190 बसें घटकर हुई 170, आमदनी 15 से 12 लाख रुपये पहुंची, अब टारगेट की चुनौती
सुरेश सैनी. अंबाला शहर अंबाला डिपो में बसों की संख्या घटने का सबसे बड़ा जबरदस्त असर रिसीट पर पड़ा है। जो रिसीट दो साल पहले 30 से 35 रुपये प्रति किलोमीटर हुआ करती थी। वह अब घटकर 25 से 26 रुपये पर आ गई है। वहीं बसों की केएमपीएल भी घटकर करीब 4.5 तक पहुंच गई। वहीं अब मुख्यालय ने विभाग को रिसीट के टॉरगेट की नई चुनौती दी है। इससे अधिकारियों की मिलने मुश्किलें बढ़ गई है। रिसीट व केएमपीएल को सही लाने के लिए डिपो के अधिकारियों ने कर्मचारियों पर दबाव बनाया जा रहा है। दरअसल रोडवेज को घाटे से उभारने के लिए हेड क्वार्टर ने प्रदेश के भी महाप्रबंधकों को रिसीट व केएमपीएल का टॉरगेट दिया है। सूत्रों के अनुसार अंबाला डिपो में 55 बसें ऐसी हैं जो एक्सटेंशन पर चल रही हैं। इनकी संख्या कम होने के कारण इने जुगाड़ कर सड़कों पर दौड़ाया जा रहा है।
सुरेश सैनी, अंबाला शहर
अंबाला डिपो में बसों की संख्या घटने का सबसे बड़ा जबरदस्त असर रिसीट पर पड़ा है। जो रिसीट दो साल पहले 30 से 35 रुपये प्रति किलोमीटर हुआ करती थी, वह अब घटकर 25 से 26 रुपये पर आ गई है। वहीं बसों की तेल खपत भी ज्यादा हो गई है। अब प्रति लीटर करीब (केएमपीएल) 4.5 किलोमीटर दूरी तय कर रही हैं। वहीं अब मुख्यालय ने विभाग को रिसीट के टॉरगेट की नई चुनौती दी है। इससे अधिकारियों की मिलने मुश्किलें बढ़ गई है। रिसीट व केएमपीएल को सही लाने के लिए डिपो के अधिकारियों द्वारा कर्मचारियों पर दबाव बनाया जा रहा है।
दरअसल, रोडवेज को घाटे से उभारने के लिए मुख्यालय ने प्रदेश के भी महाप्रबंधकों को रिसीट व केएमपीएल का टॉरगेट दिया है। सूत्रों के अनुसार अंबाला डिपो में 55 बसें ऐसी हैं जो एक्सटेंशन पर चल रही हैं। इनकी संख्या कम होने के कारण इन्हें जुगाड़ कर सड़कों पर दौड़ाया जा रहा है। सभी डिपो को मिला अलग-अलग टॉरगेट
प्रदेश में 25 डिपो व 13 सब डिपो हैं जिनमें करीब 3400 बसें हैं। इनमें 20 लाख यात्री रोजाना सफर करते हैं, जिनसे प्रतिमाह करीब 90 करोड़ रुपये का टर्नओवर होता है। बावजूद इसके यात्रियों को बेहतर सुविधाएं नहीं मिल पा रही है। वहीं अब मुख्यालय की तरफ से प्रदेश के सभी डिपो को अलग-अलग रिसीट, केएमपीएल व यूटीलाइजेशन का टारगेट दिया गया है। इनमें अंबाला डिपो को 30 रुपये प्रति किलोमीटर व 4.9 केएमपीएल लाने का टॉरगेट दिया गया है। लेकिन डिपो में बसों की संख्या कम तथा पुरानी बसें हो जाने के कारण डिपो के लिए यह टारगेट चुनौती है। संख्या कम होने से फेरे भी हुए कम
अंबाला व नारायणगढ़ डिपो में लगभग 170 बसें है जबकि दो साल पहले 190 बसें थी। बसों की संख्या कम होने से फेरे कम हो गए। जो बसें दो साल पूर्व 50 से 55 हजार किलोमीटर चलती थी, अब वह 40 से 44 हजार किलोमीटर चलती हैं। ऐसे में यात्रियों को अपने गंतव्य पर जाने के लिए प्राइवेट बसों के अलावा मैक्सी कैब आदि वाहनों पर निर्भर रहना पड़ रहा है। वहीं बसों की संख्या बढ़ाने के लिए रोडवेज की सातों यूनियनों की तरफ से कई बार प्रदेश सरकार को लिखित तौर पर अवगत करवाया जा जा चुका है। रिसीट व केएमपीएल के लिए टारगेट मिला है जिसे पूरा कर लिया जाएगा। हमने इससे पहले भी जो भी टारगेट मिले हैं, उन्हें पूरा करके दिया है। इसके अलावा डिपो में बसों की संख्या बढ़ाने के लिए हेड क्वार्टर को लिखा हुआ है। उम्मीद है जल्द ही डिपो में नई बसें आ जाएंगी।
-गौरी मिड्डा, महाप्रबंधक