विदेशों में पढ़ाई करने वाले 50 से अधिक बच्चों की यात्रा पर कोवैक्सीन बना ग्रहण
विदेशों में पढ़ाई या नौकरी करने वालों को अपने देश में को-वैक्सीन की कंपलीट डोज लगवाना महंगा पड़ा। क्योंकि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने को-वैक्सीन को मान्यता ही नहीं दी है। विदेश के उड़ान भरने से भरने से पहले हवाई जहाज में सवार होते समय कोविशील्ड के वैक्सीनेशन का प्रमाणपत्र लगाना होता है।
जागरण संवाददाता, अंबाला : विदेशों में पढ़ाई या नौकरी करने वालों को अपने देश में को-वैक्सीन की कंपलीट डोज लगवाना महंगा पड़ा। क्योंकि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने को-वैक्सीन को मान्यता ही नहीं दी है। विदेश के उड़ान भरने से भरने से पहले हवाई जहाज में सवार होते समय कोविशील्ड के वैक्सीनेशन का प्रमाणपत्र लगाना होता है। अंबाला छावनी के 50 से अधिक युवा ऐसे हैं जिन्होंने कोवैक्सीन की पहली और दूसरी डोज लगवाई और अब वह विदेशों में पढ़ाई के नहीं जा पा रहे हैं। इसी तरह से अंबाला शहर और जिले भर में 200 से अधिक लोग हैं जो कोवैक्सीन लगवाने की वजह से विदेश नहीं जा पा रहे हैं। उम्मीद जताई जा रही है कि 25 अगस्त को विश्व स्वास्थ्य संगठन कोवैक्सीन लगवाने वालों को विदेश यात्रा को मंजूरी दे सकता है।
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पौने 9 लाख लोगों को लग चुकी वैक्सीन
अंबाला जिले में अब तक 8 लाख 79 हजार 651 लोगों को वैक्सीन की वैक्सीन लगाई जा चुकी है। इसमें कोविशील्ड और कोवैक्सीन पहली डोज 6 लाख 9 हजार 743 और दूसरी डोज 2 लाख 69 हजार 908 लोगों को बुधवार तक वैक्सीन लगाई जा चुकी है।
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केंद्र पर जानकारी करने पहुंच रहे युवा
सनातन धर्म सभा के संत निवास स्थित वैक्सीनेशन केंद्र पर वीरवार को एक दंपति पहुंचा, जिन्होंने को-वैक्सीन की कंपलीट डोज लगवा चुके थे और विदेश नहीं जा पा रहे। वैक्सीनेशन के नोडल अधिकारी ने बताया कि अभी विश्व स्वास्थ्य संगठन से मंजूरी नहीं मिली है, मुख्यालय से जैसा भी आदेश आएगा आपको अवगत करा दिया जाएगा।
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वर्जन
विश्व स्वास्थ्य संगठन से को-वैक्सीन को मंजूरी नहीं मिली है, इस वजह से जो लोग को-वैक्सीन लगवाने विदेश की यात्रा नहीं कर पा रहें हैं। अंबाला छावनी में करीब 50 से अधिक ऐसे लोग प्रकाश में आए जिन्होंने को-वैक्सीन की पहली और दूसरी डोज लगवा चुके हैं।
- डा. विशाल गुप्ता, वैक्सीनेशन नोडल अधिकारी छावनी।