78.46 करोड़ की अमृत योजना, सीवरेज के साथ पेयजल लाइन में भी गड़बड़झाला
कृषि योग्य भूमि में न केवल सीवरेज लाइन डाली गई बल्कि पेयजल लाइन भी इस भूमि में डाल दी गई। इस तरह 78.46 करोड़ की अमृत योजना में जमकर अनियमितताएं बरती गई। इतना ही नहीं ठेकेदार ने नियमों को ताक पर रखकर निर्धारित सीमेंट कंकरीट की परत भी नहीं डाली।
उमेश भार्गव, अंबाला शहर
कृषि योग्य भूमि में न केवल सीवरेज लाइन डाली गई बल्कि पेयजल लाइन भी इस भूमि में डाल दी गई। इस तरह 78.46 करोड़ की अमृत योजना में जमकर अनियमितताएं बरती गई। इतना ही नहीं ठेकेदार ने नियमों को ताक पर रखकर निर्धारित सीमेंट कंकरीट की परत भी नहीं डाली। यही कारण है कि एक साल से कम समय में ही यहां पर यह सीसी उखड़ने लगी है। सब कुछ जानते हुए भी नगर निगम के अधिकारियों ने इस पूरे मामले को कागजों में दफन कर दिया।
बता दें कि नगर निगम हाउस की पहली बैठक जोकि 25 फरवरी को हुई थी जिसकी अध्यक्षता तत्कालीन निगम आयुक्त डा. पार्थ गुप्ता ने की थी, में वार्ड नंबर चार के पार्षद विजय चौधरी ने इस मामले को उजागर किया था। इसी तरह हजपा के वार्ड नंबर-5 के पार्षद राजेश मेहता, कांग्रेस के मिथुन वर्मा, हजपा के ही राकेश सिगला, सरदूल सिंह सहित अन्य ने कहा था कि इसमें भारी भ्रष्टाचार हुआ है। इसके बाद अगस्त में हुई सदन की बैठक में भी यह मुद्दा उठाया गया तब तत्कालीन निगम आयुक्त धीरेंद्र खड़गटा ने चीफ इंजीनियर महिपाल को जांच को जिम्मा दिया था, लेकिन इसकी रिपोर्ट आजतक कागजों में ही दफन है। इस मामले में करीब 55 करोड़ रुपये ठेकेदार को पेमेंट भी की जा चुकी है। चार फुट पर डालनी थी लाइन
ठेके की तय शर्त के मुताबिक ठेकेदार को चार फुट पर पेयजल लाइन डाली थी लेकिन नियमों को ताक पर रखते हुए कहीं आधा फुट तो कहीं चार इंच पर ही पेयजल लाइन डाल दी गई। कुछ जगह तो थोड़ी बहुत जगह नई पेयजल लाइन डालकर उसे पुरानी के साथ ही जोड़ दिया गया जबकि 22 साल पुरानी सभी पेयजल लाइनों को बदला जाना था। मंडौर में खाली पड़ी जमीन में जोकि कई एकड़ में है पेयजल लाइन डाल दी गई। इसी तरह जड़ौत रोड पर दशमेश कालोनी में पाइप लाइन डालने के बाद 6 इंच सीसी करनी थी, लेकिन खानापूर्ति के लिए दो से तीन इंच सीसी कर दी गई। लिहाजा यह सीसी उखड़ गई।
इसी तरह गुरु नानक कालोनी, आसा सिंह गार्डन, जग्गी गार्डन में डाली सीसी उखड़ चुकी हैं। कबीर नगर में तो गली में पाइप लाइन सड़क के ऊपर ही रख दिए गए जबकि मुख्य लाइन करीब चार फुट नीचे दबी है। यही कारण है कि यहां घरों तक पानी ही नहीं पहुंच पा रहा। इतना ही नहीं कई एरिया जैसे बलदेव नगर की स्थिति यह है कि यहां पर पुरानी पेयजल लाइन के साथ नई पेयजल लाइन को जोड़ दिया गया। इसी कारण यहां पानी दूषित आता है जबकि टेंडर में पुरानी पेयजल लाइनों को बदलकर उनके स्थान पर नई लाइन डाली जानी थी। 2020 में 30 नवंबर तक पूरा करना था काम
शहर के रिहायशी एरिया में पेयजल लाइन डालने का टेंडर 2018 में जारी किया गया था। इसे 20 नवंबर 2020 तक पूरा किया जाना था लेकिन एक साल से ज्यादा समय बीतने के बावजूद अभी तक काम पूरा नहीं हुआ। हालांकि ठेकेदार को ज्यादातर पेमेंट रिलीज कर दी गई है। हालांकि ठेके की शर्त के मुताबिक इन पेयजल लाइन की देखरेख का जिम्मा अगले पांच साल तक इसी ठेकेदार का है। अमृत योजना के तहत डाले गए सीवरेज की ड्राइंग मंगवाई गई है। कोरोना के चलते थोड़ी देरी हो रही है क्योंकि 21 तक कार्यालय भी बंद करना पड़ा है। ड्राइंग आने के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो सकी।
- संजीव गुप्ता, एक्सईएन, नगर निगम पेयजल लाइनों की जांच का जिम्मा चीफ इंजीनियर को दिया गया था। अभी तक उन्होंने हमें इसकी जांच रिपोर्ट नहीं दी है। सदन में इस मुद्दे को उठाया गया था। इसकी रिपोर्ट क्या रहेगी इसके बारे में लिखित में जवाब मांगा जाएगा।
- शक्तिरानी शर्मा, मेयर नगर निगम