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छावनी में एंटी रेबिज इंजेक्शन खत्म, आठ किलोमीटर दूर शहर अस्पताल बना मरीजों का सहारा

आवारा कुत्ते गली में घूम रहे हैं तो संभलकर चलें। क्योंकि कुत्ते के काटने पर छावनी अस्पताल में उपचार नहीं मिलेगा। एंटी रेबीज इंजेक्शन लगवाने के लिए आठ किलोमीटर दूर शहर नागरिक अस्पताल के चक्कर काटने पड़ेंगे। यहीं स्थिति 10 दिनों से छावनी के नागरिक अस्पताल की बनी हुई है। सप्लाई न होने के कारण अस्पताल में एंटी रेबिज के टीकों का संकट गहरा गया है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 02 Aug 2019 09:29 AM (IST)Updated: Fri, 02 Aug 2019 09:29 AM (IST)
छावनी में एंटी रेबिज इंजेक्शन खत्म, आठ किलोमीटर दूर शहर अस्पताल बना मरीजों का सहारा
छावनी में एंटी रेबिज इंजेक्शन खत्म, आठ किलोमीटर दूर शहर अस्पताल बना मरीजों का सहारा

जागरण संवाददाता, अंबाला: आवारा कुत्ते गली में घूम रहे हैं तो संभलकर चलें। क्योंकि कुत्ते के काटने पर छावनी अस्पताल में उपचार नहीं मिलेगा। एंटी रेबीज इंजेक्शन लगवाने के लिए आठ किलोमीटर दूर शहर नागरिक अस्पताल के चक्कर काटने पड़ेंगे। यहीं स्थिति 10 दिनों से छावनी के नागरिक अस्पताल की बनी हुई है। सप्लाई न होने के कारण अस्पताल में एंटी रेबिज के टीकों का संकट गहरा गया है। अस्पताल प्रबंधन की बार-बार शिकायतों को स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी अनदेखा करने में लगे हुए है। इसी अनदेखी के चलते रोजाना आवारा कुत्तों का शिकार होने वाले युवाओं, बच्चों व महिलाओं के लिए आफत खड़ी हो गई है। मजबूरी में उन्हें या तो प्राइवेट अस्पतालों में 300 से 400 रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं या फिर अंबाला शहर नागरिक अस्पताल में दौड़ लगानी पड़ रही है। वैकल्पिक व्यवस्था के लिए कोई कदम नहीं उठाए जा रहे। बता दें कि छावनी नागरिक अस्पताल में रोजाना 70 मरीज डॉग बाइट का शिकार होकर अस्पताल पहुंचते हैं।

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स्किन ओपीडी ने बढ़ाई मरीजों की मुश्किलें

ओपीडी ब्लॉक में चमड़ी के रोग का उपचार करवाने के लिए पहुंचे मरीजों को काफी परेशानी झेलनी पड़ी। चमड़ी रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रमोद की ड्यूटी इमरजेंसी वार्ड में पोस्टमार्टम रिपोर्ट के लिए लगी हुई थी। जबकि दूसरी डॉक्टर छुट्टी पर थी। जिस कारण मरीजों का रजिस्ट्रेशन काउंटर से ही मायूस होकर लौटना पड़ा। मरीज आशा देवी, पारूल मेहता, अनिता शर्मा का कहना है कि कम से कम एक डॅाक्टर तो ड्यूटी पर होना चाहिए। मरीजों की परेशानी से किसी को कोई मतलब ही नहीं।

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आवारा कुत्तों ने सड़कों पर आंतक मचा रखा है। बेटी दीक्षा को आखिरी टीका लगवाने के लिए स्कूल की छुट्टी करवाई थी और किराया खर्च कर अस्पताल पहुंची। यहां आकर पता चला कि एंटी रेबिज के इंजेक्शन ही नहीं है। अंबाला शहर दूरी पर है और प्राइवेट में काफी पैसे लग रहे हैं। कम से कम अधिकारियों को एंटी रेबिज के टीके तो उपलब्ध करवाने चाहिए।

-कमलेश, बीसी बाजार

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आवारा कुत्तों से आज पूरा शहर परेशान है। रोजाना सैंकड़ों की संख्या में लोग टीके लगवाने के लिए पहुंचते हैं। अस्पताल प्रबंधन को जिस प्रकार दूसरी दवाएं अपने स्तर पर खरीदने की छूट होती है उसी तरह एंटी रेबीज टीके भी खरीदने चाहिए। कम से कम लोगों को समय पर उपचार तो मिल सके।

-हेमा, महेश नगर

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कुत्ता काटने के बाद एंटी रेबिज के टीके का कोर्स शुरू किया है। पहले तो टीका लग गया, पंरतु अब टीका अस्पताल में उपलब्ध ही नहीं है। कई दिन से रोजाना चक्कर काट रहे हैं। बावजूद कर्मचारी है कि सप्लाई ना होने की बात बोलकर पल्लाझाड़ लेते हैं। आवारा कुत्तों पर लगान नहीं तो कम से कम अस्पताल में तो उपचार उपलब्ध करवाएं विभाग।

-दिवाकर, राजापार्क निवासी कई दिनों से एंटी रेबीज के टीकों की सप्लाई नहीं आ रही है। बार-बार संबंधित अधिकारियों को भी पत्र भेजकर डिमांड की जा चुकी है। पता चला कि वेयरहाउस में ही टीके उपलब्ध नहीं है। सप्लाई आते ही मरीजों को उपचार मिल जाएगा।

डॉ. सतीश, एसएमओ, अंबाला छावनी

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