हरियाणवी संस्कृति को मंच पर उतारने के अलावा जीवन में अपनाने की जरुरत: महाबीर गुड्डू
हरियाणवी संस्कृति आज सिर्फ मंचों तक सिमटकर रह गई है। युवाओं बदलते दौर के साथ इस कद्र बदल चुके हैं कि उन्हें केवल शहरों की मौज मस्ती के साथ अर्थहीन गीत ज्यादा पसंद आते हैं। अपने मनोरंजन के चक्कर में वह अपनी संस्कृति से दूर होते जा रहे। उन्हें पता नहीं घटिया चीज मनोरंजन तो करती है लेकिन समाज में उसका कोई योगदान नहीं होता।
अंशु शर्मा, अंबाला
हरियाणवी संस्कृति आज सिर्फ मंचों तक सिमटकर रह गई है। युवाओं बदलते दौर के साथ इस कद्र बदल चुके हैं कि उन्हें केवल शहरों की मौज मस्ती के साथ अर्थहीन गीत ज्यादा पसंद आते हैं। अपने मनोरंजन के चक्कर में वह अपनी संस्कृति से दूर होते जा रहे। उन्हें पता नहीं घटिया चीज मनोरंजन तो करती है, लेकिन समाज में उसका कोई योगदान नहीं होता। यह विचार हरियाणा सांस्कृतिक की शान कहें जाने वाले व हरियाणा गौरव से सम्मानित महाबीर गुड्डू ने बृहस्पतिवार दैनिक जागरण से हुई बातचीत में रखे। वह छावनी के एसडी कॉलेज में आयोजित 42वीं इंटर जोनल यूथ फेस्टिवल में जजमेंट के तौर पर पहुंचे थे। उन्होंने कहा कि आज के युवा में भटकाव है। वह निर्णय ही नहीं ले पा रहा है कि उसे किस तरफ जाना है। बदलते दौर के साथ आने वाली वॉट्सएप व फेसबुक, इंस्टाग्रॉम आदि सोशल मीडिया की सुविधाओं ने उन्हें भटका दिया है। उन्हें हरियाणा संस्कृति को बचाना है तो उसे अपने जीवन में भी उतारना चाहिए।
विरासत में मिली है हरियाणवी संस्कृति: गुड्डू
हरियाणा संस्कृति उन्हें विरासत में मिली है। वह आखिरी समय तक उसे बढ़ाने व युवाओं को प्रेरित करने में लगे रहेंगे। उन्होंने बताया कि उन्हें लंदन में हरियाणा गौरव, हरियाणा कला रत्न, पंडित लक्ष्मीचंद राज्य पुरस्कार आदि से सम्मानित किया जा चुका है। जिले के गांव कारखाना के राजकीय सीनियर सेकेंडरी स्कूल में बतौर प्रिसिपल पद से वह 31 अक्तूबर को रिटायर्ड हुए है। बावजूद उनका लगाव यूथ को अपनी संस्कृति के बारे में बताना है। उनके पिता पंडित श्रीचंद लेखक थे। उन्होंने कला के प्रचार-प्रसार को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित किया।
राजा नाहर सिंह की गाथा सुन झूम उठे छात्र
कॉलेज ऑडिटोरियम में कॉरियोग्राफी की शुरुआत में मंच पर उतरे महाबीर गुड्डू ने समां बांध दिया। खिलखिलाते चेहरे के साथ मंच पर उतरे गुड्डू ने शंख बजाकर माहौल को अध्यात्मिक बना दिया। उन्होंने अपने हरियाणवी अंदाज में राजा नाहर सिंह की वीर गाथा को सुनाना शुरू किया तो छात्राओं सहित शिक्षकों ने खूब पंसद किया। उनके हरियाणवी अंदाज ने युवाओं में देशभक्ति का जोश भर दिया। भारत माता के जयकारों से पूरा ऑडिटोरियम गूंज उठा।