जांबाज वायु सैनिकों की याद दिलाता है अंबाला एयरफोर्स स्टेशन पर फ्रोजन टीयर मेमोरियल
वायुसेना ने हमेशा देश की सीमाओं की रक्षा करने में अपनी अहम भूमिका निभाती रही है। अंबाला में ब्रिटिश काल में अंग्रेजों ने एयरबेस स्थापित किया था। आज यह एयरबेस सौ साल से भी अधिक का हो चुका है।
जागरण संवाददाता, अंबाला : वायुसेना ने हमेशा देश की सीमाओं की रक्षा करने में अपनी अहम भूमिका निभाती रही है। अंबाला में ब्रिटिश काल में अंग्रेजों ने एयरबेस स्थापित किया था। आज यह एयरबेस सौ साल से भी अधिक का हो चुका है। इसी एयरबेस पर फ्रोजन टीयर मेमोरियल भी है, जो जांबाज वायुसैनिकों की याद को दिलाता है।
अंबाला देश के पुराने एयरबेस में शामिल है, जो कभी रायल एयरफोर्स का हिस्सा रहा था। आजादी के बाद इसे भारतीय वायुसेना का नाम दिया गया। शुरुआत में यहां पर फ्लाइंग ट्रेनिग स्कूल शुरू किया गया था, जो हावर्ड व स्पिटफायर हवाई जहाज उड़ाए जाते रहे। इसके बाद अंबाला एयरबेस पर वैंपायर, तूफानी, हंटर जैसे विमानों ने भी उड़ान भरी। स्पिट फायद व हावर्ड ने सन 1947-48 में कश्मीर घाटी में कई आपरेशन को अंजाम दिया। यहां पर अब सेवन विग हैं, जहां पर जगुआर और मिग 21 बाइसन भी रहे। मौजूदा समय में यहां पर विश्व के अत्याधुनिक लड़ाकू जहाज राफेल की स्कवाड्रन भी आ चुकी हैं।
अंबाला एयरबेस पर साल 1982 में वार मेमोरियल फ्रोजन टीयर मेमोरियल का शुभारंभ किया गया था। इस में उन पायलटों के नाम भी शामिल हैं, जो दिसंबर 1953 से विभिन्न आपरेशन में अंबाला एयरबेस से उड़ान भरी। यह मेमोरियल एयर ट्रैफिक कंट्रोल बिल्डिग के पीछे स्थापित है। अक्टूबर 2003 तक 34 नाम इस मेमोरियल पर उकेरे गए हैं। खास है कि फ्लाइंग आफिसर जीएस अहलुवालिया ने सितंबर 1956 में विमान तूफानी को क्रैश होने से बचाया था, जिन्होंने भारत-पाक युद्ध 1971 में भाग लिया और एक हीरो की तरह उभरकर सामने आए। हाल के आपरेशन की बात करें, तो बालाकोट एयरस्ट्राइक में भी इस एयरबेस का रोल रहा, जहां से मिटी अग्रवाल ने श्रीनगर से लड़ाकू जहाजों को उड़ाया, जिनमें अभिनंदन भी शामिल था।