Move to Jagran APP

एफडी के साथ प्लांट के लालच में फंसा वन अधिकारी, डूबे 11 लाख

जागरण संवाददाता, अंबाला : छह साल की अवधि में एफडी की मैच्योरिटी के साथ-साथ जमीन देने के

By JagranEdited By: Published: Mon, 30 Apr 2018 08:55 PM (IST)Updated: Mon, 30 Apr 2018 08:55 PM (IST)
एफडी के साथ प्लांट के लालच में फंसा वन अधिकारी, डूबे 11 लाख
एफडी के साथ प्लांट के लालच में फंसा वन अधिकारी, डूबे 11 लाख

जागरण संवाददाता, अंबाला : छह साल की अवधि में एफडी की मैच्योरिटी के साथ-साथ जमीन देने के लालच में फंसे सेवानिवृत्त वन अधिकारी शेर ¨सह के 11 लाख रुपये डूब गए। मामले की शिकायत महेश नगर थाने के साथ-साथ एसपी अंबाला को दी थी। कोई कार्रवाई नहीं हुई तो इसीलिए पीड़ित को कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा। महेश नगर थाना पुलिस ने अब कोर्ट की तारीख से एक दिन पूर्व ही कंपनी के मालिकों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया हैं। पुलिस ने अब ¨ग्रडलेज प्रोजेक्ट्स एंड डेवलपर्स लिमिटेड अमृतसर के निदेशक स्वर्ण ¨सह, निदेशक अवतार ¨सह, संतोष सिकंदर, अवतार ¨सह रंधावा, अतिरिक्त निदेशक छत्तरपाल ¨सह, महेश नगर में ब्रांच मैनेजर हनी भल्ला और फील्ड इंचार्ज अशोक संधू के खिलाफ जालसाजी कर धोखाधड़ी करने का मामला दर्ज किया है।

loksabha election banner

पुलिस को दी शिकायत में कलरेहड़ी निवासी शेर ¨सह ने बताया कि जब वह हरियाणा वन विभाग से सेवानिवृत्त हुआ तो उसे किसी ने बताया कि बैंकों के साथ-साथ अन्य सरकारी संस्थाओं में पैसा लगाने से कोई ब्याज नहीं मिलेगा। महेश नगर में अमृतसर की ¨ग्रडलेज नाम कंपनी है जिसमें पैसा जमा कराने के लिए जमीन भी दी जा रही है। इसके अलावा 10 के बजाय छह साल में पैसा दोगुना हो जाएगा। इतना ही नहीं, यह भी बताया कि बीते 19 साल से यह कंपनी चल रही है। इसके बाद उससे आकर कंपनी के कर्मचारी भी मिले। इसके बाद उन्होंने अपनी साल 2010 में एक लाख की एफडी कराई और 10 लाख रुपये 2011 में कराई। कंपनी ने लालच दिया था कि यह पैसा चार गुणा हो जाएगा और अंबाला में ही 5 हजार स्क्वायर फीट का प्लाट दिया जाएगा। यदि प्लाट कोई नहीं लेना चाहता कंपनी ने उसके बदले पैसे भी देने की बात कहीं। उसकी आरोप है कि कंपनी ने उसके मांगने पर ढ़ाई साल तक कोई एग्रीमेंट नहीं दिया। लेकिन जब साल 2016 में उसकी एक लाख रुपये की एफडी मैच्योर हुई तो वह कंपनी के पास पहुंचा। कंपनी ने उसे कहा कि उसे प्लाट छत्तीसगढ़ में मिलेगा। शिकायतकर्ता ने कहा कि कंपनी का जाल अंबाला के साथ-साथ यमुनानगर, पानीपत, देहरादून समेत अन्य जगह पर फैला हुआ है। जब उसे पैसा नहीं मिला तो वह कंपनी के निदेशकों से जाकर मिला, लेकिन फिर भी उसका पैसा वापस नहीं मिला। कंपनी ने 9 जून 2016 को लिख कर भी दिया था कि वह उसका पैसा अपनी प्रापर्टी बेचने के बाद दे दी गई। लेकिन कंपनी ने अब अपना नाम भी बदल दिया है और कार्यालय भी बंद कर दिए हैं। शिकायतकर्ता ने कहा कि इस कंपनी ने अन्य लोगों के साथ धोखाधड़ी करके करोड़ों रुपये कमा कर कार्यालय बंद कर लिए हैं।

---------

पैसा के साथ बनाती थी एजेंट

कंपनी न सिर्फ लोगों को प्लाट और चार साल में पैसा जमा करने पर उसे दोगुना करने का लालच देती थी बल्कि पैसा जमा कराने वाले अपने निवेशकों को एजेंट भी बनाती थी। इसीलिए अंबाला में काफी एजेंट बनाकर लोगों से पैसे ऐंठने का काम किया। कुछ लोग तो शिकायत करके थक चुके हैं और कुछ दम तोड़ चुके हैं, लेकिन कंपनी ने लोगों का पैसा नहीं लौटाया है। हार कर कंपनी एजेंट बने वन अधिकारी ने पैसे निकलवाने के लिए कोर्ट में याचिका दायर की है जिसकी बुधवार को कोर्ट में सुनवाई होगी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.