राज्य में सोमवार से होने वाली डाक्टरों की हड़ताल 31 तक स्थगित
हरियाणा सिविल मेडिकल सर्विस एसोसिएशन ने अपनी तीन प्रमुख मांगों को लेकर राज्य में हड़ताल की घोषणा कर दी। सोमवार से प्रस्तावित हड़ताल से स्वास्थ्य सेवाओं पर प्रभाव पड़ने की आशंका को देखते हुए राज्य के गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने रविवार को सुबह 10 बजे छावनी के रेस्ट हाउस में स्वास्थ्य विभाग की डायरेक्टर डा. वीणा सिंह और हड़ताल का ऐलान करने वाले एसोसिएशन के पदाधिकारियों के साथ आपात बैठक बुलाई।
जागरण संवाददाता, अंबाला : हरियाणा सिविल मेडिकल सर्विस एसोसिएशन ने अपनी तीन प्रमुख मांगों को लेकर राज्य में हड़ताल की घोषणा कर दी। सोमवार से प्रस्तावित हड़ताल से स्वास्थ्य सेवाओं पर प्रभाव पड़ने की आशंका को देखते हुए राज्य के गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने रविवार को सुबह 10 बजे छावनी के रेस्ट हाउस में स्वास्थ्य विभाग की डायरेक्टर डा. वीणा सिंह और हड़ताल का ऐलान करने वाले एसोसिएशन के पदाधिकारियों के साथ आपात बैठक बुलाई। बैठक में एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने कहा कि कोरोना काल में सीमित संसाधनों और स्टाफ के साथ दिनरात काम किया। राज्य में 2000 विशेषज्ञ होने जाए, जबकि सिर्फ 700 है और ऐसे में एक एक विशेषज्ञ पर लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने के लिए अतिरिक्त भार पड़ रहा है। विज ने एसोसिएशन के प्रधान और उप प्रधान के द्वारा रखे गए मांग को सुना और एक सप्ताह के भीतर सभी समस्याओं का समाधान मुख्यमंत्री से मिलकर समाधान कराने का आश्वासन दिया। इस पर एसोसिएशन ने 31 मार्च तक धरने को स्थगित करने की घोषणा की। इस पर विज ने कहा कि वह इस मामले में एक सप्ताह के भीतर अधिकारियों के साथ बैठक करके समाधान निकलवाने का काम करेंगे। बैठक में राज्य प्रधान डा.जगदीश परमार, उप प्रधान डा. एमपी सिंह, डा. शीलकांत पजनी, वीरेंद्र डांढा, राजेश कालिया सहित अन्य मौजूद रहे।
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प्रदेश में स्पेशिलस्ट के 2 हजार पद, 1300 रिक्त
एसोसिएशन एसएमओ की सीधी भर्ती पर रोक, स्पेशलिस्ट के खाली पद भरने और पोस्ट ग्रेजुएशन पालिसी में संशोधन की मांग कर रही है। सिविल मेडिकल एसोसिएशन की पंचकूला जिला इकाई के प्रधान मंदीप सिंह ने बताया कि प्रदेश में स्पेशिलस्ट डाक्टर के 2 हजार पद मंजूर हैं, जिनमें से 1300 खाली पड़े हैं। इस समय केवल 700 स्पेशिलस्ट डाक्टर सेवाएं दे रहे हैं। हरियाणा की आबादी लगभग 3 करोड़ है और आबादी के लिहाज से 42 से 45 हजार लोगों पर महज एक स्पेशलिस्ट डाक्टर है।