लोकतंत्र के चयन में हर नागरिक निभाए अपनी जिम्मेदारी
पांच साल बाद चुनावी पर्व आ गया है। इस पर्व में ही नागरिकों को तय करना है कि पांच साल के लिए देश की कमान किसे सौंपनी है।
जागरण संवाददाता, अंबाला शहर
पांच साल बाद चुनावी पर्व आ गया है। इस पर्व में ही नागरिकों को तय करना है कि पांच साल के लिए देश की कमान किसे सौंपनी है। इसके लिए सभी का मतदान करना जरूरी है। भले ही मतदान केंद्र कितनी दूरी पर हो। मतदान करने से ही सही लोकतंत्र का चयन हो। हालांकि मतदान किसी जाति-धर्म या वर्ग विशेष के आधार पर नहीं, देश के विकास को देखकर ही करना है।
पूर्व वार एसोसिएशन प्रधान उमरीश गांधी ने बताया कि मताधिकार का प्रयोग सोच समझ कर सही प्रत्याशी को देना चाहिए। उसी प्रत्याशी के द्वारा प्रधानमंत्री चुना जाना है। यदि प्रधानमंत्री देश हित को आगे रखेगा तभी देश आगे बढ़ेगा।
एडवोकेट अनु सरीन ने बताया कि लोग उम्मीदवार का चेहरा देखकर वोट देते हैं। लेकिन उम्मीदवार जीतकर भी सरकार से काम नहीं ले पाता। यदि हम यह देखे कि कौन पीएम बनेगा, क्योंकि जिस प्रतिनिधि को हम चुनेंगे उसी से प्रधानमंत्री बनना है। वोट पीएम को देखकर देना चाहिए जो देश को आगे ले जा सके।
एडवोकेट ओपी शर्मा ने बताया कि हर व्यक्ति को अपनी वोट देनी चाहिए। बेशक मतदान केंद्र घर से कितनी भी दूर हो। इसमें लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए। अगर सभी शतप्रतिशत मतदान करेंगे तो ही देश को चलाने के लिए अच्छी सरकार का चयन हो सकेगा।
एडवोकेट सरिता जरोरा ने बताया कि उम्मीदवार ऐसा होना चाहिए जो जनता के वादे पूरे कर सके। लेकिन ज्यादातर जनता से किए वादे अधूरे ही रह जाते हैं। उम्मीदवार को चुनावों से पहले इतने ही कामों की घोषणा करनी चाहिए जितने पूरा करवा सके। ताकि जनता का विश्वास बना रहे।
यूके बैंक के पूर्व सहायक महाप्रबंधक प्रेम अग्रवाल ने बताया कि अपना वोट किसी उम्मीदवार की बजाए पार्टी को देना चाहिए। क्योंकि उम्मीदवार पार्टी की विचारधारा से अलग कदम नहीं उठा सकता। जो पार्टी देश हित को आगे लेकर चल रही है और उसने देश हित में क्या किया है सभी का विश्लेषण करके मत देना चाहिए।