सेना सुरक्षा में उलझकर कैंटोनमेंट बोर्ड के नहीं लग पाए 10 मोबाइल टावर
सेना की सुरक्षा में कैंटोनमेंट बोर्ड के 10 मोबाइल टावर उलझ कर रह गए हैं। सेना की ओर से बोर्ड की 15 लोकेशन को सुरक्षा के चलते रद कर दिया है जिसके चलते कैंटोनमेंट बोर्ड छावनी के सेना क्षेत्र में कमजोर नेटवर्क सुधर नहीं पाया है। इसीलिए क्षेत्र में रहने वाले सिविलियंस और सेना के परिवारों को नेटवर्क की समस्या से दिक्कत हो रही है।
सुनील बराड़, अंबाला : सेना की सुरक्षा में कैंटोनमेंट बोर्ड के 10 मोबाइल टावर उलझ कर रह गए हैं। सेना की ओर से बोर्ड की 15 लोकेशन को सुरक्षा के चलते रद कर दिया है जिसके चलते कैंटोनमेंट बोर्ड छावनी के सेना क्षेत्र में कमजोर नेटवर्क सुधर नहीं पाया है। इसीलिए क्षेत्र में रहने वाले सिविलियंस और सेना के परिवारों को नेटवर्क की समस्या से दिक्कत हो रही है। बोर्ड की करीब दो साल पहले नेटवर्क सुधारने के लिए मोबाइल टावर लगाने की योजना भी सिरे नहीं चढ़ पाई है। योजना के मुताबिक बोर्ड की ओर से 15 टावर लगाए जाने थे जिनमें से महज पांच ही लग पाए हैं।
बोर्ड की ओर से पहले साल 2017 में ट्रीडेंट इंस्ट्राक्चर प्राइवेट लिमिटेड को एक साल के लिए टेंडर जारी किया गया है। टेंडर अलॉट करने के बाद बोर्ड मीटिग में यह मामला रखा गया था जहां से बोर्ड अध्यक्ष एवं ब्रिगेडियर के साथ-साथ सदस्यों की मंजूरी दी गई थी। मंजूरी मिलने के साथ ही सेना क्षेत्र में अलग-अलग पांच जगह पर बीते एक साल में पांच मोबाइल टावर लगाने का काम कंपनी की ओर से पूरा किया जा चुका है। एजेंसी की ओर से सेना क्षेत्र में कुल 20 लोकेशन का चुनाव मोबाइल टावर लगाने के लिए किया गया था लेकिन सेना की आपत्ति के चलते 15 लोकेशन को कैसिल कर दिया गया है। नई मोबाइल टावर लोकेशन का चुनाव करने की प्रक्रिया बहुत ही धीमी पड़ी हुई है। इसीलिए सिविलियंस और सेना परिवारों की नेटवर्क की दिक्कत बरकरार बनी हुई है।
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सेना ने यहां पर लगाए गए हैं टावर
छावनी के रेजीमेंट बाजार के नजदीक स्थित आकाश गंगा कम्यूनिटी हाल परिसर में सर्वे नंबर 47-9, पटेल पार्क सर्वे नंबर 119, माल रोड स्थित कोठी नंबर 102 के पीछे खाली पड़ी जगह में सर्वे नंबर 3, गजराज पार्क सड़क की साइड सर्वे नंबर 2 और 55 नंबर कोठी के नजदीक सर्वे नंबर 3 में टावर लगाए जा चुके हैं।
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मोबाइल टावर की लोकेशन को दोबारा से तय किया जाएगा, जो लोकेशन तय की थी वह रिजेक्ट हो चुकी है। सेना की सहमति से पांच टावर लगे चुके हैं जिससे कुछ हद से नेटवर्क की दिक्कत ठीक हो गई।
- सतीश, इंजीनियर, कैंटोनमेंट बोर्ड अंबाला छावनी।