Move to Jagran APP

ट्विनसिटी में सरकारी अस्पताल में प्रसव करने में बढ़ा महिलाओं का भरोसा

ट्विन सिटी में सरकारी अस्पताल में महिलाओं का प्रसव करने में विश्वास बढ़ने लगा है। इस वजह से हर साल सरकारी अस्पताल में प्रसवों का ग्राफ बढ़ता जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों पर नजर डालें तो वर्ष 2019 में सरकारी अस्पताल में 72.87 फीसदी प्रसव हुए। वहीं वर्ष 2018 में 70.18 फीसदी प्रसव हुए थे। इसके साथ ही सरकारी अस्पताल में प्रसव करने में ट्विन सिटी प्रदेश में टॉप पर पहुंच गया है। विभाग की मानें तो हर साल गायनी विभाग में महिलाओं के लिए सुविधा बढ़ाई जा रही है। तब जाकर सरकारी अस्पताल में प्रसव का ग्राफ बढ़ा है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 11 Jan 2020 06:50 AM (IST)Updated: Sat, 11 Jan 2020 06:50 AM (IST)
ट्विनसिटी में सरकारी अस्पताल में प्रसव करने में बढ़ा महिलाओं का भरोसा
ट्विनसिटी में सरकारी अस्पताल में प्रसव करने में बढ़ा महिलाओं का भरोसा

कपिल कुमार, अंबाला शहर : ट्विन सिटी में सरकारी अस्पताल में महिलाओं का प्रसव करने में विश्वास बढ़ने लगा है। इस वजह से हर साल सरकारी अस्पताल में प्रसवों का ग्राफ बढ़ता जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों पर नजर डालें, तो वर्ष 2019 में सरकारी अस्पताल में 72.87 फीसदी प्रसव हुए। वहीं वर्ष 2018 में 70.18 फीसदी प्रसव हुए थे। इसके साथ ही सरकारी अस्पताल में प्रसव करने में ट्विन सिटी प्रदेश में टॉप पर पहुंच गया है। विभाग की मानें तो हर साल गायनी विभाग में महिलाओं के लिए सुविधा बढ़ाई जा रही है। तब जाकर सरकारी अस्पताल में प्रसव का ग्राफ बढ़ा है।

loksabha election banner

मालूम हो कि स्वास्थ्य विभाग की ओर से सीचएसी, पीएचसी और सरकारी अस्पताल में महिलाओं को संस्थागत प्रसव करने के लिए प्रेरित किया जाता है। इसके लिए वर्कशॉप में महिलाओं को संस्थागत प्रसव के लाभ भी बताए जाते हैं कि संस्थागत प्रसव में जच्चा व बच्चा दोनों सुरक्षित रहते है। वहीं ग्रामीण क्षेत्र में आशा व एएनएम गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण से लेकर प्रसव तक अनुसरण करती है। इस वजह से गायिनक विभाग की ओपीडी में महिलाओं की संख्या बढ़ी है, तो प्रसव के लिए आनी वाली महिलाओं का भी विश्वास बढ़ा है। वहीं गायनी विभाग में महिलाओं के लिए इलाज, खाना, लेकर आना और घर लेकर जाने तक मुफ्त सुविधा दी जाती है। ्र

इसका सीधे असर प्रसव के आंकड़ों पर नजर आ रहा है। स्वास्थ्य विभाग की माने तो पिछले पांच साल पहले सरकारी और निजी अस्पताल में 50 फीसदी चल रहा था। स्वास्थ्य विभाग ने अपने को हर साल अपग्रेड किया। इसके साथ ही सरकारी अस्पताल और प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में प्रसव के ग्राफ में सुधार होने लगा। वहीं स्वास्थ्य विभाग के दो साल के आंकड़ों पर नजर डाले, तो 2019 में अप्रैल से नवंबर तक 9359 सरकारी में प्रसव कराए गए। वहीं निजी चिकित्सालय में 3482 प्रसव कराए गए। ये भी एक वजह

गर्भवती महिला सरकारी अस्पताल और प्रथामिक केन्द्र पर इलाज, जांच और खाना फ्री होता है। यहां तक सीएचसी व पीएचसी पर अल्ट्रासाउंड भी फ्री कराए जाते हैं। जहां पर अल्ट्रांसाउंड मशीन नहीं हैं, तो निजी सेंटर पर भी अल्ट्रासाउंड कराया जात है। इसका भुगतान स्वास्थ्य विभाग करता है। यहां तक नवजात की जांच और इलाज भी फ्री होता है।

स्वास्थ्य विभाग का प्रसव का आंकड़ा साल 2018 2019

संस्था प्रसव अप्रैल से नंबवर प्रसव अप्रैल से नवंबर 2018 में प्रतिशत 2019 में प्रतिशत

सरकारी अस्पताल 8389 9359 70.18 72.87

निजी अस्पताल 3554 3482 29.73 27.11

घर पर 11 3 .09 .02

-------------------------

सरकारी अस्पताल में प्रसव करने में महिलाओं का विश्वास बढ़ रहा है। इसलिए जिला प्रदेश में टॉप पर पहुंच गया है।

डॉ. संगीता, डिप्टी सिविल सर्जन


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.