पराली बेचकर किसान कमा सकते हैं 73.80 करोड़
जिस पराली को जलाकर किसान पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहे हैं उसे बेचकर किसान मालामाल हो सकते हैं। एक अनुमान के अनुसार जिले में 4.10 लाख टन पराली खेतों से निकलती है।
कुलदीप चहल, अंबाला
जिस पराली को जलाकर किसान पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहे हैं उसे बेचकर किसान मालामाल हो सकते हैं। एक अनुमान के अनुसार जिले में 4.10 लाख टन पराली खेतों से निकलती है। इस पराली को बेचकर जिले भर के किसानों को 73.80 करोड़ रुपये की आमदनी हो सकती है। यह आंकड़ा बेशक चौंकाने वाला है, लेकिन यदि किसान पराली को बेचे तो किस्मत जरूर चमकेगी। इसके लिए जिला कृषि विभाग ने रिपोर्ट तैयार की है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि कैसे किसानों की आमदनी पराली बेचकर बढ़ाई जा सकती है। इसके लिए शुगर मिल नारायणगढ़ में निजी कंपनी पराली को खरीदेगी, जबकि गांव उगाड़ा बाड़ा में पराली प्रबंधन का ट्रायल भी किया गया।
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जिले में गांव : 499
बासमती चावल उत्पादक गांव : 46
धान कटाई का समय : 15 अक्टूबर से 15 नवंबर
बासमती की कटाई का समय : 30 नवंबर तक
----- बेलर मशीन से गांठ बनाने की क्षमता
छोटी गांठ : 15 से 20 एकड़ में 20-25 किलो
गोल गांठ : 35 से 40 एकड़ में 275-325 किलो
बड़ी गांठ : 90 से 100 एकड़ में 527-575 किलो
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बोलते हैं आंकड़े
धान का अनुमानित एरिया : 205000 एकड़
पराली : 410000 टन
गांठ बनाकर : 1800 रुपये प्रति टन
खुली : 1200 रुपये प्रति टन
कुल कीमत : 73.80 करोड़ रुपये
----------- विभाग के प्रपोजल में इस तरह से इकठ्ठा होती पराली
जिला कृषि विभाग ने एक रिपोर्ट तैयार की थी, जिसमें बताया गया था कि पराली कैसे इकठ्ठा की जाए। इसके लिए कटाई, रैक बनाना, गांठ बनाने के साथ ही हर पांच किलोमीटर पर कलेक्शन सेंटर स्थापित करने, कम दूरी के ट्रैक्टर ट्राली तथा लंबी दूरी के लिए ट्रकों से पराली तय स्थान पर भेजने की योजना है।
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वायु प्रदूषण से इस तरह है नुकसान
- 0 से 50 एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआइ)- कम असर
- 51-100 एक्यूआइ - सांस लेने में कठिनाई
- 101-200 एक्यूआइ - सांस लेने में कठिनाई, फेफड़ों की समस्या, बच्चों व बुजुर्गों पर ज्यादा असर
- 201-300 एक्यूआइ - सांस लेने में कठिनाई के साथ हृदय रोग की आशंका
- 301-400 एक्यूआइ- सांस लेने में कठिनाई, फेफड़ों व हृदय रोगियों के लिए खतरा
- 401-500 एक्यूआइ- स्वस्थ्य व्यक्तियों को भी सांस लेने में कठिनाई, फेफड़ों व हृदय रोगियों के लिए खतरा, सामान्य रूप से चलने में परेशानी।
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वर्जन
पराली प्रबंधन के लिए सरकार किसानों को लगातार जागरूक कर रही है। इसे बेचकर अच्छी खासी कमाई की जा सकती है। इसके लिए सरकार प्रोत्साहन भी दे रही है।
- डा. गिरीश नागपाल, डिप्टी डायरेक्टर एग्रीकल्चर, अंबाला