जज का कड़ा रुख, बोलें- शहर को कब तक करेंगे साफ, क्यों न अथॉरिटी को जेल भेज दिया जाए
डोर टू डोर कूड़ा उठान के मामले में वकीलों ने अदालत में 45 उन स्थानों का फोटो समेत ब्योरा दिया जहां से गंदगी का उठान नहीं होता।
अवतार चहल, अंबाला शहर
डोर टू डोर कूड़ा उठान के मामले में वकीलों ने अदालत में 45 उन स्थानों का फोटो समेत ब्योरा दिया, जहां से गंदगी का उठान नहीं होता। इस पर नगर निगम के एडवाकेट ने अदालत से समय की मांग की, लेकिन अदालत ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि शहर को कब तक साफ करेंगे। मामले में अधिकारियों के बृहस्पतिवार तक शपथ दाखिल करें। इतना ही नहीं मामले में रोजाना सुनवाई होगी, जब तक शहर साफ नहीं होता। नगर निगम को रोजाना की रिपोर्ट अदालत में बतानी होगी कि मामले में क्या कार्रवाई की गई। इसके साथ ही इजराय दाखिल करने वाले वकीलों से भी गंदगी न उठने वाली जगह के बारे में जानकारी देने के निर्देश दिए। कोर्ट ने कड़ा रुख करते कहा, क्यों न अथॉरिटी को जेल भेज दिया जाए।
अदालत में बुधवार मामले को लेकर बार एसोसिएशन प्रधान रोहित जैन, विजय धीमान, जबर चौधरी, राजेश शर्मा, खुशीराम सैनी, नरेंद्र सांगवान आदि उपस्थित हुए। दूसरी ओर यानी नगर निगम का एडवोकेट भी पहुंचा। वकीलों ने अदालत में उन 45 जगह के फोटो समेत लिस्ट दी, जहां से कूड़ा का उठान नहीं होता और उन जगह गंदगी के ढेर लगे रहते हैं। दोनों पक्षों ने अदालत के पास अपना पक्ष रखा। वकीलों की ओर से गंदगी उठवाने की मांग पर नगर निगम के एडवोकेट ने मामले में समय की मांग की। अदालत को बताया कि मामले में टेंडर की प्रक्रिया चल रही है, लेकिन अदालत ने सख्त रुख रखते हुए कहा कि शहर को कब तक साफ करेंगे। मामले में क्यों न अथॉरिटी को अंदर भेजा जाए। इसके बाद अदालत ने कहा कि बृहस्पतिवार तक शपथपत्र दाखिल किया जाए। उक्त शपथपत्र में बताया जाए कि कब तक कार्रवाई होगी।
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यूटिलिटी कोर्ट में की गई है अपील
वकीलों ने डोर टू डोर कूड़ा उठाने के मामले को यूटिलिटी कोर्ट में चुनौती दी थी। इसके बाद अदालत से अवार्ड हो गया था। अदालत ने मामले में 25 फरवरी 2019 को अवार्ड किया था, लेकिन मामले को नगर निगम ने लागू नहीं किया था। इसके बाद वकीलों ने मामले को लागू कराने के लिए जिला अदालत में 5 फरवरी को इजराय दाखिल की थी। जहां अदालत ने मामले में अगली तारीख 12 फरवरी तक के नोटिस जारी कर दिए थे।
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प्राइवेट लोगों से उठवाना पड़ता कूड़ा
वकीलों ने अदालत में पक्ष रखा कि नगर निगम डोर टू डोर कूड़ा उठान की एवज में राशि लेता है। उसके बावजूद लोगों के घरों से डोर टू डोर कूड़ा का उठान नहीं होता। शहर में लिफ्टिग न होने से गंदगी से बेहाल बना हुआ है। यहां तक कि लोगों को खुद की जेब से प्राइवेट लोगों को राशि देकर गंदगी उठवानी पड़ रही है। मामले में नगर निगम के पक्ष के भी एक एडवोकेट ने हां में हां मिलाते कहा कि सौ रुपये उसे भी देने पड़ रहे हैं।