अंबाला डिपो को 24 चालकों की दरकरार, यात्री परेशान
अब जल्द ही अंबाला रोडवेज डिपो में 24 चालकों की फौज आएगी। यह चालक दूसरे जिलों से आएंगे। बकायदा डिपो की तरफ से हेड क्वार्टर को चिट्ठी लिखी भेजी है।
जागरण संवाददाता, अंबाला शहर : अब जल्द ही अंबाला रोडवेज डिपो में 24 चालकों की फौज आएगी। यह चालक दूसरे जिलों से आएंगे। बकायदा डिपो की तरफ से हेड क्वार्टर को चिट्ठी लिखी भेजी है। उम्मीद जताई जा रही इसी माह चालक आ जाएंगे। दरअसल, डिपो में कर्मचारियों का भारी टोटा है। ऐसे में 24 बसें जो चालक के अभाव में वर्कशॉप में खड़ी हैं। बसों के रूटों पर न चलने से यात्रियों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। विभाग के राजस्व को भी चूना लग रहा। हालांकि विभागीय अधिकारी डिपो को प्रॉफिट में बता रहे, जबकि हकीकत में बसें चल नहीं पा रही।
यहां से भेजे जा सकते हैं चालक
डिपो में इस समय में ऑनरूट 194 चालक है जिनमें कई को साप्ताहिक अवकाश पर रहते हैं, जबकि डिपो में 250 से अधिक चालकों की जरूरत है। वहीं संख्या पूरी करने के लिए पंचकूला व अन्य डिपो से चालक भेजे जाएंगे। इसके लिए मुख्यालय प्रस्ताव भेजा जा चुका है। यही नहीं विभाग में कंडक्टरों की संख्या भी कम है। मौजूदा समय में 205 कंडक्टर ऑन रूट हैं, जबकि 300 से अधिक परिचालकों की जरूरत है। वहीं चालकों की संख्या कम होने से 24 बसें वर्कशॉप में खड़ी हैं।यही नहीं 40 बसें और ऐसी हैं जो कंडम होने के कगार पर हैं, लेकिन डिपो में बसों की संख्या कम होने पर उन्हें रूटों पर दौड़ाया जा रहा है।
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यूनियनें शुरू से कर रही बसों की डिमांड
रोडवेज कर्मचारी यूनियन के महासचिव पहल सिंह का कहना है रोडवेज की सभी यूनियनें शुरू से राज्य में सरकार से बसों की संख्या बढ़ाने की मांग करती आई है, लेकिन सरकार का इस तरफ बिलकुल भी ध्यान नहीं है। सरकार को सिर्फ प्राइवेट बसें हायर करने की पड़ी है। इससे पता चलता है सरकार की विभाग में बसों की संख्या बढ़ाने की मंशा नहीं है। बकायदा प्रदेश के यूनियन नेताओं ने चंडीगढ़ में सरकार के सामने रोडवेज बसों की संख्या बढ़ाने की मांग कर चुकी है, परंतु सरकार केवल झूठे वायदे कर अपनी पीठ थपथपाने पर लगी है।
डिपो में कर्मचारियों की संख्या कम है। दूसरे डिपो से 24 चालक आने है जिसके बारे में मुख्यालय को अवगत करवाया जा चुका है। चूंकि कर्मचारियों के न होने से बसों के रूट प्रभावित हो जाते हैं। उम्मीद है विभाग में जल्द कर्मचारी आ जाएंगे।
-संजय रावल, ट्रैफिक मैनेजर।