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कक्षाओं में टूटी कुर्सियों और बेंच के ढेर, बेंच नहीं टाट पर होती पढ़ाई

जागरण संवाददाता, अंबाला: शिक्षा विभाग भले ही सरकारी स्कूलों के रखरखाव व बेहतर सुविधाओं

By JagranEdited By: Published: Sat, 03 Nov 2018 08:16 PM (IST)Updated: Sat, 03 Nov 2018 08:16 PM (IST)
कक्षाओं में टूटी कुर्सियों और बेंच के ढेर, बेंच नहीं टाट पर होती पढ़ाई

जागरण संवाददाता, अंबाला: शिक्षा विभाग भले ही सरकारी स्कूलों के रखरखाव व बेहतर सुविधाओं के लिए लाखों का बजट जारी कर रहा हो, आज भी स्कूल पुराने ढर्रे पर चल रहे हैं। बिना बैंच के टाट पर बिठाकर बच्चों की पढ़ाई, खस्ता हाल बि¨ल्डग जैसी सालों पुरानी समस्याएं आज भी ज्यों की त्यों बनी हुई है। इसका अंदाजा तमाम समस्याओं से जूझ रहे राजकीय माध्यमिक विद्यालय दलीपगढ़ के हालात देखकर लगाया जा सकता है। इन हालातों का जायजा दैनिक जागरण की टीम ने शुक्रवार देखा। सुबह 11 बजकर 30 मिनट पर स्कूल पहुंचे तो स्कूल के साथ गंदगी से भरा नाला बिल्कुल स्कूल की दीवार के साथ सटा होने के कारण बदबू का आलम दिखा।

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मुख्य गेट के एक पिलर में दरार होने के कारण छुकाव अंदर की तरफ था। जो कभी भी हादसें को न्यौता दे सकता है। 213 बच्चों व 11 के स्टाफ वाले मिडिल व प्राइमरी ¨वग में कमरों व बैंच की कमी झेल रहे स्कूल के अंदर नौनिहाल बरामदों व जमीन पर बैठकर पढ़ने को मजबूर है। यहां तक की स्कूल के अंदर का जो फर्श है वो भी जगह-जगह से टूटा होने के कारण बच्चों को टाट बिछाकर बैठने तक में परेशानी उठानी पड़ती है। बावजूद शिक्षा ग्रहण करने की जिद के चलते अव्यवस्था के बीच अपनी पढ़ाई को जारी रखे हुए है। हैडटीचर से लेकर शिक्षक तक बच्चों की समस्याओं को अनदेखा क रहे।

एक कमरे में लगी रही दो-दो कक्षाएं, कबाड़ के बीच हो रही पढ़ाई

मिडिल ही नहीं प्राइमरी ¨वग में भी स्कूली बच्चों के लिए पर्याप्त कमरे नहीं है। यहीं कारण है कि एक कमरे के अंदर जहां दो-दो कक्षाओं लग रही है। बच्चे टाट पर महज दो फीट की जगह पर ही पढ़ाई करने को मजबूर है। चौथी कक्षा के कमरें की हालात इतनी खराब है कि बच्चों के बैठने की व्यवस्था के साथ-साथ स्टोर रूम भी बना दिया गया। जहां स्कूल की टूटी कुर्सियों व कबाड़ के सामान रख हुआ है। गंदगी के बीच मच्छर भी पनप रहे हैं। स्कूल परिसर के अंदर एक-दो झूले लगे हैं वो भी टूटे पड़े हैं। परिसर में अंदर एक पेड़ लंबे से टूटकर गिरा पड़ा है जिसे बच्चे अपने खेलने के लिए इस्तेमाल करने को मजबूर है। अभी तक पेड़ को ही उठवाना उचित नहीं समझा गया।

स्कूल के मुख्य गेट का पिलर हाल ही में वाहन से टूट गया था। पिलर की मरम्मत के लिए आलाधिकारियों के संज्ञान में मामला डाला जा चुका है। कमरों की कमी तो है पर जगह न होने के कारण निर्माण करवा पा रहे। यही कारण है कि बैंच की डिमांड भी नहीं रखी जा रही। ताकि कमरों के अंदर टाट पर ज्यादा से ज्यादा बच्चे बैठ सके।

विजय कुमार, हैड टीचर, राजकीय माध्यमिक विद्यालय दलीपगढ़।


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