कैंटोनमेंट बोर्ड में प्रॉपर्टी के हिस्से की म्यूटेशन पर रोक, जनता काट रही चक्कर
म्यूटेशन का मतलब कॉरपोरेशन के रिकॉर्ड्स में किसी संपत्ति का ट्रासफर या नाम में बदलाव होता है। म्यूटेशन नहीं होने पर कोई भी अपनी खरीदी गई प्रॉपर्टी पर निर्माण नहीं कर सकता।
सुनील बराड़, अंबाला: सैन्य क्षेत्र में एक प्रॉपर्टी का हिस्सा होने पर कैंटोनमेंट बोर्ड म्यूटेशन (दाखिल खारिज) नहीं करता। बोर्ड कार्यालय में लोग म्यूटेशन कराने के लिए चक्कर काटते हैं, लेकिन बोर्ड प्रॉपर्टी के हिस्से पर रोक होने का तर्क देकर वापस लौटा रहा है। वहीं, कुछ लोगों का दावा है कि रसूखदार लोगों की जमीन का आसानी से म्यूटेशन हो जाता है। आम आदमी जिसकी ऊंची पहुंच नहीं होती, उसे बोर्ड कार्यालय के चक्कर काटने पड़ते हैं।
बता दें कि म्यूटेशन का मतलब कॉरपोरेशन के रिकॉर्ड्स में किसी संपत्ति का ट्रासफर या नाम में बदलाव होता है। म्यूटेशन नहीं होने पर कोई भी अपनी खरीदी गई प्रॉपर्टी पर निर्माण नहीं कर सकता। मजबूरी में लोगों को किराए के मकान में गुजारा करना पड़ रहा है। 14 साल पहले खरीदी प्रॉपर्टी तीन साल में नहीं हुई म्यूटेशन
मनोहर लाल तोपखाना बाजार में रहते हैं। वह बताते हैं कि उन्हेंने 226 नंबर प्रापर्टी का 226/1 भाग साल 2005 में फरीदाबाद निवासी रामनाथ गोयल से खरीदा था, जिसका एक इकरारनामा भी है। उनका मकान 2010 में आई बाढ़ के चलते क्षतिग्रस्त हो गया। जब उन्होंने मकान दोबारा बनाने की कोशिश की तो कैंटोनमेंट बोर्ड ने मकान का हिस्सा गिरा दिया। तब से आज तक उनका मकान उसी हालत में पड़ा है। मकान बनाने के मकसद से मनोहर ने 26 फरवरी 2016 को बोर्ड कार्यालय में म्यूटेशन कराने के लिए नक्शा सहित फाइल जमा कराई थी, लेकिन काम नहीं हुआ। 226 नंबर प्रापर्टी बनकर तैयार
इसी प्रापर्टी का पहला हिस्सा यानि प्रॉपर्टी नंबर 226 कई साल पहले बनकर तैयार हो गई। प्रॉपर्टी मालिक मनोहर ने बताया कि यदि बोर्ड उनकी प्रॉपर्टी के भाग की म्यूटेशन या निर्माण नहीं करने दे रहा है तो उसकी प्रापर्टी का दूसरा भाग कैसे बन कर तैयार हो गया? इसका कोई जवाब बोर्ड के अधिकारी नहीं दे रहे हैं। भाग की म्यूटेशन के लिए भेजा है प्रस्ताव
कैंटोनमेंट बोर्ड के वार्ड नंबर दो की पार्षद आसीमा ने बताया कि तोपखाना सिविल एरिया है और यहां पर बोर्ड की ओर से किसी प्रापर्टी के भाग की म्यूटेशन नहीं हो सकती है। इसके अलावा यदि निर्माण कार्य होता है तो वह कम्पाउंड की श्रेणी में होता है। म्यूटेशन का पार्षद रक्षा मंत्रालय में भेजा हुआ है लेकिन अभी तक इस पर कोई जवाब नहीं आया है। म्यूटेशन पर लगी रोक हटनी चाहिए। कोट्स
- प्रॉपर्टी नंबर 226 विवादित है और कोर्ट में इसका केस चल रहा है। इसीलिए म्यूटेशन बोर्ड की ओर से नहीं की जा रही है, प्रॉपर्टी के सब डिवीजन होने पर भी बोर्ड म्यूटेशन नहीं करता।
- सतीश, इंजीनियर, कैंटोनमेंट बोर्ड अंबाला छावनी।