नशे के कारोबार का जंक्शन बन रहा ये स्टेशन, 100 ट्रेनों में गश्त तक नहीं हो पाती
अंबाला रेलवे स्टेशन नशा कारोबारियों के जंक्शन बनता जा रहा है। कई राज्यों से रेल और सड़क संपर्क नशे के कारोबारियों के लिए वरदान साबित हो रहा है।
अंबाला [दीपक बहल]। जिन नशीले पदार्थों की मार से पड़ोसी राज्य पंजाब बेहाल है उनसे अब हरियाणा के भी कई जिले इसकी चपेट में आ गए हैं। इसके कारोबार का जंक्शन दरअसल अंबाला ही है। कई राज्यों से रेल और सड़क संपर्क नशे के कारोबारियों के लिए वरदान साबित हो रहा है। दूसरी तरफ, 100 ट्रेनों में पुलिस की गश्त ही नहीं हो पाती।
अंबाला रेलवे का महत्वपूर्ण जंक्शन है। लुधियाना, चंडीगढ़, सहारनपुर और दिल्ली रूट से आने वाली सभी ट्रेनें यहां रुकती हैं। दिल्ली से पाकिस्तान को जोड़ने वाली जीटी रोड यहां से गुजरती है। इन कारणों से तस्करों के लिए सुरक्षा एजेंसियों की आंख में धूल झोंकना आसान है। वे आसानी से रूट बदल देते हैं। बस से आए तो ट्रेन पकड़ लेते हैं। ट्रेन से आए तो बस।
जांचने की व्यवस्था नहीं
तस्करी के लिए ट्रेनें सबसे सुरक्षित माध्यम मानी जा रही हैं। दरअसल, स्टेशनों पर जांच की कोई व्यवस्था नहीं होने के कारण तस्कर आसानी से एक राज्य से दूसरे राज्य तक नशा पहुंचा देते हैं। जीआरपी में 55 फीसद से अधिक पद खाली पड़े हैं। 16 थानों में एक भी पुलिस थाना ऐसा नहीं, जहां स्टाफ पूरा हो। करीब सौ ट्रेनों में एक भी पुलिसकर्मी की गश्त नहीं लगाई जा रही।
बेरोजगारों का होता इस्तेमाल
नशे के कारोबार में बड़ी मछलियों पर कानून के लंबे हाथ नहीं पहुंच पाते। कारण यह कि नशीले पदार्थों की सप्लाई के लिए ट्रेनों में दैनिक यात्रा करने वाले और बेरोजगार युवकों का इस्तेमाल किया जा रहा है। मजदूरी देकर इन्हें भेजा जाता है।
अंबाला पुलिस ने पकड़ा था विदेशी जोड़ा
दो साल पहले अंबाला पुलिस ने तन्जानिया की जैयल, नाईजीरिया के करीस्ट कोफी व चिडोजी इनोसेंट को ब्राउन शुगर के साथ पकड़ा था। ये दिल्ली से लाकर यूनिवर्सिटी और कालेजों में इसकी सप्लाई करते थे। पिछले दिनों अंबाला छावनी के नागरिक अस्पताल में इलाज के दौरान चंडीगढ़ के युवक-युवती ने सनसनीखेज खुलासा किया था।
अंबाला से जा रहे नशे के इंजेक्शन
नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) और चंडीगढ़ पुलिस की जांच में सामने आया कि नशीले इंजेक्शन की खेप अंबाला और सहारनपुर से लाई जा रही है। छोटे सप्लायर महज 20 रुपये में इन्हें खरीदते हैं और 100 से 200 रुपये तक में बेचते हैं। इसमें प्रयुक्त सीरींज से एचआइवी के संक्रमण का खतरा होता है।
प्रदेश में 62 मुकदमे, गिरफ्तार सिर्फ 48
सन् 2017 में राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) ने प्रदेश में नशा तस्करी के कुल 62 मुकदमे दर्ज कर 48 आरोपितों को गिरफ्तार किया। अफीम 6 किलो, चरम 130 ग्राम, स्मैक 150 ग्राम, चूरापोस्त 1 क्विंटल,गांजा 1.98 क्विंटल पकड़ा। पिछले साल प्रतिबंधित दवाइयों की 3790 गोलियां पकड़ी गई थीं।
थाना प्रभारियों कर रहे हैं ट्रेनों में गश्त : एसपी
प्रदेश के रेलवे एसपी विनोद कुमार ने माना कि करीब 100 ट्रेनों में गश्त नहीं है। उन्होंने सफाई दी कि स्टेशन पर ट्रेन पहुंचने पर चेकिंग की जाती है। सभी 16 थाना प्रभारियों को ट्रेनों में गश्त करने के आदेश दिए हैं। एक थाना प्रभारी सप्ताह में चार दिन ट्रेन में ड्यूटी कर रहा है। छह अलग-अलग थानों के एसएचओ ट्रेनों में गश्त करते हैं, इनकी सुपरविजन के लिए डीएसपी और वे खुद भी जाते हैं।
एसआइटी बनाई : डीजीपी
हरियाणा के डीजीपी बीएस संधू का कहना है कि हरियाणा में नशे के प्रसार पर अंकुश के लिए एसआइटी बनाई है, जो दूसरे राज्यों की सीमा पर विशेष रूप से चेकिंग करती है। जिलों में भी स्पेशल टीम के गठन पर विचार चल रहा है जो सिर्फ ड्रग्स माफिया पर नजर रखेगी। अभियान चलाकर युवाओं का जागरूक किया जा रहा है।
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