बैंकों के विलय के खिलाफ बैंक कर्मियों ने की सरकार के खिलाफ नारेबाजी
बैंक आफ बड़ौदा के सामने यूनाइटेड फोरम बैंक यूनियन आह्वान पर बैंक कर्मियों ने प्रदर्शन किया। बैंक कर्मियों ने यह प्रदर्शन विजया बैंक, देना बैंक और बैंक आफ बड़ौदा के विलय को लेकर किया। फोरम के पदाधिकारियों का तर्क है कि भारत में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में एनपीए की समस्या का हल करना जरूरी है न कि बैंकों का विलय करना कोई समाधान है।
जागरण संवाददाता, अंबाला : बैंक आफ बड़ौदा के सामने यूनाइटेड फोरम बैंक यूनियन आह्वान पर बैंक कर्मियों ने प्रदर्शन किया। बैंक कर्मियों ने यह प्रदर्शन विजया बैंक, देना बैंक और बैंक आफ बड़ौदा के विलय को लेकर किया। फोरम के पदाधिकारियों का तर्क है कि भारत में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में एनपीए की समस्या का हल करना जरूरी है न कि बैंकों का विलय करना कोई समाधान है। सरकारी बैंकों की सबसे बड़ी समस्या एनपीए की है जिसको ठीक करने में भाजपा सरकार नाकाम साबित हुई है।
पदाधिकारियों ने कहा कि बैंकों के अंदर सुधार के नाम पर बैंकों का आपसी विलय किया जा रहा है जो गलत है। स्टेट बैंक आफ इंडिया में 5 एसोसिएट बैंकों का विलय किया गया था उस समय में एसोसिएट बैंकों के 31 मार्च 2017 को 65 हजार करोड़ के एनपीए थे और स्टेट बैंक के अपने एनपीए 1 लाख 12 हजार करोड़ था। जो एक लाख 77 करोड़ रुपये हो जाता है। अब यह आंकड़ा 2018 में 2 लाख 25 हजार करोड़ पहुंच गया। इसी के चलते स्टेट बैंक आफ इंडिया देश का घाटे वाला बैंक बन गया है। एसोसिएट बैंकों के विलय के चलते करीब 3 हजार शाखाएं लुप्त हो गई हैं। इसके अलावा 6 हजार कर्मियों और अधिकारियों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा है। अब देश में बैंक की 30 प्रतिशत ओर शाखाएं बंद होनी की कगार पर पहुंच गई है। इस मौके पर हरियाणा बैंक एम्लाइज फेडरेशन के चेयरमैन कामरेड आरके गुलाटी, उप प्रधान वीके वर्मा, कोषाध्यक्ष पीसी चौहान, सहायक सचिव बलजीत ¨सह और राज चोपड़ा समेत अन्य मौजूद थे।