडोलोसेंस ट्रेनिग एजुकेशन प्रोग्राम करवाया गया। इसमें डीईओ उमा शर्मा ने कहा कि स्कूलों में शिक्षक विद्यार्थियों के साथ उनके माता-पिता की तरह व्यवहार करें।

By JagranEdited By: Published: Fri, 15 Nov 2019 07:25 AM (IST)Updated: Fri, 15 Nov 2019 07:25 AM (IST)
शिक्षकों को ट्रेनिग, माता-पिता की तरह करें स्कूल में व्यवहार
शिक्षकों को ट्रेनिग, माता-पिता की तरह करें स्कूल में व्यवहार

जागरण संवाददाता, अंबाला शहर

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राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय बलदेव नगर में शिक्षकों के लिए एडोलोसेंस ट्रेनिग एजुकेशन प्रोग्राम स्कूल शिक्षा विभाग की ओर से करवाया गया। इसमें ब्लॉक वन और ब्लॉक 2 के 52 शिक्षकों ने भाग लिया। कार्यक्रम में जिला शिक्षा अधिकारी उमा शर्मा ने कहा कि स्कूलों में शिक्षक विद्यार्थियों के साथ उनके माता-पिता की तरह व्यवहार करें।

यह कार्यक्रम किशोरावस्था एवं क्रियान्वयन पर आधारित था। प्रोग्राम ऑफिसर उमा सुंदरी ने कार्यक्रम की शुरुआत की। इस अवसर पर प्रधानाचार्य सुरेंद्र मोहन ने उमा सुंदरी प्रोग्राम ऑफिसर धन्यवाद करते हुए साथ ही साथ गीता काउंसलर, रामदीन, भारत भूषण तथा दोनों ब्लॉक से आए हुए सभी टीचर्स का धन्यवाद किया।

किशोरावस्था पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि आज के बच्चों को ऐसी शिक्षा की आवश्यकता है जो उसका सही मार्गदर्शन कर सके। किशोर अवस्था ही ऐसी अवस्था है जिसको जैसा चाहे, उस तरीके से हम रूप दे सकते हैं। इसलिए इस प्रकार की वर्कशॉप का विशेष महत्व अध्यापकों के लिए होता है। यही अध्यापक जब अपने विद्यालय में जाकर अपने सहयोगियों से बात करता है और बच्चों से अपने विचार सांझा करता हैं और बच्चों पर इसका एक सकारात्मक प्रभाव पड़ता है तो इस कार्यक्रम की सफलता निश्चित हो जाती है।

उन्होंने कहा कि आजकल बदलते हुए परिवेश में बच्चे अनायास ही भटक जाते हैं और अपनी जीवन लीला बिना कारण के ही समाप्त करने पर उतारू हो जाते हैं। इस कार्यक्रम में विशेष रूप से उपस्थित जिला शिक्षा अधिकारी उमा शर्मा ने किशोरावस्था के विषय में विस्तार से अध्यापकों के साथ चर्चा की। उन्होंने कहा कि हम शिक्षकों को स्कूल में बच्चों के साथ माता-पिता की तरह व्यवहार करना चाहिए। हमें कभी भी आक्रोश में काम नहीं करना चाहिये, क्योंकि हम एक बच्चे का सही रूप से पालन पोषण और उसका मार्गदर्शन उसका शारीरिक, मानसिक विकास करने में समर्थ होते हैं। जैसे हम समाज को शिक्षा देते हैं, उसी प्रकार का समाज उबर कर सामने आता है।

उन्होंने कहा कि हमें किसी देवी देवता बनने की आवश्यकता नहीं, हमें मनुष्य ही बनने की आवश्यकता है। इस अवसर पर सतबीर सिंह, कुणाल शर्मा, वंदना नरूला, पूजा शर्मा उपस्थित रही।


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