बेसहारा पशुओं के मामले में कोर्ट में फिर नगर निगम ने की खानापूर्ति, कहा लगवा दिए होर्डिंग
बेसहारा पशुओं के मामले में यूटिलिटी कोर्ट में अधिवक्ताओं की याचिका पर बृहस्पतिवार को सुनवाई हुई। लेकिन इसमें निगम अधिकारियों ने सिवाए खानापूर्ति और अपनी खाल बचाने के कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया। नगर निगम की ओर से पहुंच कर्मचारी ने बताया कि सभी गोशालाएं फुल हो चुकी हैं। उन्होंने पशु लेने से इंकार कर दिया है। ऐसे में वह जगह की तलाश कर रहे हैं जहां पर इन बेसहारा पशुओं को रखा जा सके। कर्मचारियों ने बताया कि उन्होंने पशुओं को सड़कों पर न छोड़ने के होर्डिंग भी लगवा दिए हैं।
जागरण संवाददाता, अंबाला शहर
बेसहारा पशुओं के मामले में यूटिलिटी कोर्ट में अधिवक्ताओं की याचिका पर बृहस्पतिवार को सुनवाई हुई। लेकिन इसमें निगम अधिकारियों ने सिवाए खानापूर्ति और अपनी खाल बचाने के कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया। नगर निगम की ओर से पहुंच कर्मचारी ने बताया कि सभी गोशालाएं फुल हो चुकी हैं। उन्होंने पशु लेने से इंकार कर दिया है। ऐसे में वह जगह की तलाश कर रहे हैं जहां पर इन बेसहारा पशुओं को रखा जा सके। कर्मचारियों ने बताया कि उन्होंने पशुओं को सड़कों पर न छोड़ने के होर्डिंग भी लगवा दिए हैं। ठेकेदार को ठेका भी जारी कर दिया है। यदि कोई अपने दुधारू पशु छोड़ेगा तो उस पर हम जुर्माना भी लगाएंगे। लेकिन यह सारे काम तो 24 अगस्त को हुई सुनवाई से पहले ही हो चुके थे। ऐसे में नगर निगम अधिकारियों ने इस मामले में कुछ भी नया काम नहीं किया। हां 24 अगस्त से अब तक होर्डिंग लगाने का काम जरूर हुआ। ऐसे में निगम की ओर से कोर्ट को गुमराह करने का प्रयास किया गया। अब इस मामले में अगली सुनवाई 15 अक्टूबर को होगी।
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कुत्तों की नसबंदी के लिए नहीं फंड
यूटिलिटी कोर्ट में पहुंचे कर्मचारियों ने निगम आयुक्त की ओर से जवाब देते हुए कहा कि बेसहारा पशुओं के लिए उनके पास कोई फंड सरकार की ओर से नहीं आता। न ही कुत्तों की नसबंदी के लिए। यह सभी व्यवस्था निगम को अपने स्तर पर करनी है। इसीलिए अभी जगह तलाशी जा रही है। इसके बाद एस्टीमेट बनाकर निदेशालय में भेजा जाएगा।
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कैटल पाउंड और घायल व मृतकों को मुआवजे का एक्ट
याचिका दायर वाले वकीलों ने पशुओं को हटाने के लिए टोल फ्री नंबर जारी करने की मांग की ताकि लोग यहां शिकायत कर सकें। साथ ही निगम अधिकारी से सवाल भी किया गया कि क्या हरियाणा म्युनिसिल रिस्ट्रिक्शन एंड प्रोपर कंट्रोल आफ स्ट्रे एनिमल 2003 की अनुपालना कर रहे हैं या नहीं। इसमें इन्हें कैटल पाउंड बनाना, किसी से आवारा पशु को चोट लगती है तो इनके द्वारा मुआवजा दिया जाए। साथ ही स्ट्रे एनिमल के लिए पशु अस्पताल जरूरी है। हालांकि इसका कोई जवाब नहीं मिला। बता दें कि न तो अंबाला में कोई कैटल पाउंड है न ही बेसहारा पशुओं से घायल या मर चुके व्यक्ति के परिवार को आज तक निगम ने फूटी कौड़ी दी। इस तरह इस एक्ट की अधिकारी सरेआम धज्जियां उड़ा रहे हैं।
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होर्डिंग लगे लेकिन दुधारू पशुओं तक को नहीं पकड़ने का किया जा रहा प्रयास
बेशक नगर निगम ने दुधारू पशुओं को छोड़ने पर जुर्माना लगाने की बात कही है लेकिन दुधारू पशुओं को सड़कों से पकड़ने के कोई प्रयास इस अवधि में नहीं हुए। क्योंकि निगम अधिकारी किसी पचड़े में पड़ना ही नहीं चाहते। यही कारण है कि सड़कों पर आज भी 200 से ज्यादा दुधारू पशु। बता दें कि दुधारू गाय को कोई भी गोशाला रखने से इंकार नहीं करती। फिर भी निगम कर्मचारी जगह नहीं होने का बहाना बनाकर इन्हें भी नहीं पकड़ते।