Haryana: यमुनानगर के उपायुक्त तक पहुंची पराली की आंच, पर्यावरण मंत्रालय ने मुख्य सचिव को लिखा पत्र
Haryana पराली जलाने के मामले में यमुनानगर के लिए जिला उपायुक्त को जिम्मेदार ठहराते हुए केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने हरियाणा के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर डीसी की जवाबदेही तय करने के निर्देश दिए हैं। यमुनानगर प्रदेश का अकेला जिला था जहां अधिक पराली जली।
चंडीगढ़, राज्य ब्यूरो: हरियाणा में पराली (धान के फसल अवशेष) जलाने के लिहाज से हाट स्पाट फतेहाबाद, कैथल, जींद, सिरसा और कुरुक्षेत्र में जहां पिछले साल स्थिति में काफी सुधार हुआ, वहीं यमुनानगर प्रदेश का अकेला जिला था, जहां अधिक पराली जली। इसके लिए जिला उपायुक्त को जिम्मेदार ठहराते हुए केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने हरियाणा के मुख्य सचिव संजीव कौशल को पत्र लिखकर यमुनानगर के डीसी की जवाबदेही तय करने के निर्देश दिए हैं।
हरियाणा में पराली प्रबंधन के लिए सरकार के स्तर पर किए जा रहे प्रयासों और किसानों में बढ़ती जागरूकता से पराली जलाने के मामलों में काफी गिरावट आई है। प्रदेश में वर्ष 2021 में 6987 स्थानों पर पराली जली थी जो पिछले साल घटकर 3661 रह गई। इस तरह 47.60 प्रतिशत कम पराली जली।
इस दौरान फतेहाबाद, कैथल, जींद, सिरसा और कुरुक्षेत्र में पराली जलाने की 2,548 घटनाएं दर्ज की गईं जो कुल घटनाओं का 69.6 प्रतिशत है, जबकि वर्ष 2021 में इन पांच जिलों में पराली जलाने की 4,644 घटनाएं हुईं थी। यहां पराली जलाने के मामलों में 45.1 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है।
इसी तरह हिसार, करनाल, पलवल, पानीपत और सोनीपत में पराली जलाने की सक्रिय घटनाओं में 50 फीसदी से अधिक की कमी दर्ज की गई। राज्य में पराली जलाने की सक्रिय घटनाओं में अधिकतम कमी फतेहाबाद जिले में 712 (1479 से घटकर 767) दर्ज की गई।
इसके उलट यमुनानगर में वर्ष 2021 में किसानों ने 147 स्थानों पर पराली जलाई थी, लेकिन वर्ष 2022 में यह ग्राफ 155 पर पहुंच गया। केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने इसका ठीकरा यमुनानगर के उपायुक्त पर फोड़ा है। 15 सितंबर से 30 नवंबर तक की अवधि में पराली जलाने के बढ़े मामलों के लिए मुख्य सचिव को उपायुक्त राहुल हुड्डा से जवाब तलब करने को कहा गया है जिन्हाेंने अगस्त के अंत में जिले का चार्ज संभाला था। इसके अलावा केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने पंजाब के बठिंडा और फाजिल्का तथा उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिलों के तत्कालीन उपायुक्तों से भी जवाब तलब करने के लिए संबंधित राज्यों के मुख्य सचिवों को निर्देश दिए हैं।
इस तरह घटे पराली जलाने के मामले
राज्य/केंद्र शासित प्रदेश -वर्ष 2021 में जली पराली -वर्ष 2022 में जली पराली -कमी (प्रतिशत में)
हरियाणा -6987 -3661 -47.60
पंजाब -71,304 -49,922 -29.99
एनसीआर- उत्तर प्रदेश -252 -198 -21.43
एनसीआर- राजस्थान -3 -1 -66.67
एनसीटी- दिल्ली -4 -10 -
कुल -78,550 -53,792 -31.51
हरियाणा का प्रदर्शन सबसे बेहतर
किसानों को पराली जलाने से रोकने में हरियाणा का प्रदर्शन सबसे बेहतर रहा है। प्रदेश में पिछले एक साल में पराली जलाने की कुल घटनाएं 6,987 से घटकर 3,661 रह गईं। वहीं, इस दौरान पंजाब में फसल अवशेषों को जलाने की घटनाएं 71 हजार 304 से घटकर 49 हजार 922 रह गईं थी। यानी इसमें 29.99 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई। उत्तर प्रदेश, राजस्थान और एनसीटी दिल्ली के एनसीआर जिलों में पराली जलाने की कुल घटनाएं 2021 के 259 से घटकर 2022 में 209 हो गईं थी।
यमुनानगर में कब कितने स्थानों पर जली पराली
वर्ष -पराली जली
2018 -102
2019 -106
2020 -248
2021 -147
2022 -155