किराये की बल्लियों से तैयार कर दिया आठ इंच चौड़ा पुल, उसी से तय हो रहा स्कूल से लेकर सड़क का सफर
आठ इंच चौड़ी और करीब तीन सौ मीटर लंबी
अंशु शर्मा, अंबाला
आठ इंच चौड़ी और करीब तीन सौ मीटर लंबी 80 किराये की बल्लियों से यहां स्कूल से सड़क तक का सफर मासूमों से लेकर बड़े और बुजुर्ग तय करते हैं। यहां दिन शुरू होने से लेकर रात होने तक लोगों को हर पल अग्नि परीक्षा देनी पड़ती है। बल्लियों के सहारे करीब तीन फीट गहरे पानी से होकर निकलना पड़ता है। स्थिति उस समय ओर भी दयनीय हो जाती है जब ऐसे हालात में मरीज को अस्पताल तक पहुंचाना हो। पानी में ट्रैक्टर के बड़े पहिए की टयूब के सहारे ही मरीज को यहां से निकाला जाता है जिसके बाद ही वह अस्पताल तक का सफर तय कर पाता है। यह स्थिति किसी पिछड़े हुए आदिवासी इलाके की नहीं बल्कि अंबाला छावनी व स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज के विधानसभा क्षेत्र की है। छावनी विधानसभा क्षेत्र से सटे गांव मच्छौंडा में पिछले आठ माह से स्थितियां कुछ ऐसी ही हैं। मच्छौंडा, शाहपुर व चंद्रपुरी के अंदर पानी निकासी के कोई बंदोबस्त न होने के कारण यह स्थिति बनी हुई है। खेतों के बीच व आसपास बसे मकानों के चारों तरफ दो से तीन फीट तक पानी जमा है। सामाजिक जीवनधारा से यह परिवार पूरी तरह से कट चुके हैं और प्रशासन अभी तक समाधान विकास यहां तक पहुंच नहीं पाया है। दरअसल, छावनी से दस किलोमीटर दूर बसा गांव मच्छौंडा जोकि नगर निगम में शामिल है। अभी तक इलाके में पानी निकासी के ही कोई बंदोबस्त नहीं सके। जोहड़ व छोटी डिग्गी ओवरफ्लो होने के कारण नालियों, नालों व बरसात का पानी यहां जमा हो चुका है। सैकड़ों एकड़ के अंदर फैले पाने के कारण इलाके का जनजीवन पूरी तरह से अस्त-व्स्त हो चुका। नगर निगम अधिकारियों सहित मंत्री के समक्ष भी कई माह से दुखड़ा रोने के बावजूद नतीजा सिफर है।
40 एकड़ में दो सीजन से जमीन पर नहीं हो रही बिजाई
मच्छौंडा में फैले पानी ने जमीदारों पर भी जबदस्त मार की है। जिस कारण किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। मुख्य सड़क के पास खेतों के अंदर पानी पिछले आठ माह से पानी जमा होने के कारण न तो किसान दो सीजन से खेत में बिजाई कर पा रहे और न ही कुछ काम। महज पानी के अंदर डूबे खेतों को देखकर प्रशासन की अनदेखी का रोना रोते हुए दिखाई देते हैं। किसानों के मानें तो हर सीजन में उन्हें लाखों का नुकसान हो रहा है। जमीन के दाम भी घटते जा रहे हैं।
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किराये पर बल्लियों से बनाया रास्ता
क्षेत्रवासी भाग ¨सह का कहना है कि प्रशासन से गुहार लगाने के बाद भी कोई समाधान न होने पर रास्ता बनाने की ठानी थी। किराए पर 80 बल्लियां लाकर मकान से सड़क तक पुल बनाया। जिस पर से वह हाथों में डंडों के सहारे निकलते हैं। रात के समय हाथों में टार्च लेकर गुजरना पड़ता है। पिछले माह ही बेटे को सांप ने काट लिया था।
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नरकीय जीवन व्यतीत कर रहे
बिमला का कहना है कि 15 साल से यहां रह रहे है मगर कभी ऐसे हालात नहीं हुए। अब तो नरकीय जीवन व्यतीत करने पर मजबूर हो गए है। आठ इंच की पुलिया के सहारे ही वह आ जा सकते हैं। पहले तो बच्चों को छुट्टी दिलवाकर घर पर बैठाएं रखा। पुल पर चलने सिखने के बाद वह स्कूल जाने लगे हैं। प्रशासन को इस ओर ध्यान देना चाहिए।
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बेटे की शादी में झेली भारी परेशानी
मच्छौंडा निवासी मंजीत ¨सह ने बताया कि खेत के अंदर बने मकान के चारों तरफ पानी जमा है। चार फरवरी को बेटे की शादी में रिश्तेदारों को ट्रॉलियों के अंदर पानी में से ले जाया गया। इस बदहाली को देखकर रिश्तेदारों ने भी प्रशासन को जमकर कोसा। 20 किल्ले के अंदर हर सीजन में खेती करते थे। दो सीजन से जमीन का कोई लाभ नहीं मिल पा रहा। लाखों का नुकसान होने पर भी कोई सुधार नहीं पा रहा।
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पानी निकासी नहीं होने पर आ रही परेशानी
संजय कुमार ने बताया कि पहले पंचायत फिर नगर निगम। हैरानी की बात है कि अभी तक इलाके से पानी निकासी के लिए कोई बंदोबस्त ही नहीं। बिना बरसात लोगों के मकानों के बाहर लंबे समय से पानी खड़ा है। मगर प्रशासन की कानों में जूं तक नहीं रेंग रही। हर बार झूठे आश्वासन ही मिलते हैं।
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डेंगू फैलने का मंडरा रहा खतरा
पवन शर्मा ने बताया कि इलाके में जो हालात है उसे देखकर तो डेंगू फैलने का खतरा मंडराता रहा है। गंदे के पानी में जहरीले कीड़ों के काटने से कई-कई दिन तक लोग बुखार की चपेट में रहते हैं। मकानों की दीवारों के अंदर दरारे व सीलन आने लगी है।