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बुजुर्ग को बैंक से जमापूंजी निकालने में काटने पर पड़ रहे चक्कर

छावनी के पंजाबी मोहल्ला स्थित सेंट्रल बैंक आफ इंडिया की शाखा में 65 वर्षीय बुजुर्ग शशि गुप्ता को अपनी जमापूंजी निकालने में धक्के खाने पड़ रहे हैं। बैंक कर्मचारी वेरिफिकेशन न ही परिजनों की मान रहे हैं। यहां तो बैंक शाखा से रिटायर्ड कर्मी भी गारंटी देने के लिए तैयार है लेकिन कर्मचारी मनमानी कर रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Fri, 26 Apr 2019 06:30 AM (IST)Updated: Fri, 26 Apr 2019 06:30 AM (IST)
बुजुर्ग को बैंक से जमापूंजी निकालने में काटने पर पड़ रहे चक्कर
बुजुर्ग को बैंक से जमापूंजी निकालने में काटने पर पड़ रहे चक्कर

जागरण संवाददाता, अंबाला : छावनी के पंजाबी मोहल्ला स्थित सेंट्रल बैंक आफ इंडिया की शाखा में 65 वर्षीय बुजुर्ग शशि गुप्ता को अपनी जमापूंजी निकालने में धक्के खाने पड़ रहे हैं। बैंक कर्मचारी वेरिफिकेशन न ही परिजनों की मान रहे हैं। यहां तो बैंक शाखा से रिटायर्ड कर्मी भी गारंटी देने के लिए तैयार है लेकिन कर्मचारी मनमानी कर रहे हैं। जिससे बुजुर्ग और उसके परिजन परेशान हैं। परिजनों ने बैंक कर्मियों के व्यवहार को गलत बताया है। उन्होंने कहा कि बैंक में उनके पांच बैंक अकाउंट हैं और बैंक कर्मियों का गलत रवैये के चलते वह सभी अकाउंट को यहां से बंद कर देंगे।

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बुजुर्ग महिला के बेटे एवं सराफ कारोबारी नरेश गुप्ता ने बताया कि वह छावनी के पल्लेदार मोहल्ले में रहते हैं। करीब 30 साल पुराना उनकी मां शशि गुप्ता का बैंक अकाउंट हैं जिसमें इस वक्त 1 लाख 80 हजार की राशि पड़ी हैं। उनको पैसे की जरूरत थी इसीलिए उसकी मां ने 80 और 90 हजार की नकद राशि के दो सेल्फ के चेक काट दिए। पहले उन्होंने यह राशि लेने के लिए एक युवक को भेजा, जिसे बैंक ने पैसे देने से मना कर दिया। इसके बाद सवा 3 बजे वह अपनी मां को लेकर बैंक में पहुंचा। यहां पर जब उसकी मां ने साइन किए तो उसके गुप्ता शब्द में ता में आ की मात्रा हाथ कांपने की वजह से सही नहीं डल पाया। इसीलिए बैंक ने पेमेंट देने से इंकार कर दिया। उन्होंने सभी आइडी प्रूफ वगैरह भी बैंक को दिखाएं कि यह अकाउंट उनका ही है और अब बुजुर्ग होने की वजह से आ की मात्रा नहीं लगा पा रही है। इसीलिए यदि आपको डाक्यूमेंट वेरिफाइ करने तो है तो आप कर सकते हैं। लेकिन बैंक कर्मी अपनी जिद पर ही अड़ा रहा। इसके बाद उन्होंने बैंक शाखा से रिटायर्ड हुए केदार नाथ गुप्ता को बुलाया ताकि वह बैंक को गारंटी दे सके। रिटायर्ड कर्मी ने भी इसकी गारंटी दी लेकिन कर्मी अपनी मनमानी पर अड़ा रहा और 50 हजार से ज्यादा की राशि नकद नहीं देने का तर्क देने लगा। जब आरबीआइ के नियमों की कॉपी मांगी गई तो कर्मी वह भी नहीं दे पाया। इसके बाद नाराज बैंक ग्राहकों ने महिला बैंक मैनेजर से बातचीत की लेकिन वह भी उनकी समस्या का समाधान नहीं कर पाई। मैनेजर पर ग्राहकों ने आरोप लगाया है कि लंबे समय से मैनेजर शाखा में तैनात हैं इसीलिए वह खासकर उनके साथ रंजिश रख रही है। नोटबंदी के दौरान मैनेजर ने पुलिस बुला ली थी लेकिन बाद में यूनियन ने हस्तक्षेप किया और बैंक कर्मियों ने माफी मांग कर मामला शांत कराया था। उधर, इस मामले में सेंट्रल बैंक आफ इंडिया की ओर से कर्मचारी मोहित ने पक्ष रखने से मना कर दिया। उन्होंने कहा कि यह विषय मीडिया का नहीं है। ग्राहक मीडिया की बजाए हमारे आला अधिकारियों को शिकायत करें। वो इस विषय को देखेंगे।


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