मदरसे में होता रहा मासूमों का यौनशोषण, कार्रवाई के बजाय प्रशासन का एेसा रवैया
अंबाला में मदरसे में मासूमों का यौनशोषण होता रहा। प्रशासन ने औपचारिक कार्रवाई तो की, पर फिर कुंभकर्णी नींद में सो गया।
अंबाला शहर [उमेश भार्गव]। शहर के एक मदरसे में मासूमों का यौनशोषण होता रहा और प्रशासन कुंभकर्णी नींद में सोता रहा। शिकायत के बाद भी कार्रवाई नहीं हुई। बच्चों ने भी अपने साथ हुई ज्यादतियों को स्वीकार कर लिया, लेकिन अभी तक अधिकारियों की तंद्रा नहीं टूटी है। वहीं, अब एक और चाइल्ड केयर इंस्टीट्यूट भी सवालों के घेरे में है। नियमानुसार, 9 साल या इससे ज्यादा उम्र के लड़के-लड़कियों को एक ही परिसर में नहीं रखा जा सकता। लेकिन, इन चाइल्ड केयर यूनिटों में नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।
गौर करने वाली बात यह है कि दोनों ही संस्थान पंजीकृत नहीं हैं। प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दिया है कि जिले में कोई भी चाइल्ड केयर इंस्टीट्यूट बिना पंजीकरण के नहीं चल रहा है। बता दें, मदरसे में नाबालिग मासूमों के साथ कुकर्म के प्रयास की शिकायत प्रशासन को मिली थी। चार बार पुलिस ने यहां रिकॉर्ड खंगाला, लेकिन खानापूर्ति कर मामले को दबा दिया।
डीसी का हलफनामा भी सवालों के घेरे में
दिसंबर 2017 तक सभी राज्य सरकारों से शपथ पत्र मांगे गए थे कि उनके राज्य में कोई गैर पंजीकृत होम तो नहीं चल रहे। इस पर डीसी अंबाला ने लिखित हलफनामा दिया है कि जिले में कोई भी गैर पंजीकृत चाइल्ड केयर इंस्टीट्यूट नहीं चल रहा, जबकि मदरसे के अलावा ऐसा एक अन्य होम सामने आ चुका है जो बिना पंजीकरण के ही चल रहा है। ऐसे में, डीसी का सुप्रीम कोर्ट में दिया हलफनामा भी सवालों के घेरे में है
सीडब्ल्यूसी ने भी दबाया मामला
दैनिक जागरण की पहल के बाद सीडब्ल्यूसी (चाइल्ड वेलफेयर कमेटी या बाल कल्याण समिति) टीम गत सप्ताह जब मदरसे में पहुंची थी तो संचालक के पास बच्चों का कोई रिकॉर्ड नहीं था। न किसी का आधार कार्ड, न पहचान पत्र। इस अनियमितता के पकड़ में आ जाने के बावजूद मदरसा संचालक के खिलाफ कोई कार्रवाई अभी तक नहीं हुई है। हालांकि, बच्चों के बयान पर पॉक्सो एक्ट के तहत केस जरूर दर्ज कर लिया गया, लेकिन कार्रवाई के नाम पर चुप्पी साध ली गई।
लापरवाही मिली तो होगी कार्रवाई
राज्य बाल संरक्षण आयोग की चेयरपर्सन ज्योति बंदा का कहना है कि मामला गंभीर है। मदरसे में बच्चों को किस तरह से रखा जा रहा था, इसकी जांच कराई जाएगी। सीडब्ल्यूसी को भी देखना चाहिए। मैं खुद इस मामले की छानबीन के लिए अंबाला आऊंगी। लापरवाही मिली तो कड़ी कार्रवाई होगी।
मर्सी होम को मान्यता नहीं
महिला एवं बाल विकास विभाग की डिप्टी डायरेक्टर राजबाला कटारिया का कहना है कि अंबाला में केवल तीन ही चाइल्ड केयर इंस्टीट्यूट रजिस्टर्ड हैं। इनमें ऑब्जर्वेशन होम, स्पेशल होम व नारायणगढ़ में फिट फेसिलिटी सेंटर शामिल है। मर्सी होम को मान्यता नहीं दी गई है। अगर वहां पर बच्चों का शोषण हो रहा है तो इसकी जांच कराई जाएगी।
मैंने खुद बंद कराया था होम
राज्य बाल संरक्षण आयोग के सदस्य परमजीत सिंह बडौला का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट में रिट पीटिशन नंबर 101 में सभी मुख्य सचिवों ने शपथ पत्र दिया है कि उनके राज्यों में बिना पंजीकरण के कोई चाइल्ड केयर इंस्टीट्यूट नहीं चल रहा। अंबाला डीसी की ओर से भी शपथ पत्र दिया गया था, जबकि होम को मैंने खुद बंद कराया था। इसे फिर चला दिया गया।
डीसी बोलीं- करा रही हूं जांच
अंबाला की डीसी शरणदीप कौर बराड़ का कहना है कि बिना रजिस्ट्रेशन के ये संस्थान कैसे संचालित हो रहे हैं, इसकी मैं जांच करा रही हूं। सुप्रीम कोर्ट में जो शपथ पत्र दिया गया है उसके बारे में मुझे जानकारी नहीं है।