शर्तो की सख्ती देख ठेकेदारों ने जोड़ लिए हाथ
बेसहारा पशुओं से मुक्ति की बाट देख रहे ट्विन सिटी वासिया
जागरण संवाददाता, अंबाला शहर: बेसहारा पशुओं से मुक्ति की बाट देख रहे ट्विन सिटी वासियों का इंतजार जल्दी खत्म होने के आसार नहीं हैं। दरअसल, इन पशुओं को पकड़ने में कोई ठेकेदार दिलचस्पी ही नहीं दिखा रहा है। इससे पहले सिर्फ दो आवेदन आए थे, इसीलिए किसी को ठेका जारी नहीं किया गया। अब तीसरी बार आवेदन मांगे गए हैं। दूसरी ओर, इस संबंध में 15 नवंबर को यूटिलिटी कोर्ट में निगम आयुक्त को अपना जवाब दाखिल करना है। अगस्त में निगम आयुक्त की ओर से कोर्ट में पेश हुए सेनेटरी इंस्पेक्टर ने दो माह के भीतर शहर को इस समस्या से मुक्ति दिलाने का दावा किया था। हालांकि, वक्त के साथ-साथ दावे की हवा निकल गई। तीन माह बाद भी समस्या जस की तस बनी हुई है।
ठेकेदार इसलिए नहीं ले रहे दिलचस्पी
पहले क्या था नियम
दरअसल, पहले प्रति पशु पकड़ने पर ठेकेदार को एक हजार रुपये मिलते थे। इन्हें गंतव्य तक छोड़ने के लिए ट्रैक्टर-ट्रॉली भी नगर निगम की ओर से उपलब्ध कराया जाता था, लेकिन वर्तमान आयुक्त ने इस प्रथा को आते ही बदल दिया।
अब क्या है नियम
--नए ठेके के अनुसार बेसहारा पशुओं को पकड़ने की कीमत न केवल अलग-अलग तय की गई बल्कि दुधारू पशु पकड़ने पर 25 हजार, घोड़े को पकड़ने पर भी 25 हजार रुपये का जुर्माना तय कर दिया।
ठेकेदार की सिक्योरिटी राशि दोगुनी कर दी गई।
--पशु पकड़े जाने पर होने वाली किसी भी दुर्घटना की जिम्मेदारी भी ठेकेदार की तय कर दी गई। हादसे में किसी भी क्षतिपूर्ति के लिए जवाबदेही तय होने के कारण टेंडर में अब ठेकेदार दिलचस्पी नहीं ले रहे।
छोड़ने वालों में ही शामिल सूअर पकड़ने वाले
26 जनवरी 2018 को शहर को सूअर मुक्त करने की घोषणा तत्कालीन आयुक्त सतेंद्र दूहन ने की थी। दिसंबर में यह काम शुरू हुआ लेकिन सूअर पकड़ने वाले ठेकेदार ही उन्हें छोड़ने का काम करते हैं। इनमें निगम कर्मचारी भी शामिल हैं। ये कर्मी सूअर पालते हैं। जब तक किसी बाहरी व्यक्ति को यह टेंडर नहीं दिया जाता तब तक सूअरों से मुक्ति संभव नहीं है।
बेसहारा पशुओं से मुक्ति दिलाने के प्रयास चल रहे हैं। हम दो बार टेंडर नोटिस निकाल चुके हैं लेकिन कोई भी ठेकेदार आगे नहीं आ रहा है। पहले दो लोगों ने आवेदन किया था। अब दूसरी बार कोई भी नहीं आया। इसीलिए तीसरी बार टेंडर नोटिस जारी किया गया है।
जयबीर ¨सह आर्य, निगम आयुक्त।