मन चंगा तो कठौती में गंगा : चैतन्य
नगर खेड़ा पर कबीर जन कल्याण सेवाश्रम में बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर सभा की ओर से संत गुरु रविदास की 643वीं जयन्ती के पावन अवसर पर प्रभात फेरी का आगमन हुआ।
जागरण संवाददाता, अंबाला शहर : शहर के मोती नगर स्थित नगर खेड़ा पर कबीर जन कल्याण सेवाश्रम में बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर सभा की ओर से संत गुरु रविदास की 643वीं जयन्ती के पावन अवसर पर प्रभात फेरी का आगमन हुआ। आश्रमाध्यक्ष चैतन्य महाराज, भूपेन्दर शर्मा, बबली शर्मा, साधु सिंह व्यास व किरण बाला अरोड़ा ने संत रविदास के चित्र पर तिलक लगाकर व पुष्प माला से पूजन किया गया। पश्चात सभी नगर कीर्तन में शामिल लोगों को तिलक लगाकर स्वागत किया गया।
भजन गायक भीमराव रोक्सी, पायल व प्रियंका ने सुमधुर आवाज में कबीर साहेब के भजन मन फूला-फूला फिरे जगत में कैसा नाता रे का गायन किया गया। आचार्य सनातन चैतन्य महाराज ने संत गुरु रविदास के व्यक्तित्व व कृतित्व पर प्रकाश डाला। संत गुरु रविदास जीवन पर्यन्त सत्य, प्रेम, करुणा का ही संदेश जन मानस को देते रहे। वे सदैव ऊंच नीच की भावना तथा ईश्वर भक्ति के नाम पर किये जाने वाले वाद विवाद को सारहीन व निरर्थक मानते थे। भाईचारे युक्त मिलजुल कर रहने की शिक्षा देते थे।
चैतन्य ने कहा कि एक बार किसी विशेष पर्व पर गुरु रविदास के पड़ोस के लोग गंगा स्नान को जा रहे थे। भक्तों ने गुरु रविदास से बोले कि आप भी गंगा स्नान को चलें सुनकर बाबा बोले मैं गंगा स्नान को जरूर चलता परन्तु वहां जाकर मेरा मन यहीं लगा रहेगा तो फिर पुण्य कैसे मिलेगा। वे अपना कार्य करते हुए बोले कि मन-वचन-कर्म ठीक है तो इसी कठौते के जल में ही गंगा स्नान का पुण्य लाभ प्राप्त हो सकता है। इस प्रकार कहा जाता है कि तभी से कहावत प्रचलित हो गया कि मन चंगा तो कठौती में गंगा।