राफेल के लिए बनने वाले एयरबेस में निर्माण पड़ा धीमा, फंड मिलने में हो रही देरी
इसी वर्ष सितंबर में दो राफेल विमान देश को मिल जाएंगे, लेकिन बजट की कमी के कारण इनके लिए अभी तक एयरफोर्स स्टेशन में इन्फ्रास्ट्रक्चर ही तैयार नहीं हो पाया है।
जेएनएन, अंबाला। इसी वर्ष सितंबर में दो राफेल विमान देश को मिल जाएंगे, लेकिन बजट की कमी के कारण इनके लिए अभी तक एयरफोर्स स्टेशन में इन्फ्रास्ट्रक्चर ही तैयार नहीं हो पाया है। अंबाला के साथ-साथ पश्चिम बंगाल के हाशिमारा एयरफोर्स स्टेशन पर भी बुनियादी ढांचे के लिए पहले चरण में अपग्रेडेशन का काम शुरू हो चुका है। काम कर रही कंपनियों को फंड मिलने में विलंब का असर निर्माण पर भी हो रहा है।
फ्रांस से समझौते के मुताबिक देश को 36 राफेल मिलेंगे। इनमें 18 अंबाला और 18 हाशिमारा एयरबेस पर रखे जाएंगे। पश्चिम बंगाल में स्थित हाशिमारा एयरबेस चीन और भूटान सीमा के करीब है। सन् 1919 में स्थापित अंबाला एयरफोर्स स्टेशन पाकिस्तानी सीमा से करीब 220 किलोमीटर दूर है। यहां अभी दो स्क्वाड्रन तैनात हैं। पहला जगुआर कॉम्बैट और दूसरी मिग-21 बाइसन। मिग-21 कुछ ही वर्षों में बेड़े से बाहर हो जाएंगे। ऐसे में राफेल महत्वपूर्ण हो जाता है। इसकी तैनाती से पाकिस्तान पर भारत की रणनीतिक बढ़त रहेगी।
एमईएसबीएआइ ने दे रखा है 15 फरवरी तक का अल्टीमेटम
मिलिट्री इंजीनियर्स सर्विसेज बिल्डर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एमईएसबीएआइ) ने करीब दो हजार करोड़ रुपये बकाया होने पर सरकार को 15 फरवरी तक का अल्टीमेटम भी दे दिया है। राफेल के अलावा ऊधमपुर और पुणे में मिलिट्री अस्पताल, रन-वे, कारगिल, लेह, बारामूला, श्रीनगर, राजौरी आदि जगह अलॉट किए गए प्रोजेक्टों में कुछ जगहों पर काम रुक गया है। कई जगह बंद हो गया है।
2000 में से दिए सिर्फ 250 करोड़ दिए
लंबे समय से देश भर के प्रोजेक्टों के लिए पेमेंट न होने पर एमईएस एसोसिशन ने 29 व 30 अक्टूबर, 2018 को हड़ताल पर जाने की चेतावनी दी थी लेकिन बाद में आश्वासन मिलने के बाद हड़ताल को स्थगित कर दिया गया था। 2000 करोड़ देने का वादा किया गया था, लेकिन 250 करोड़ मिले हैं। एसोसिएशन अब वित्त मंत्री और रक्षा मंत्री के दरबार में जाएगी।
इन प्रोजेक्टों पर पड़ रहा असर: प्रवीन
एमईएस बीएआइ के प्रधान प्रवीन महाना ने दैनिक जागरण को बताया कि देशभर में 73 ब्रांचों में करीब दस हजार कांट्रेक्टर हैं जिनको पेमेंट नहीं मिल रही हैं। राफेल प्रोजेक्ट भी करीब 40-50 प्रतिशत हुआ है। राफेल के अलावा ऊधमपुर, पुणे में मिलिट्री अस्पताल और क्वार्टर भी बजट की कमी में नहीं बन पा रहे हैं।