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Ambala News: सिक्कों के शौक से विदेशी धरा तक बनाई पहचान, तक्षला के की बैंटबार और पंचमार्क के सिक्के भी समेटे

शौक अगर नवाबी है तो इसमें क्या खराबी है.....यह पंक्ति अंबाला छावनी में माल रोड निवासी जगमोहन सेठ पर एकदम सटीक बैठती है। उन्होंने एक ऐसे शौक की लत लगी जिसने उन्हें देश में ही नहीं बल्कि विदेशी धरा तक पर मशहूर कर दिया।

By Jagran NewsEdited By: Nidhi VinodiyaPublished: Sat, 28 Jan 2023 08:48 PM (IST)Updated: Sat, 28 Jan 2023 08:48 PM (IST)
Ambala News: सिक्कों के शौक से विदेशी धरा तक बनाई पहचान, तक्षला के की बैंटबार और पंचमार्क के सिक्के भी समेटे
सिक्कों के शौक से विदेशी धरा तक बनाई पहचान, तक्षला के की बैंटबार और पंचमार्क के सिक्के भी समेटे

अंबाला, उमेश भार्गव  : शौक अगर नवाबी है तो इसमें क्या खराबी है.....यह पंक्ति अंबाला छावनी में माल रोड निवासी जगमोहन सेठ पर एकदम सटीक बैठती है। उन्होंने एक ऐसे शौक की लत लगी जिसने उन्हें देश में ही नहीं बल्कि विदेशी धरा तक पर मशहूर कर दिया। यह शौक है सिक्कों की कलेक्शन का। अपने इसी शौक के चलते 52 वर्ष की उम्र में आते-आते उन्होंने तक्षला से लेकर ब्रिटिश काल तक और आजाद भारत के करीब ढाई लाख सिक्कों की क्लेक्शन कर डाली। सेठ ने बताया कि जब वह छठी कक्षा में थे उनके पिता लखबीर सिंह सेठ ने कुछ सिक्के दिए।

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चार्टेड अकाउंटेंट का कोर्स भी किया 

इन सिक्कों ने जगमोहन सिंह ने अपने स्कूल कान्वेंट आफ जीजेस एंड मेरी में लगा दिया। इसी के बाद उन्होंने सिक्के इकट्ठे करना शुरू कर दिया। 11वीं-12वीं में पिता नाराज होने लगे कि पढ़ाई से ज्यादा सिक्कों पर ध्यान है। इसके बाद उन्होंने सिक्कों की कलेक्शन बंद कर जीएमएन कालेज से बीकाम की और चार्टेड अकाउंटेंट का कोर्स किया। 1994 में कोर्स खत्म होते ही फिर से सिक्कों की कलेक्शन शुरू कर दी।

न्यूमेसमेटिक्स एंड आर्कियोलॉजी मुंबई यूनिवर्सिटी से की एमए

सिक्कों के गहन अध्ययन के लिए इन्होंने एमए इन न्यूमेसमेटिक्स एंड आर्कियोलॉजी मुंबई यूनिवर्सिटी से की। इसके बाद कई सर्टिफिकेट नासिक से सिक्कों के अध्ययन के लिए किए हैं। इतना ही नहीं सिक्कों को पढ़ने के लिए उर्दू, ब्रह्मी, खराेष्ठी, ग्रीक व पंजाबी भाषा भी सीखी तक्षला की बैंटबार और पंचमार्क सिक्के जोकि 300 साल ईसा पूर्व के हैं। इसके अलावा काशी जनपद, मार्या जनपद, पांचाल जनपद के पंचमार्क सिक्के हैं। शुंघाकाल, कुषाण काल, गुप्ता, चौहान काल, 11वीं सदी के सुल्तानों के सिक्के जिनमें मोहम्मद खिलजी, बलबन, रजिया सुलतान, मोहम्मद तुगलक जैसे शासकों के समय के सिक्के हैं। शेरशाह सूरी, इस्लामशाह, इब्राहिम लोदी, बाबर, हिमायुं, अकबर, जांहगिर, शाहजहां, ओरंगजेब से लेकर बहादुरशाह जफर तक के समय के सिक्के मौजूद हैं।

राजनस्य, अर्जुनस्य, अडूंबरा, कुनिंदा काल के सिक्के भी मौजूद

हरियाणा-पंजाब के ट्राइबल किंग जिनमें अग्रोहा के सिक्के, योद्धा, राजनस्य, अर्जुनस्य, अडूंबरा, कुनिंदा काल के सिक्कों की भी अच्छी कलेक्शन इनके पास मौजूद है। ब्रिटिश कालीन सिक्के और आजाद भारत के लगभग सभी सिक्के इनके पास मौजूद हैं। वर्तमान में ओरिएंटल न्यूमेसमेटिक्स सोसायटी लंदन के सदस्य हैं, लाइफ मेंबर हैं न्यूमेसमेटिक्स सोसायटी बनारस के हैं जोकि सिक्कों के ऊपर अध्ययन करने वाली 100 से पुरानी सोसायटी है। नेशनल न्यूमेसमेटिक्स सोसायटी लुधियाना के सदस्य हैं। दिल्ली, कर्नाटक, कोटा, गुजरात, मुंबई, जयपुर इनके भी लाइफ मैंबर हैं।


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