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लीजेंड इंफ्राटेक लिमिटेड के डायरेक्टर समेत आठ मैनेजर धोखाधड़ी में फंसे

कोर्ट के आदेशों पर पानीपत की लीजेंड इंफ्राटेक लिमिटेड कंपनी के प्रबंध निदेशक के खिलाफ मुकदमा दर्ज। अंबाला में 180 एजेंट बना कर 10 हजार बनाए थे निवेशक एक करोड़ की धोखाधड़ी।

By JagranEdited By: Published: Wed, 04 Sep 2019 09:49 AM (IST)Updated: Wed, 04 Sep 2019 09:49 AM (IST)
लीजेंड इंफ्राटेक लिमिटेड के डायरेक्टर समेत आठ मैनेजर धोखाधड़ी में फंसे
लीजेंड इंफ्राटेक लिमिटेड के डायरेक्टर समेत आठ मैनेजर धोखाधड़ी में फंसे

जागरण संवाददाता, अंबाला : चिट फंड में निवेश के नाम पर निवेशकों से की गई करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी के मामले में पानीपत की लीजेंड इंफ्राटेक लिमिटेड के प्रबंधक निदेशक विनोद कुमार के साथ-साथ अंबाला के दो क्षेत्रीय प्रबंधक और पांच ब्रांच मैनेजर फंस गए हैं। अदालत के आदेशों पर मंगलवार को अंबाला कैंट थाना पुलिस ने धोखाधड़ी और जान से मारने की धमकी देने समेत अन्य धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया है।

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आरोपित प्रबंधक निदेशक पानीपत के गांव मनाना के रहने वाले हैं और सेक्टर 25/2 के सुखदेव नगर में उन्होंने कंपनी का मुख्यालय भी खोला हुआ है। उनके साथ-साथ क्षेत्रीय प्रबंधक एवं पानीपत के शिव नगर निवासी विकास कौशिक एवं शाखा प्रबंधक विजय कौशिक छावनी में अम्बा मार्केट के सामने मित्तल बिल्डिग में कार्यालय चलाते थे। इसके अलावा दयाल बाग निवासी शाखा प्रबंधक गोपाल चंद, गांव गोला निवासी शाखा प्रबंधक सपना और निखिल, बीडी फ्लोर मिल के पीछे शालीमार बाग निवासी शाखा प्रबंधक शनाया सिंह तैनात थे जिनके खिलाफ मामला दर्ज कराने के लिए छावनी की चंद्रपुरी कॉलोनी निवासी चंदा ने दरवाजा खटखटाया था। ये है पूरा मामला

चंदा ने बताया कि लीजेंड कंपनी पहले 2011 तक पानीपत में काम करती थी। साल 2014 में क्षेत्रीय प्रबंधक विकास कौशिक, विजय कौशिक ने अंबे मार्केट में मित्तल बिल्डिग में अपना कार्यालय खोला और चिट फंड के नाम पर बेईमानी और धोखाधड़ी करने के लिए शाखा प्रबंधक विजय सिंह के साथ निवेशकों से संपर्क किया गया। लालच दिया गया कि यदि वह कंपनी में अपना पैसा निवेश करते हैं तो डाकघर और बैंक से ज्यादा ब्याज मिलेगा। यदि कंपनी के सदस्य बनकर निवेशक को लाएंगे तो उन्हें एक्टिवा स्कूटर और कार तक दी जाएगी। कई निवेशक बाद में कंपनी के सदस्य यानि एजेंट बन गए। जिन्होंने आगे अपने रिश्तेदारों के साथ-साथ करीब 10 हजार निवेशकों की जमा पूंजी कंपनी में लगवा दी। अंबाला और यमुनानगर में खोले कार्यालय

कंपनी ने अंबाला कैंट के साथ-साथ शहर, यमुनानगर में अपने कार्यालय भी खोले थे। साल 2017 में कंपनी ने निवेशकों को बिना बताएं जब कैंट और शहर से कार्यालय बंद कर दिए तो निवेशक परेशान हो गए। क्षेत्रीय प्रबंधकों से संपर्क किया तो उन्होंने पैसा लौटाने का झूठा आश्वासन दिया। इतना ही क्षेत्रीय प्रबंधकों ने खुद को बचाने के लिए कंपनी के प्रबंध निदेशक के खिलाफ 21 फरवरी 2017 को शिकायत देकर झूठा खेल रचा। आरोपितों ने निवेशकों को कभी भी पैसे की रसीद नहीं दी गई और एफडीआर, आरडी, बांड की परिपक्वता होने पर राशि वापस नहीं की गई। निवेशकों ने इसके बाद कैंट थाने में कई बार शिकायतें भी दी गई लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। इसीलिए निवेशकों ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। ऐसे की गई धोखाधड़ी

लीजेंट इंफ्राटेक इंडिया लिमिटेड के जिले में करीब 180 एजेंट थे जिनसे 10 हजार निवेशक जुड़े थे। जिन्होंने एक करोड़ रुपये कंपनी में लगाया था। अंबाला में आरडी और एफडी करने के लिए करीब 200 एजेंटों को रखा गया था। इन एजेंट को एक प्रतिशत कमीशन मिलता था। एजेंटों ने जब मुनाफा देखा तो उन्होंने अपना पैसा भी इसमें लगा दिया। इसके अलावा पूरे जिला से 10 हजार से अधिक निवेशक को भी कंपनी में पैसा लगाने के लिए जोड़ा गया था। हर निवेशक की एक से दो हजार रुपये की मासिक किस्त के जरिए करोड़ों रुपये साल 2016 तक पैसा इकट्ठा किया गया। आरोपितों ने लक्ष्मी प्रसाद मोदगिल, जय कुमार, नीलम, उर्मिला देवी, अनु, अनीता रानी, तान्या, अरुणा, राजिद्र प्रसाद, सुषमा, किरण, कांता देवी, सविता और मीनाक्षी, श्रवण कुमार, सलोनी, अनीता रानी, अश्वनी मंगला, सीमा, मनजीत के साथ धोखाधड़ी की है।


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