निगम जनप्रतिनिधियों व अफसरशाही को जनता ने नकारा, कार्यशैली से नाखुश
उमेश भार्गव, अंबाला शहर जनता को ज्यादा सुविधाएं देने के लिए नगर परिषद को भंग कर नगर निगम
उमेश भार्गव, अंबाला शहर
जनता को ज्यादा सुविधाएं देने के लिए नगर परिषद को भंग कर नगर निगम का गठन कर दिया गया, लेकिन आज भी मूलभूत सुविधाओं से ट्विनसिटी वासी वंचित हैं। यह हाल तब हैं, जब जिले की चारों विधानसभा और लोकसभा सीट से सत्ताधारी पक्ष के प्रतिनिधियों पर जनता ने भरोसा जताया है। करीब सात साल पहले नगर निगम का गठन किया गया था, लेकिन न तो स्टाफ बढ़ाया गया न संसाधन। सफाई व्यवस्था, स्ट्रीट लाइट, जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र, म्युटेशन, प्रॉपर्टी टैक्स आदि के लिए जनता निगम कार्यालयों में धक्के खा रही है। सरकार भले ही हादसों के बढ़ते आंकड़ों से ¨चतित है, लेकिन हादसों का मुख्य कारण बने बेसहारा पशुओं का कोई तोड़ निगम नहीं निकाल पाया। निगम की कार्यशैली से खुद स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज भी असंतुष्ट हैं, जो निगम को ही भंग करने की सिफारिश कर चुके हैं। जागरण अभियान के तहत सभी 20 वार्डो की ग्राउंड रिपोर्टिग की तो निगम जनप्रतिनिधियों और नगर निगम के अफसरों को जनता ने नकार दिया है। पहले चरण में हम आज प्रकाशित कर रहे हैं शहर के दो प्रमुख दिग्गजों के वार्ड का सच। यह सच्चाई जनता से ही जानिए :
मेयर रमेश मल को जनता के चार अंक
मेयर रमेश मल के वार्ड नंबर एक की ही जनता उनसे नाखुश है। दैनिक जागरण की ग्राउंड रिपोर्ट में मेयर रमेशमल को 10 में से चार अंक उनके वार्ड के बा¨शदों ने दिए। यह अंक 10 अलग-अलग लोगों से बातचीत के आधार पर दिए गए। नाहन हाउस, पुरानी बकरा मंडी, बाल्मीकिनगर, जोगी वाड़ा, डोगरा मोहल्ला, त्रिवेण रोड इन एरिया की जनता मेयर की कार्यशैली से नाखुश हैं।
हिम्मत ¨सह को साढ़े तीन अंक
अब हम बात कर रहे हैं कांग्रेसी दिग्गज हिम्मत सिंह की। लक्ष्मीनगर, मिलापनगर, एकता विहार, मानव चौक रतनगढ़ और न्यू रतनगढ़ कालोनी में लोग पार्षद हिम्मत ¨सह से नाखुश हैं। न्यू रतनगढ़ कालोनी में एक घंटा ही पानी लोगों को दिनभर नसीब होता है। नाले ऊपर से ढक दिए गए हैं, लेकिन गंदगी से अटे हैं। 10 में से छह लोगों ने पार्षद हिम्मत ¨सह से नाराजगी जताई तो एक ने कोई उन्हें पांच अंक दिए।
सभी वार्डो की मुख्य समस्याएं
भ्रष्टाचार : जनता की नजरों में निगम में सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार है। स्ट्रीट लाइट खरीद घोटाला, स्टेशनरी घोटाला, इंजन घोटाला, डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन घोटाला, डस्टबिन घोटाला, इंटरलॉ¨कग टाइल लगाने में घोटाला, म्युटेशन घोटाला, रसीद घोटाला आदि घोटालों की लिस्ट लंबी है। इन घोटालों में शामिल लोगों के खिलाफ आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।
सफाई व लाइट व्यवस्था : जनता सफाई व्यवस्था से नाखुश हैं। किसी भी वार्ड में सफाई नहीं है और सभी गंदगी से अटे हुए हैं। नालियों से लेकर गलियां तक गंदगी से अटी हुई हैं। ज्यादातर वार्ड में स्ट्रीट लाइट बंद पड़ी हैं।
अफसरों की कार्यशैली : नगर निगम के ज्वाइंट कमिश्नर और कमिश्नर से भी जनता परेशान है। बार-बार शिकायत करने के बावजूद अफसर जनता की नहीं सुनते। जनता का कहना है कि जब मेयर की ही नहीं चलती तो उनकी क्या चलेगी। ज्यादातर अफसर ही घोटालों में संलिप्त हैं।
जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र : बेशक सारी व्यवस्था डिजिटल हो चुकी है, लेकिन नगर निगम में जनता आज भी जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र के लिए धक्के खा रही हैं। जनता ने इसके लिए निगम अफसरों के साथ मेयर और अपने वार्ड पार्षदों को भी नकार दिया। अधिकतर लोगों का कहना था कि यदि अब उनके पार्षद खड़े होंगे तो उन्हें वोट नहीं देंगे।
सिटीजन चार्टर उड़ रही धज्जियां : सिटीजन चार्टर के अनुसार किसी काम को करने के लिए 24 घंटे से एक माह तक का अधिकतम समय है, लेकिन ऐसे काम हैं, जो एक-एक साल से नहीं हो रहे। जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र तक के लिए एक महीना लग रहा है।
अतिक्रमण और अवैध कब्जे :
जनता अतिक्रमण और अवैध कब्जे से परेशान है। सरकारी जमीन पर अतिक्रमण के साथ लोगों ने अवैध कब्जों की रोजाना शिकायत कर रहे हैं, लेकिन कोई भी सुनने वाला नहीं है।
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मेयर बोले, अधिकारी नहीं सुनते, अपनी सरकार के एक साल में कराए 52 करोड़ के कार्य हमारी सरकार के एक साल के कार्यकाल में करीब साढ़े 52 करोड़ के कार्य कराए गए। भाजपा सरकार आई है, उन्हें विकास के लिए मात्र 10 से 15 लाख से ज्यादा राशि नहीं दी जा रही। अधिकारी ही हमारी नहीं सुनते तो क्या करें। डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन सही है, जो खामियां हैं, वह अफसरों के स्तर की हैं। साइंस म्यूजियम, शहीदी स्मारक हमने ही इसके लिए हाउस में प्रस्ताव पर मुहर लगवाई। मंगतराम हत्थे में कभी पानी नहीं पहुंचता था, मेयर बनते ही सबसे पहले वादा पूरा करते हुए उन्होंने हर घर में पानी पहुंचाया। भ्रष्टाचार तो अफसरों और कर्मचारियों के कारण बड़े स्तर पर है।
रमेशमल, मेयर।
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विपक्ष : एक भी काम नहीं हुआ। गंदगी से गलियां और नाले गंदगी से अटे पड़े हैं। जैसी गलियां उनकी पार्टी के शासनकाल में थी, वही हालत अब है। हमारे वार्ड में एक ईट भी मेयर ने नई नहीं लगवाई, जो भी विकास कार्य हुए कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में हो गए। भूपेंद्र ¨सह हुड्डा पैसे देकर गए थे। उसके बाद अब सारे काम रुके पड़े हैं। मेयर तो जनता के कार्य के लिए मुहर तक फार्मों पर नहीं लगाते।
देवराज, पूर्व एमसी।
वार्ड तीन के लोगों ने मेयर के प्रति इस तरह दी प्रतिक्रिया
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नाहन हाउस में पांच साल में कोई विकास कार्य नहीं हुआ। जब कुछ काम ही नहीं हुआ तो मेयर की कार्यशैली से संतुष्ट होने का तो सवाल ही नहीं है। मेयर तो आज भी यही कहते हैं कि हमने उन्हें वोट नहीं दिया।
रामपाल।
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बाल्मीकि माजरी में नाले गंदगी से अंटे हुए हैं। सफाई करते तो हमने आज तक किसी कर्मचारी को देखा ही नहीं। सारे एमसी और अधिकारी निगम के भ्रष्ट हैं। मेयर को तो विश्वास ही नहीं है कि उन्हें किसी ने वोट पिछले चुनाव में दिया था। रोज नया घोटाला सुनते हैं, लेकिन आज तक कार्रवाई किसी पर नहीं हुई।
शिवकुमार।
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पार्षद ने माना नगर निगम कार्यालय में भ्रष्टाचार व्याप्त, पर गिनाई कार्यकाल की उपलब्धियां। निगम में बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार है। डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन तकनीक सही है, लेकिन निगम अधिकारियों के स्तर पर इसमें बढ़ा भ्रष्टाचार हो रहा है, जो गलत है। बरसाती पानी की निकासी व्यवस्था से बिलकुल संतुष्ट नहीं हूं। फिर भी उन्होंने अपने कार्यकाल में हुडा सेक्टरों में सीसीटीवी कैमरे और विभिन्न गेट लगवाए, पार्को का निर्माण, स्ट्रीट लाइट से लेकर ऐसी-ऐसी गलियां बनवाई, जो आज तक नहीं बनी थी।
हिम्मत ¨सह, पार्षद।
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विपक्ष : जब मैं सरपंच थी, तब यहां सारे काम पहले ही करा दिए थे। निर्मल गांव का दर्जा मिला था। उसके बाद से कोई काम नहीं हुआ यहां पर। कोई भी व्यक्ति पार्षद से संतुष्ट नहीं है। पानी की मुख्य समस्या है। वार्ड आठ के पार्षद का भी यहीं से पानी जाता है, यहां तो एक घंटा पानी नसीब होता है, जबकि वार्ड आठ में दिनभर पानी आपूर्ति होती है।
राणो देवी शर्मा, पूर्व सरपंच।
वार्ड नौ के लोगों का दर्द
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सुखदेव ¨सह का कहना है कि वार्ड आठ हो या नौ, सभी जगह बुरा हाल है। न्यू रतनगढ़ कालोनी में लोग पानी की बूंद-बूंद के लिए तरस रही है। एमसी साहब ने चार सालों में तीन-चार बार दर्शन दिए। सब भ्रष्ट और बेईमान हैं। सब जगह कब्जे हुए हैं क्या किसी को यह नहीं दिखते।
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जनेश्वर जैन का कहना है कि पानी की तो हमें जरूर दिक्कत है, लेकिन बाकी सब ठीक ही है। पार्षद भी तीन-चार बार यहां आ चुके हैं। वोट देना न देना तो सभी का अपना अधिकार होता है। यह तो समय ही तय करेगा कि किसको वोट देनी है। कुल मिलाकर पार्षद का काम ठीक ही है।