रेलवे चेयरमैन बोले - नहीं हटेंगे खलासी, बदलेगी पॉलिसी
रेलवे में जे ग्रेड के अधिकारियों के मन मुताबिक टेक्निकल अटेंडेंट-कम-डाक खलासी (टीएडीके) की भर्ती करने की संस्तुति पॉलिसी में बदलाव के संकेत मिले हैं। रेलवे बोर्ड जुलाई 2020 से अब तक इन पदों पर हुई भर्तियों का रिव्यू कर रहा है और खलासी पद की भर्ती में और पारदर्शिता लाने की नीति में बदलाव करने जा रहा है।
दीपक बहल, अंबाला
रेलवे में जे ग्रेड के अधिकारियों के मन मुताबिक टेक्निकल अटेंडेंट-कम-डाक खलासी (टीएडीके) की भर्ती करने की संस्तुति पॉलिसी में बदलाव के संकेत मिले हैं। रेलवे बोर्ड जुलाई 2020 से अब तक इन पदों पर हुई भर्तियों का रिव्यू कर रहा है और खलासी पद की भर्ती में और पारदर्शिता लाने की नीति में बदलाव करने जा रहा है। रेलवे बोर्ड के चेयरमैन विनोद कुमार यादव की वीडियो कांफ्रेंस में यह मुद्दा उठा। रेल अधिकारियों ने यह पद समाप्त न हो इसको लेकर दुखड़ा रोया, तो चेयरमैन ने स्पष्ट किया कि रेल अधिकारियों की कोठियों से टीएडीके कर्मचारियों को हटाया नहीं जा रहा है। महज इस भर्ती प्रक्रिया का रिव्यू किया जाएगा ताकि इनकी कार्यप्रणाली पर सवाल न उठे। रेल मंत्रालय ने जुलाई से अब तक इन भर्तियों की रिव्यू का लिखित निर्देश जारी कर दिया है। हालांकि रेलवे ने अपने पत्र में कहीं भी भर्तियों में गड़बड़ी का अंदेशा नहीं जताया है, लेकिन रिव्यू करने की बात भर्ती में संदेह पैदा कर रही है। यह होती है भर्ती की प्रक्रिया
रेलवे में जे ग्रेड (ब्रांच) के अधिकारी के सरकारी बंगले पर टेक्निकल अटेंडेंट-कम-डाक खलासी की तैनाती होती है। यह पद ट्रैक मैन की बेसिक-पे से जुड़ा होता है। यदि जे ग्रेड के अधिकारी को किसी की नियुक्ति करवानी है तो वह इसके लिए पर्सनल विभाग में नाम की संस्तुति करता है। इसके बाद डीआरएम से लेकर जोन के महाप्रबंधक तक यह फाइल जाती है। यहां से अनुमति मिलने के बाद भर्ती करने की हरी झंडी मिल जाती है। तीन साल के बाद स्थायी किया जाता है
तीन साल तक इस पद पर कर्मचारी अस्थायी रूप से तैनात रहता है। बाद में स्क्रीनिग के बाद स्थायी कर दिया जाता है। इस पद के लिए एजुकेशन और मेडिकल की प्रक्रियाओं से भी गुजरना पड़ता है। बाद में इस कर्मचारी की संरक्षा से जुड़े विभाग में तबादला भी किया जा सकता है। रेल अधिकारी के तबादला होने पर वह कर्मचारी की सहमति से उसे अपने साथ जहां पोस्टिग है, ले जा सकते हैं। इसके अलावा जो अधिकारी जे ग्रेड में पदोन्नत हो जाता है, उसको भी सरकारी बंगले में पीयन रखने का हक मिल जाता है।
अधिकारियों ने यह तर्क रखे
सूत्रों का कहना है कि रेलवे बोर्ड के चेयरमैन की वीडियो कांफ्रेंस में अधिकारियों ने अपनी बात रखी। अधिकारियों ने कहा कि वह 24 घंटे वर्किंग में रहते हैं। ऐसे में यदि बंगलों से कर्मचारियों को हटाते हैं तो कहीं न कहीं काम भी प्रभावित होगा। इसी पर ही चेयरमैन ने सभी कर्मचारियों को नहीं हटाने की बात की। इसके बाद देशभर में चेयरमैन का मैसेज अधिकारियों के पास पहुंच गया कि कर्मचारी हटेंगे नहीं, बल्कि भर्ती प्रक्रिया को बदला हा सकता है।